
"मां अब मैं तुमको गले कैसे लगा पाऊंगा" यह वह पहला वाक्य था जो नन्हे महमूद ने अपनी मां से कहा. जब उसे पता चला कि इजरायली हमले ने उसके दोनों हाथ हमेशा के लिए छीन लिए गए हैं. महमूद अजोर फिलीस्तीन का बच्चा है, जिसके दोनों हाथ गाजा पर हुए हमले में चले गए. वह अब कतर की राजधानी दोहा में रहता है. लोग दोनों हाथों से जिंदगी का बोझ नहीं उठा पाते, लेकिन अब नौ साल के इस बच्चे को बिना हाथ के जिंदगी का दोगुना बोझ उठाना है.

बेस्ट फोटो का मिला अवॉर्ड
इस दुर्भाग्यपूर्ण और मार्मिक तस्वीर को गाजा की फोटोग्राफर समर अबू ऐलोफ ने लिया है. वह न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए काम करती हैं. समर के इस फोटो को वर्ल्ड प्रेस फोटो ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया गया है. समर भी गाजा की हैं और दिसंबर 2023 में उन्हें हमले की वजह से अपना घर छोड़ना पड़ा था. वह अब युद्ध में घायल लोगों की तस्वीरों के जरिए उनकी कहानियां दुनिया तक पहुंचाती हैं.
युद्ध की कहानी बताती तस्वीर
वर्ल्ड प्रेस फोटो की कार्यकारी निदेशक जौमाना अल जैन खूरी ने कहा कि यह तस्वीर बहुत कुछ कह जाती है. यह सिर्फ एक बच्चे की कहानी नहीं, बल्कि एक भयावह युद्ध की सच्चाई को उजागर करती है, जिसका दंश आने वाली पीढ़ियों को भी झेलना पड़ेगा. बेशक, यह तस्वीर देखने वालों के मन में कई सवाल छोड़ जाती है, खासकर महमूद के भविष्य को लेकर, जिसको लेकर जूरी भी सोच में हैं.
पैरों से लिख रहा नई उम्मीदें
जूरी ने कहा कि बच्चा अब अपने फोन पर गेम खेलना, लिखना शुरू कर चुका है. वह अपने पैरों से जिंदगी के दरवाजे खोलना सीख रहा है, लेकिन उसे खाने और कपड़े पहनने जैसे ज्यादातर दैनिक कार्यों के लिए अभी भी विशेष सहायता की जरूरत पड़ती है. नन्हा महमूद दोनों हाथ खोकर भी बाकियों से जिंदादिल है. वह अपने पैरों से उम्मीद की नई कहानी लिख रहा है.
बाकी बच्चों के जैसे जीना चाहता है महमूद
वर्ल्ड प्रेस फोटो के आयोजकों ने एक बयान में कहा कि महमूद का सपना बेहद साधारण है. वह प्रोस्थेटिक्स को मदद अपने हाथ दोबारा पाना चाहता है और किसी अन्य बच्चे की तरह अपनी जिंदगी जीना चाहता है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं