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This Article is From Sep 23, 2020

अंतरिक्ष के मलबे से टकराने का था खतरा, दूसरी जगह शिफ्ट किया गया अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन

मलबे के टकराव से बचाव के लिए अंतरिक्ष स्टेशन की कक्षा को रूसी और अमेरिकी उड़ान नियंत्रकों ने मंगलवार (22 सितंबर) को ढाई मिनट के ऑपरेशन के दौरान दूसरी जगह आगे बढ़ाकर समायोजित किया.

अंतरिक्ष के मलबे से टकराने का था खतरा, दूसरी जगह शिफ्ट किया गया अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन
नासा ने बताया कि मलबा अंतरिक्ष स्टेशन से 1.4 किलोमीटर यानी करीब एक मील की दूरी से गुजरा.
वाशिंगटन:

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) पर अंतरिक्ष यात्रियों ने एक ऐसा "युद्धाभ्यास" किया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अंतरिक्ष के मलबे अंतरिक्ष स्टेशन से न टकराएं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने यह जानकारी दी है. साथ ही नासा ने दुनियाभर के देशों से पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष मलबे के बेहतर प्रबंधन का आग्रह किया है. मलबे के टकराव से बचाव के लिए अंतरिक्ष स्टेशन की कक्षा को रूसी और अमेरिकी उड़ान नियंत्रकों ने मंगलवार (22 सितंबर) को ढाई मिनट के ऑपरेशन के दौरान दूसरी जगह आगे बढ़ाकर समायोजित किया. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया कि मलबा अंतरिक्ष स्टेशन से 1.4 किलोमीटर यानी करीब एक मील की दूरी से गुजरा.

नासा ने कहा कि जैसे ही युद्धाभ्यास शुरू हुआ, दो रूसी और एक अमेरिकी- कुल तीन चालक दल के सदस्यों को निकट के अंतरिक्ष यान सोयुज में स्थानांतरित कर दिया गया. नासा ने कहा है कि ऐसा करना किसी भी अनहोनी से बचने के लिए ऐहतियातन आवश्यक था. नासा के मुताबिक इस ऑपरेशन के बाद अंतरिक्ष यात्री अपने सामान्य कार्यकलाप पर लौट आए.

नासा प्रमुख जिम ब्रिडेनस्टाइन ने ट्विटर पर लिखा, "युद्धाभ्यास कार्य पूरा..अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित ठिकाने से बाहर आ रहे हैं.."

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जिस मलबे से अंतरिक्ष स्टेशन को खतरा था, वह दरअसल जापानी रॉकेट का एक टुकड़ा है जो 2018 में अंतरिक्ष में भेजा गया था. खगोलविद जोनाथन मैकडॉवेल ने ट्विटर पर बताया कि जापानी रॉकेट पिछले साल 77 अलग-अलग हिस्सों में टूट गया था.

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन धरती से 260 मील (420 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में करीब 17,000 मील प्रतिघंटे की रफ्तार से घूमती है. इस गति में अगर कोई छोटा सा तिनका भी उससे टकराएगा तो वहां भारी नुकसान होने की आशंका है. ऐसी स्थिति में युद्धाभ्यास जरूरी हो जाता है. साल 1999 से 2018 तक नासा ने ऐसे करीब 25 अभ्यास किए हैं.

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