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This Article is From Feb 18, 2013

भारत ने फ्रांस के समक्ष पगड़ी पर रोक का मुद्दा उठाया

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने फ्रांस में पगड़ी पहनने पर प्रतिबंध के बारे में फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद को भारत की ‘भावनाओं’ से अवगत कराया है। इस पर ओलोंद ने आश्वासन दिया है कि वह संबंधित अधिकारियों से सिख समुदाय से बात करने को कहेंगे।

जानकार सूत्रों के अनुसार वार्ता में फ्रांस में सिखों के पगड़ी मुद्दे पर भारत ने अपनी चिंता जताई।

उन्होंने कहा, ‘भारत और फ्रांस के बीच हाल में शिखर सम्मलेन स्तर की वार्ता में (14 फरवरी को) वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, रक्षा खरीद, असैन्य परमाणु सहयोग और व्यापार जैसे मुद्दों के छाए रहने के साथ ही भारत ने फ्रांस में सिख पगड़ी मुद्दे पर अपनी चिंता जताई।’’

सूत्रों ने बताया कि माना जाता है कि प्रधानमंत्री ने मामले में राष्ट्रपति ओलोंद को भारत की ‘भावनाओं’ से अवगत कराया।

उन्होंने कहा, ‘ऐसा समझा जाता है कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने चिंताओं को ध्यान से सुना और संकेत दिए कि अपनी वापसी पर वह अधिकारियों से सलाह मशविरा करेंगे और और उनसे फ्रांस में सिख समुदाय से बात करने को कहेंगे।’’  फ्रांस के साथ इस मुद्दे पर विभिन्न स्तरों पर बाचीत जारी है।

दिसंबर 2012 में फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय में धार्मिक मामलों के दूत रोनाल्ड डुब्रेट्रेंड ने भारत का दौरा किया था और विदेश राज्य मंत्री प्रणीत कौर से चर्चा की थी।

फ्रांस में सड़कों और निजी स्कूलों में सिखों के पगड़ी पहनने पर रोक नहीं है, लेकिन सरकारी स्कूलों में पगड़ी और यहां तक कि क्रॉस चिह्न सहित किसी भी तरह का धार्मिक प्रतीक प्रदर्शित करने पर प्रतिबंध है। 15 मार्च 2004 को फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति जाक शिराक ने फ्रांसीसी शिक्षा संहिता में संशोधन कर सरकारी स्कूलों में ऐसे कपड़े या प्रतीक पहनने पर रोक लगा दी थी जिनसे स्पष्ट तौर पर धार्मिक पहचान झलकती हो।

फ्रांस हमेशा कहता रहा है कि यह कानून विशेष रूप से सिखों के खिलाफ नहीं है, बल्कि इससे कैथोलिक भी प्रभावित हुए हैं जो फ्रांस की आबादी का 80 प्रतिशत हिस्सा हैं।

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