श्रीलंका ने कोलंबो में तैनात भारतीय जासूसी एजेंसी के प्रमुख को निर्वासित कर दिया है। बताया जा रहा है कि श्रीलंका ने यह कदम उन खबरों के बाद उठाया है जिसमें कहा गया है कि भारतीय एजेंसी ने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की हार में भूमिका निभाई थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ऐसी किसी खबर का खंडन किया है और कहा है कि तबादले आम तौर पर होते रहते हैं। 8 जनवरी को श्रीलंका में हुए मतदान में तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राक्षपक्षे चुनाव हार गए थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने रायटर को बताया कि इस बारे में वह ज्यादा नहीं जानते हैं, लेकिन नई सरकार का कहना है कि वह ऐसी रिपोर्ट के बारे में जानती हैं, लेकिन पक्के तौर पर कुछ नहीं कह सकती। वहीं, नई दिल्ली और कोलंबो के तमाम सूत्रों का कहना है कि दिसंबर में ही भारत से कहा गया था कि वह अपने एजेंट को भारत वापस बुला ले क्योंकि उस पर राजपक्षे के एकजुट विरोधियों (मैथरीपाल सिरिसेना) के पक्ष में समर्थन जुटाने का आरोप लगा था।
श्रीलंका के एक अखबार में ऐसी रिपोर्ट भी प्रकाशित हुए जिसमें लिखा गया था कि राजपक्षे का विरोध करने के चलते रॉ के अधिकारी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि दो बार के राष्ट्रपति राजपक्षे के बारे में यह भी कहा जा रहा था कि चीन से करीबी नीतियों के चलते श्रीलंका में उनके खिलाफ माहौल बन रहा है।
बता दें कि पिछले वर्ष श्रीलंका ने दो चीनी पनडुब्बियों को अपने तट पर रुकने दिया था। इस घटना के बारे में उसने भारत को पूर्व सूचित नहीं किया जबकि श्रीलंका की भारत के साथ ऐसी संधि है।
नए राष्ट्रपति सीरिसेना ने कहा है कि वह अपने पहले विदेश दौरे के लिए भारत जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि सिरीसेना, भारत से संबंधों को लेकर काफी सक्रिय हैं।
उधर, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि रॉ अधिकारी को इसलिए वापस बुलाया गया है कि उस पर तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के विरोध में मीटिंग आयोजित कराने का आरोप लगा था।
इस पूरे मामले में राजपक्षे की ओर से कहा जा रहा है कि वह जब इस मामले में कुछ नहीं बोलेंगे जब तक तथ्य सामने नहीं आ जाते।
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