वाशिंगटन:
भारत द्वारा 12 अरब डॉलर के लड़ाकू विमान सौदे के लिए अमेरिकी कम्पनियों को ठुकराए जाने के बाद अमेरिका ने गहरी निराशा जरूर जाहिर की थी, लेकिन उसने कहा है कि इस घटना का उसकी दीर्घकालिक मित्रता पर कोई असर नहीं होगा। दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने शुक्रवार को थिंक टैंक, 'सेंटर फॉर स्ट्रेटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज' में कहा, "अमेरिका-भारत की साझेदारी एक दीर्घकालिक मित्रता है, यह 'जैसे को तैसा' सिद्धांत पर आधारित नहीं है।" ब्लेक ने 'द करेंट स्टेट ऑफ यूएस-इंडिया को-ऑपरेशन एंड प्रॉसपेक्ट्स फॉर द फ्यूचर' विषय पर बोलते हुए कहा, "हम स्वाभाविक आर्थिक साझेदार हैं। वास्तव में हम तीसरे देशों को लाभ पहुंचाने के लिए अपनी आर्थिक साझेदारी बढ़ा रहे हैं।" ब्लेक ने कहा, "इतिहास में पहली बार अमेरिका और भारत ने कृषि सम्बंधी क्षमता के विकास पर सहयोग के एक प्रस्ताव के साथ तीन अफ्रीकी देशों से सम्पर्क किया है। परिणामस्वरूप भारत राष्ट्रपति के 'फीड द फ्यूचर' पहल का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है।" ब्लेक ने कहा कि दोनों देशों में से कोई भी देश इस रिश्ते को हल्के में नहीं ले सकता। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे में शुरू की गई पहलों के क्रियान्वयन हेतु मिलकर काम करने की आवश्यकता है। ब्लेक ने आगे कहा, "इससे वाशिंगटन और दिल्ली में तथा मुम्बई और मैनहट्टन में इस बारे में अधिक महत्वांकाक्षा के साथ सोचने के लिए राजनीतिक समर्थन खड़ा होगा कि हम क्या हासिल कर सकते हैं, और हमारी साझेदारी कहां तक जाएगी।" ब्लेक ने यह उम्मीद भी जाहिर की कि भारत हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद अपने खुदरा और रक्षा क्षेत्रों को मुक्त करने के साथ ही आर्थिक सुधारों के एक नए चक्र को अपनाएगा। उन्होंने कहा, "हमें कुछ संकेत प्राप्त हुए हैं कि आने वाले छह महीनों के दौरान इनमें से कुछ क्षेत्रों में कुछ प्रगति हो सकती है। विधानसभा चुनावों का यह ताजा दौर इसके पीछे का कारण है।" ब्लेक ने कहा, "हमारे भारतीय मित्रों द्वारा लिया गया यह एक स्वतंत्र निर्णय है, लेकिन यह कुछ ऐसा है जो उनके लिए लाभकारी होने जा रहा है।"
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भारत, अमेरिका, दोस्ती, सिद्धांत