
- भारतीय सेना की एक टुकड़ी युद्ध अभ्यास 2025 के 21वें संस्करण में भाग लेने के लिए अमेरिका के अलास्का पहुंच गई है
- यह अभ्यास फोर्ट वेनराइट में 1 से 14 सितंबर तक चलेगा, जिसमें हेलिबोर्न ऑप्स और पर्वतीय युद्ध शामिल हैं.
- भारतीय सैनिक अमेरिका के 11वें एयरबोर्न डिवीजन के साथ संयुक्त सामरिक अभ्यास, यूएएस/काउंटर-यूएएस ट्रेनिंग लेंगे.
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ टैरिफ बम फोड़कर नई दिल्ली-वाशिंगट के रिश्तों को तल्ख कर दिया है. इस बीच एक बड़ी खबर यह है कि भारतीय सेना अमेरिका पहुंची है जहां वो युद्ध अभ्यास में भाग लेगी. विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि भारतीय सेना की एक टुकड़ी 1 से 14 सितंबर तक होने वाले 'युद्ध अभ्यास 2025' के 21वें संस्करण में भाग लेने के लिए अमेरिका के अलास्का के फोर्ट वेनराइट में पहुंच गई है.
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने सोशल मीडिया 'X' पर पोस्ट किया, "युद्ध अभ्यास 2025 (01-14 सितंबर) के 21वें संस्करण के लिए भारतीय सेना की एक टुकड़ी फोर्ट वेनराइट, अलास्का पहुंच गई है."
An Indian Army contingent has reached Fort Wainwright, Alaska 🇺🇸 for the 21st edition of Yudh Abhyas 2025 (01 – 14 Sept).
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) September 1, 2025
Alongside U.S. 11th Airborne Division troops, they'll train in heliborne ops, mountain warfare, UAS/counter-UAS & joint tactical drills—boosting UN PKO &… pic.twitter.com/FgXR39ga22
अमेरिका में क्या करेगी भारतीय सेना?
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि भारतीय सेना के यह जवान अमेरिका के 11वें एयरबोर्न डिवीजन सैनिकों के साथ हेलिबोर्न ऑप्स, माउंटेन वारफेयर, यूएएस/काउंटर-यूएएस और संयुक्त सामरिक अभ्यास में ट्रेनिंग लेंगे. वे संयुक्त राष्ट्र पीकेओ और मल्टी-डोमेन तत्परता को बढ़ावा देंगे. विदेश मंत्रालय ने जो तस्वीर शेयर की है उसमें भारतीय सैनिकों को C-17 ग्लोबमास्टर III के सामने देखा जा सकता है, जो भारत-अमेरिका के संयुक्त रक्षा सहयोग में रणनीतिक उत्थान की गवाही दे रही है.
14 दिन का यह युद्ध-अभ्यास
यह युद्ध अभ्यास 2 सप्ताह तक चलेगा. इसमें दोनों सेनाएं गहन सामरिक अभ्यास करेंगी, जिसमें हेलिबोर्न ऑपरेशन, रॉकक्राफ्ट, पर्वतीय युद्ध, हताहतों को निकालना, युद्ध में चिकित्सा देने की ट्रेनिंग और आर्टिलरी, एविएशन और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम का एकीकरण शामिल है. दोनों देशों के सब्जेक्ट-मैटर एक्सपर्ट सूचना युद्ध, यूएएस और काउंटर-यूएएस रणनीति, संचार और तार्किक समन्वय जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर संयुक्त कार्य समूहों (ज्वाइंट वर्किंग ग्रूप) का नेतृत्व करेंगे.
यह अभ्यास मिलकर प्लान किए गए सामरिक युद्धाभ्यास, लाइव-फायर अभ्यास और अधिक ऊंचाई वाले युद्ध सिमुलेशन के साथ समाप्त होगा.
यह युद्ध-अभ्यास अहम क्यों है?
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग की आधारशिला 'युद्ध अभ्यास' न केवल सैन्य अंतरसंचालनीयता (interoperability) को गहरा करता है बल्कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच विकसित हो रहे रणनीतिक एकता को भी दर्शाता है. विशेष रूप से, यह संयुक्त अभ्यास इस लिए भी खास है क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच अभी रिश्ते तल्ख हो रखे हैं. यहां राजनीतिक जटिलताए हैं, जिसमें बढ़े हुए व्यापार तनाव और रूस के साथ भारत के ऊर्जा संबंधों पर हाल ही में अमेरिका की आलोचना शामिल है.
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