
जो काम दशकों की राजनीतिक और कूटनीतिक खींचतान क्या नहीं कर सकी, शायद वो ट्रंप ने पिछले एक हफ्ते में कर दिया है- भारत और चीन एक साथ आते दिख रहे हैं, जैसा कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले महीने कहा था, "ड्रैगन और हाथी एकसाथ नचाने" के लिए मिलकर काम कर रहे हैं.
चीन पर अमेरिकी राष्ट्रपति टैरिफ वाला बम फोड़ रहे हैं. बीजिंग ने ट्रंप के पहले चरण के 34 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ का जवाब ठीक उतने ही टैरिफ लगाकर दिया तो अमेरिका ने 50 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ और लाद दिया. इससे चीनी सामानों पर अमेरिका में कुल टैरिफ अब 104 प्रतिशत पर पहुंच गया है. साफ दिख रहा है कि दो वैश्विक दिग्गजों के बीच बिना फुल स्केल का व्यापार युद्ध शुरू हो गया है, जिसमें चीन ने "अमेरिकी आक्रामकता ... से अंत तक" लड़ने की कसम खाई है.
दिल्ली में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने एक्स पर कहा, "चीन-भारत आर्थिक और व्यापार संबंध पारस्परिक लाभ पर आधारित हैं. अमेरिका के टैरिफ के दुरुपयोग का सामना करते हुए, जो देशों को, विशेष रूप से 'ग्लोबल साउथ' में, विकास के अधिकार से वंचित करता है, (क्षेत्र में) सबसे बड़े विकासशील देशों को एक साथ खड़ा होना चाहिए..."
China's economy is underpinned by a system that ensures steady growth, and produces positive spillovers. Chinese manufacturing is built on a complete and continually upgrading industrial system, sustained investment in R&D, and a strong focus on innovation.
— Yu Jing (@ChinaSpox_India) April 8, 2025
China is a firm… pic.twitter.com/w3QuSCingL
इस लंबे पोस्ट में ट्रंप के लिए एक चेतावनी भी शामिल थी, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति से कहा गया था, "...व्यापार और टैरिफ वॉर का कोई विजेता नहीं होता. सभी देशों को व्यापक परामर्श के सिद्धांत को कायम रखना चाहिए, सच्चे बहुपक्षवाद का अभ्यास करना चाहिए, (और) संयुक्त रूप से एकतरफावाद और संरक्षणवाद के सभी रूपों का विरोध करना चाहिए."
चीनी दूतावास ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में अपनी ताकत की स्थिति को भी दिखाया. पोस्ट में बताया गया कि चीन औसतन वार्षिक वैश्विक विकास में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देता है. मिस यू की पोस्ट में कहा गया, "हम बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की सुरक्षा के लिए बाकी दुनिया के साथ काम करना जारी रखेंगे."
भारत ने अभी तक इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. प्रवक्ता यू का यह पोस्ट खुद चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के एक बयान के बाद आया है. 1 अप्रैल को शी जिनपिंग ने बीजिंग में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कहा कि भारत और चीन को मिलकर काम करना चाहिए. बीजिंग की तरफ से उच्चतम स्तर से सहयोग की बात करना महत्वपूर्ण है, भले ही यह स्पष्ट है कि इसके पीछ अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ की मार वजह है.
बता दें कि चीन और भारत के बीच रिश्ते ज्यादातर समय कमजोर और बेहद शत्रुतापूर्ण रहे हैं, खासकर जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसा के बाद से.
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