पेरिस:
फ्रांस और संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों ने दो हफ्ते तक चले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के बाद अंतिम मसौदा तैयार कर लिया है जिसे आज मंत्रियों के सामने पारित करने के लिए पेश किया जाएगा। फ्रांसीसी मेज़बान ने जानकारी देते हुए कहा कि जलवायु समझौते का अंतिम मसौदा स्वीकार किए जाने के लिए तैयार है और संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाओं में इसका अनुवाद किया जाएगा। वार्ता की अध्यक्षता कर रहे फ्रांस के विदेश मंत्री लारेंट फेबियस के कार्यालय में एक अधिकारी ने एएफपी से कहा कि 'हमारा पास पेश करने के लिए पाठ है।’
शुक्रवार को ही इस समझौते पर मुहर लगने की उम्मीद थी लेकिन बात नहीं बन सकी। उम्मीद की जा रही थी कि आज रात तक समझौता हो जाएगा। इससे पहले भारत के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि पेरिस में कोई समझौता होगा या नहीं ये इस बात पर निर्भर है कि अमीर देश कितनी दरियादिली और लचीलापन दिखाएंगे। जावड़ेकर का कहना था कि विकसित देशों के सही रुख़ पर ही सबकुछ निर्भर है वरना ये धोखे जैसा है।
सावधानी बरतना ज़रूरी
वैसे पेरिस में चल रही जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत एक अहम भागीदार बनकर उभरा है। शुक्रवार को टाइम पत्रिका की एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार 'इस वार्ता में भारत एक अहम खिलाड़ी के रूप में सामने आया है।' पत्रिका ने कहा कि भारतीय नेता जलवायु परिवर्तन के मामले पर ऐसी स्थिति में हैं जहां उन्हें बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
टाइम पत्रिका के मुताबिक भारत के अधिकारी दिखाना चाहते हैं कि विश्व का चौथा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं में एक रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है। यही नहीं विश्व में ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े प्रदूषक चीन को विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन पर अंकुश के लिए जल्द ही ऐतिहासिक वैश्विक समझौता हो जाएगा।
शुक्रवार को ही इस समझौते पर मुहर लगने की उम्मीद थी लेकिन बात नहीं बन सकी। उम्मीद की जा रही थी कि आज रात तक समझौता हो जाएगा। इससे पहले भारत के पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि पेरिस में कोई समझौता होगा या नहीं ये इस बात पर निर्भर है कि अमीर देश कितनी दरियादिली और लचीलापन दिखाएंगे। जावड़ेकर का कहना था कि विकसित देशों के सही रुख़ पर ही सबकुछ निर्भर है वरना ये धोखे जैसा है।
सावधानी बरतना ज़रूरी
वैसे पेरिस में चल रही जलवायु परिवर्तन वार्ता में भारत एक अहम भागीदार बनकर उभरा है। शुक्रवार को टाइम पत्रिका की एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार 'इस वार्ता में भारत एक अहम खिलाड़ी के रूप में सामने आया है।' पत्रिका ने कहा कि भारतीय नेता जलवायु परिवर्तन के मामले पर ऐसी स्थिति में हैं जहां उन्हें बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
टाइम पत्रिका के मुताबिक भारत के अधिकारी दिखाना चाहते हैं कि विश्व का चौथा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं में एक रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है। यही नहीं विश्व में ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े प्रदूषक चीन को विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन पर अंकुश के लिए जल्द ही ऐतिहासिक वैश्विक समझौता हो जाएगा।
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