मरूडु (इंडोनेशिया):
इंडोनेशया में बुधवार को आए शक्तिशाली भूकंप में मरने वालों की संख्या 97 हो गई क्योंकि ढही हुई इमारतों के मलबों से कई शव बाहर निकाले गये हैं. आसेह प्रांत के पीडी जाया जिले में 6.5 तीव्रता का भूकंप उस वक्त आया जब लोग फज्र की नमाज (सुबह की नमाज) की तैयारी कर रहे थे. यह इलाका मुस्लिम बहुल है.
सेना के अनुसार बचावकर्मियों की ओर से बचाव कार्य शुरू किए जाने के साथ ही मरने वालों की संख्या बढ़ती चली गई. मकानों, मस्जिदों और दुकानों से जीवित बचे लोगों को बाहर निकालने की उम्मीद के साथ बचावकर्मी लगे हुए हैं. पहले मरने वालों की संख्या 52 बताई गई थी. इंडोनेशिया सेना बचाव एवं तलाशी अभियान में जुटी हुई है.
आसेह प्रांत के सेना प्रमुख ततांग सुलेमान ने बताया, ‘अब तक 97 लोग मारे गए हैं और यह संख्या बढ़ती जा रही है.’ उन्होंने कहा, ‘कहीं पांच तो कहीं 10 शव बरामद किये जा रहे हैं.’ सुलेमान ने कहा कि बचाव एवं तलाशी अभियान में 1,000 से अधिक सैनिक और करीब 900 पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं. अधिकारियों का कहना है कि भूकंप की वजह से सैकड़ों मकान और दुकानें जमींदोज हो गये हैं जिससे बहुत अधिक संख्या में लोग बेघर हो गये हैं और भोजन और पानी जैसी बुनियादी चीजों की सख्त जरूरत आन पड़ी है.
स्थानीय आपदा एजेंसी के प्रमुख पुतेह मन्नाफ ने बताया, ‘बिजली की आपूर्ति कटी हुई है. कुछ स्थानों पर जनरेटर हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं. अगर बारिश हो गई तो बीमारी पैदा हो सकती है.’ पीडी जाया के जिला स्वास्थ्य कार्यालय के प्रमुख सैद अब्दुल्ला ने कहा कि भूकंप में करीब 200 लोग अस्पताल पहुंचे लेकिन कई घायल फिर झटके आने के डर की वजह से अस्पतालों में दाखिल नहीं हुए.
उन्होंने कहा, ‘हम लोगों का बाहर उपचार कर रहे हैं. हम अस्पताल के बिस्तरों को बाहर ले गये हैं क्योंकि कोई भी अस्पताल में दाखिल होने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है.’ प्राकृतिक आपदाओं के गवाह बन चुके आसेह की तकलीफदेह यादें इससे ताजा हो गई. 26 दिसंबर 2004 को भूकंप के कारण यहां भयावह सुनामी आई थी जिसके कारण आसेह में एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
राजधानी जकार्ता में राष्ट्रपति जोको ‘जोकोवी’ विडोडो ने कहा कि उन्होंने सभी सरकारी एजेंसियों को बचाव अभियान में हिस्सा लेने का आदेश दिया है. दुनिया का सबसे बड़ा द्वीपसमूह इंडोनेशिया पैसिफिक ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित होने की वजह से भूकंप और ज्वालामुखी के लिए संवेदनशील है. वर्ष 2004 में भूकंप के कारण आई सुनामी में दर्जनभर देशों में 2,30,000 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें से ज्यादातर लोग आसेह में मारे गए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सेना के अनुसार बचावकर्मियों की ओर से बचाव कार्य शुरू किए जाने के साथ ही मरने वालों की संख्या बढ़ती चली गई. मकानों, मस्जिदों और दुकानों से जीवित बचे लोगों को बाहर निकालने की उम्मीद के साथ बचावकर्मी लगे हुए हैं. पहले मरने वालों की संख्या 52 बताई गई थी. इंडोनेशिया सेना बचाव एवं तलाशी अभियान में जुटी हुई है.
आसेह प्रांत के सेना प्रमुख ततांग सुलेमान ने बताया, ‘अब तक 97 लोग मारे गए हैं और यह संख्या बढ़ती जा रही है.’ उन्होंने कहा, ‘कहीं पांच तो कहीं 10 शव बरामद किये जा रहे हैं.’ सुलेमान ने कहा कि बचाव एवं तलाशी अभियान में 1,000 से अधिक सैनिक और करीब 900 पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं. अधिकारियों का कहना है कि भूकंप की वजह से सैकड़ों मकान और दुकानें जमींदोज हो गये हैं जिससे बहुत अधिक संख्या में लोग बेघर हो गये हैं और भोजन और पानी जैसी बुनियादी चीजों की सख्त जरूरत आन पड़ी है.
स्थानीय आपदा एजेंसी के प्रमुख पुतेह मन्नाफ ने बताया, ‘बिजली की आपूर्ति कटी हुई है. कुछ स्थानों पर जनरेटर हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं. अगर बारिश हो गई तो बीमारी पैदा हो सकती है.’ पीडी जाया के जिला स्वास्थ्य कार्यालय के प्रमुख सैद अब्दुल्ला ने कहा कि भूकंप में करीब 200 लोग अस्पताल पहुंचे लेकिन कई घायल फिर झटके आने के डर की वजह से अस्पतालों में दाखिल नहीं हुए.
उन्होंने कहा, ‘हम लोगों का बाहर उपचार कर रहे हैं. हम अस्पताल के बिस्तरों को बाहर ले गये हैं क्योंकि कोई भी अस्पताल में दाखिल होने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है.’ प्राकृतिक आपदाओं के गवाह बन चुके आसेह की तकलीफदेह यादें इससे ताजा हो गई. 26 दिसंबर 2004 को भूकंप के कारण यहां भयावह सुनामी आई थी जिसके कारण आसेह में एक लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
राजधानी जकार्ता में राष्ट्रपति जोको ‘जोकोवी’ विडोडो ने कहा कि उन्होंने सभी सरकारी एजेंसियों को बचाव अभियान में हिस्सा लेने का आदेश दिया है. दुनिया का सबसे बड़ा द्वीपसमूह इंडोनेशिया पैसिफिक ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित होने की वजह से भूकंप और ज्वालामुखी के लिए संवेदनशील है. वर्ष 2004 में भूकंप के कारण आई सुनामी में दर्जनभर देशों में 2,30,000 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें से ज्यादातर लोग आसेह में मारे गए थे.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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