पर्यावरणविद् ग्रेटा थुनबर्ग (Climate Activist Greta Thunberg) हाल ही में ट्विटर पर जर्मन रेल की एक कंपनी के साथ बहस में उलझ गईं. दरअसल, ग्रेटा, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए शुरू किए गए अपने रोड कैंपेन के पूरा होने के बाद अपने घर स्वीडन जा रही थीं. इस दौरान उन्होंने जर्मनी की एक ट्रेन से यात्रा की थी और इसकी एक तस्वीर को भी उन्होंने अपने ट्विटर पर शेयर किया था.
तस्वीर में ग्रेटा, नीचे बैठी हुई हैं और खिड़की से बाहर की तरफ देख रही हैं. तस्वीर में उनके साथ उनका सामान भी नजर आ रहा है. बता दें, जर्मनी में इस ट्रेन का संचालन Deutsche Bahn नाम की प्राइवेट कंपनी करती है. अपनी तस्वीर को शेयर करते हुए ग्रेटा ने लिखा, ''मैं जर्मनी की एक भीड़ से भरी ट्रेन में सफर कर रही हूं और आखिरकार अपने घर जा रही हूं''.
Traveling on overcrowded trains through Germany. And I'm finally on my way home! pic.twitter.com/ssfLCPsR8o
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) December 14, 2019
एबीसी न्यूज के मुताबिक इसके बाद Deutsche Bahn ने एक बाद एक ट्वीट करते हुए पहले तो पर्यावरण के क्षेत्र में ग्रेटा के काम को लेकर उनकी सराहना की और इसके बाद कहा कि वह जिस ट्रेन में सफर कर रही हैं वो 100 फीसदी पर्यावरण के अनुकूल बिजली का प्रयोग करती है. इसके आगे कंपनी ने लिखा, ''हम अधिक ट्रेन, कनेक्शन और सीटें उपलब्ध कराने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं''. कंपनी ने लिखा, ''यह और भी अच्छा होता अगर आपने ध्यान दिया होता कि हमारी टीम ने आप लोगों की सुविधा के लिए कितने अच्छे से काम किया ताकि आपको किसी तरह की परेशानी न हो''.
इसके बाद ग्रेटा ने एक अन्य ट्वीट करते हुए लिखा, ''यह कोई परेशानी की बात नहीं है और मैंने ऐसा नहीं कहा. भीड़ भरी ट्रेन का होना अच्छा है क्योंकि इसका मतलब है कि लोगों की बीच ट्रेन की अधिक मांग है''.
Our train from Basel was taken out of traffic. So we sat on the floor on 2 different trains. After Göttingen I got a seat.This is no problem of course and I never said it was. Overcrowded trains is a great sign because it means the demand for train travel is high!
— Greta Thunberg (@GretaThunberg) December 15, 2019
गौरतलब है कि ग्रेटा ने पिछले साल अगस्त में दुनियाभर में पर्यावरण सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए अपनी यात्रा शुरू की थी. इसके तहत उन्होंने बोट और ट्रेन के माध्यम से ही यात्रा की थी क्योंकि हवाईजहाज से पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है. वह पहले भी दो बार सेलबोट पर अटलांटिक पार कर चुकी हैं.
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