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इजरायल के साथ शांति का जरिया हो सकता है भारत-NDTVसे खास बातचीत में बोलीं फिलिस्‍तीनी विदेश मंत्री 

फिलिस्तीन की विदेश मंत्री डॉक्‍टर वारसेन शाहीन ने मिडिल ईस्‍ट में भारत की बढ़ती कूटनीतिक और मानवीय भूमिका की सराहना की. साथ ही भारत को इजरायल और फिलिस्तीन के बीच एक 'भरोसेमंद दोस्‍त और शांति के लिए संभावित सेतु' बताया.

इजरायल के साथ शांति का जरिया हो सकता है भारत-NDTVसे खास बातचीत में बोलीं फिलिस्‍तीनी विदेश मंत्री 
  • फिलिस्तीन की विदेश मंत्री डॉ. वारसेन शाहीन ने भारत की मिडिल ईस्ट में संतुलित कूटनीति की सराहना की है.
  • डॉ. शाहीन ने कहा कि भारत ने फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन को 1970 के दशक में मान्यता दी और दशकों से समर्थन दिया है.
  • भारत ने साल 1970 के दशक में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) को मान्यता दी थी.
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नई दिल्‍ली:

इजरायल और फिलिस्‍तीन के बीच जारी संघर्ष में अब फिलिस्‍तीन की विदेश मंत्री ने भारत को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. एनडीटीवी के साथ एक खास इंटरव्‍यू में, फिलिस्तीन की विदेश मंत्री डॉक्‍टर वारसेन शाहीन ने मिडिल ईस्‍ट में भारत की बढ़ती कूटनीतिक और मानवीय भूमिका की सराहना की. साथ ही भारत को इजरायल और फिलिस्तीन के बीच एक 'भरोसेमंद दोस्‍त और शांति के लिए संभावित सेतु' बताया. फिलिस्तीनी को नए सिरे से अंतरराष्‍ट्रीय मान्यता मिलने के बीच, उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास हमेशा से ही एक संतुलित कूटनीति और नैतिक नेतृत्व वाला रहा है. ऐसे में वह टू-स्‍टेट्स समाधान को फिर से जिंदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. 

भारत की स्थायी एकजुटता

डॉक्‍टर शाहीन ने फिलिस्तीन के लिए भारत के लंबे समय से जारी समर्थन को याद किया. उन्‍होंने कहा भारत ने साल 1970 के दशक में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) को मान्यता दी थी.साथ ही 1947 में संयुक्त राष्‍ट्र विभाजन योजना के खिलाफ मतदान किया था. उनका कहना था कि भारत के साथ फिलिस्‍तीन के रिश्‍ते दशकों पुराने हैं. फिलिस्‍तीन ने हमेशा भारत को संयुक्त राष्‍ट्र में और मानवीय सहायता के जरिये से सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि विकास के जरिये भी साथ खड़ा देखा है. 

गाजा को भारत से उम्‍मीदें  

डॉक्‍टर शाहीन ने वेस्‍ट बैंक और गाजा में आईटी, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत की तरफ से जारी प्रोजेक्‍ट्स को उसकी प्रतिबद्धता के प्रमाण के तौर पर बताया है. उन्होंने कहा, 'जब मैं रामल्लाह से गुजरती हूं, तो मुझे हर जगह भारत की छाप दिखाई देती है - स्कूलों, क्लीनिकों और टेक्निकल सेंटर्स में, फिलिस्‍तीनी लोगों के लिए भारत का समर्थन बताता है कि दोस्ती मौसमी नहीं होती बल्कि यह ऐतिहासिक होती है.' 

दो साल तक चले युद्ध ने गाजा को पूरा बर्बाद कर दिया है. ऐसे में डाक्‍टर शाहीन ने उम्‍मीद जताई है कि भारत इसके पुनर्निर्माण और स्थिरीकरण के प्रयासों में बड़ी भूमिका निभाएगा. उन्होंने गाजा के पुनर्निर्माण के लिए आगामी अंतरराष्‍ट्रीय ढांचे का जिक्र किया जिसमें भारत की तकनीकी और विकास विशेषज्ञता महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. उन्होंने कहा, 'भारत गाजा के पुनर्निर्माण में योगदान दे सकता है,  आवास, ऊर्जा, डिजिटल बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य के क्षेत्र में.' 

पीएम मोदी की बात का समर्थन 

उन्होंने बातचीत के जरिये शांति के लिए भारत की अपील का समर्थन किया है. साथ ही उन्‍होंने बाली में साल 2022 में जी-20 सम्‍मेलन के दौरान कही गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस बात को दोहराया जिसमें उन्‍होंने कहा था, 'यह युद्ध का युग नहीं है.' वहीं इजरायल के साथ भारत के बढ़ते संबंधों पर भी डॉक्‍टर शाहीन ने बयान दिया. उन्‍होंने कहा कि फिलिस्‍तीन दोनों देशों के साथ भारत के आजाद संबंधों को समझता है. लेकिन हमें यह भी भरोसा है कि भारत की कूटनीति अंतरराष्‍ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के सम्मान से निर्देशित है.' 

उन्होंने आगे कहा कि दोनों पक्षों को शामिल करने की भारत की क्षमता उसे एक 'विश्वसनीय मध्यस्थ' बना सकती है. साथ ही कहा कि फिलिस्‍तीन इजरायल के साथ भारत के संबंधों को किसी खतरे के रूप में नहीं देखता. बल्कि एक मौके के तौर पर देखता है. उनका कहना था कि भारत के पास इजरायल को शांति के लिए प्रभावित करने का एक मौका है. उनका कहना था कि भारत शांति के लिए दोनों देशों के बीच एक पुल के तौर पर हो सकता है. 

आतंकवाद हर जगह निंदनीय  

आतंकवाद के मसले पर डॉक्‍टर शाहीन का कहना था कि भारत हो या फिर मिडिल ईस्‍ट, आतंकी घटनाएं निंदनीय हैं. उन्होंने कहा, 'हमें हर जगह आतंकवाद को खारिज करना चाहिए, कश्‍मीर हो या गाजा में या यूरोप में. लेकिन कब्‍जा और अन्याय की अनदेखी करने से और अधिक हिंसा ही पैदा होती है.' उन्‍होंने आगे कहा, 'भारत कल की शांति को आकार देने में मदद कर सकता है.' उनका कहना था कि भारत कल की शांति को आकार देने में मदद कर सकता है , पक्ष चुनकर नहीं, बल्कि न्याय चुनकर.'

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