संयुक्त राष्ट्र:
संयुक्त राष्ट्र ने ईरान में मानवाधिकार दुरुपयोगों पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार ईरान सरकार ने गुपचुप तरीके से सैकड़ों बंदियों को मौत की सजा दे दी। रिपोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और महिला अधिकारों के पक्षधर लोगों के उत्पीड़न के बारे में विस्तार से बताया गया है। संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट इस हफ्ते के अंत में जारी होगी जिसे इस्लामी गणराज्य ईरान में मानवाधिकारों के हालात पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक अहमद शाहिद ने तैयार किया है। रिपोर्ट कहती है कि ईरान में 2011 में आधिकारिक तौर पर 200 लोगों को मौत की सजा सुनाई गयी और पूर्वी शहर मशहद में कम से कम 146 लोगों को जेल में गुप्त तरीके से मार दिया गया। वैश्विक पत्रिका फॉरिन पॉलिसी द्वारा हासिल रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल वहां 300 लोगों को गुप्त तरीके से मार दिया गया। वर्ष 2009 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के बाद से ईरान की जेलों में सैकड़ों राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, छात्रों, फिल्मकारों, वकीलों, पर्यावरणविदों, महिला अधिकार के पक्षधर लोगों, जातीय तथा धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों से जुड़े लोगों और पश्चिमी देशों से ताल्लुक रखने वाले नागरिकों को मार दिया गया। महमूद अहमदीनेजाद सरकार ने कुछ कैदियों को रिहा कर दिया था वहीं करीब 500 कार्यकर्ता हिरासत में रहे। ईरान में मानवाधिकारों के अंतरराष्ट्रीय अभियान के निदेशक हादी घाएमी ने कहा कि मशहद में वकीलाबाद जेल में मारे गये लोगों पर इस तरह के अपराधों के आरोप थे कि उनमें कहीं भी मौत की सजा नहीं दी जाती। घाएमी ने कहा, ईरानी सरकार का दावा है कि वे मादक पदार्थ तस्कर हैं लेकिन उन्होंने नाम नहीं बताए इसलिए पता चलने का कोई रास्ता नहीं है। रिपोर्ट कहती है कि 18 साल से कम उम्र के 100 से ज्यादा ईरानी नागरिकों को मौत की सजा दी गयी जबकि ईरान ने उस अंतरराष्ट्रीय शपथपत्र को स्वीकार किया है जिसमें नाबालिगों को मृत्युदंड से छूट प्राप्त है।