
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तांबे पर पचास प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत में लागू हो सकता है.
- ट्रंप ने फार्मास्यूटिकल्स आयात पर दो सौ प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है, लेकिन कंपनियों को अमेरिका आने के लिए डेढ़ साल का समय दिया जाएगा.
- भारत अमेरिका का सबसे बड़ा फार्मास्यूटिकल्स निर्यातक है, जहां भारत का कुल फार्मा निर्यात का चालीस प्रतिशत हिस्सा अमेरिका को जाता है.
Donald Trump's Tariffs War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर टैरिफ बम फोड़ने लगे हैं. 90 दिन की शांति के बाद टैरिफ पर फिर से एक के बाद एक ऐसे ऐलान कर रहे हैं जिसने वैश्विक बाजार को डराना शुरू कर दिया है. अमेरिका में स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर समान टैरिफ लागू करने के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने तांबे पर नए 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा की है. साथ उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिका में होने वाले फार्मास्यूटिकल्स आयात पर एक साल के बाद 200 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी स्पष्ट किया कि वह दुनिया भर की दर्जनों अर्थव्यवस्थाओं पर एक दिन पहले ही ऐलान किए गए उच्च अमेरिकी टैरिफ को लागू करने की समय सीमा को 1 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाएंगे.
यह कदम नई दिल्ली के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका फार्मास्यूटिकल्स के लिए भारत का सबसे बड़ा विदेशी बाजार है और तांबे और तांबे के उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक भी है.
ट्रंप ने क्या कहा?
ट्रंप ने मंगलवार को एक कैबिनेट बैठक में कहा, "आज हम तांबे पर (टैरिफ) लगा रहे हैं. मेरा मानना है कि तांबे पर टैरिफ को 50 प्रतिशत करने जा रहे हैं." अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी (वित्त मंत्री) हॉवर्ड लुटनिक ने कुछ ही समय बाद CNBC को बताया कि यह टैरिफ संभवतः जुलाई के अंत या 1 अगस्त को लागू की जाएगी.
ट्रंप ने यह भी कहा कि वाशिंगटन जल्द ही फार्मास्यूटिकल्स पर एक टैरिफ की घोषणा करेगा. लेकिन साथ ही निर्माताओं (फार्मा कंपनियों) को अमेरिका में अपने परिचालन (ऑपरेशन) को स्थानांतरित करने के लिए समय देंगे. उन्होंने कहा, "हम लोगों (कंपनियों) को आने के लिए लगभग एक साल, डेढ़ साल का समय देने जा रहे हैं और उसके बाद, आयात पर टैरिफ लगाया जाएगा. उन पर 200 प्रतिशत जैसी बहुत, बहुत ऊंची दर पर टैरिफ लगाया जाएगा."
ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने की अपनी धमकी भी दोहराई और कहा कि यह ब्लॉक "गंभीर समूह नहीं" है. उन्होंने दावा किया कि यह अमेरिकी डॉलर को चुनौती दे रहा है. उन्होंने कहा, "अगर आप डॉलर को चुनौती देना चाहते हैं तो यह ठीक है. लेकिन उन्हें टैरिफ का भुगतान करना होगा. मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा चाहते हैं."
ये टैरिफ भारत को कैसे प्रभावित करेंगे?
भारत ने 2024-25 में वैश्विक स्तर पर 2 अरब डॉलर मूल्य के तांबे और तांबे से बने उत्पादों का निर्यात किया है. इसमें से अमेरिकी बाजारों में निर्यात 360 मिलियन डॉलर यानी कुल निर्यात का 17 प्रतिशत था. व्यापार आंकड़ों के अनुसार, तांबे के निर्यात के लिए सऊदी अरब (26 प्रतिशत निर्यात यहां होता है) और चीन (18 प्रतिशत) के बाद अमेरिका ही भारत का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है.
तांबा एक महत्वपूर्ण खनिज है और इसका उपयोग ऊर्जा, विनिर्माण और बुनियादी ढांचे सहित सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर किया जाता है. संभावना है कि नए टैरिफ के बाद अमेरिकी मांगों में किसी भी तरह कि गिरावट होती है तो भारत के घरेलू उद्योग उसे अवशोषित कर लेंगे, उतनी मांग पैदा कर देंगे.
इस क्षेत्र पर अगर ट्रंप धमकी के अनुसार 200 प्रतिशत टैरिफ लगा देते हैं तो यह मांग को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, खासकर जब भारत का जेनेरिक दवा उद्योग अमेरिका में सस्ती दवाओं की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
भारत अमेरिका के साथ एक मिनी-व्यापार समझौते को फाइनल करने की प्रक्रिया में है, और सभी सेक्टर के टैरिफ को इसके अंतर्गत कवर किए जाने की संभावना है. अगर डील 1 अगस्त की समय सीमा से पहले फाइनल हो जाती है, तो नए टैरिफ का भारतीय बाजारों पर असर नहीं पड़ने की संभावना है.
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