नई दिल्ली:
पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री रहमान मलिक का तीन दिवसीय भारत दौरा रविवार को एक नए विवाद के साथ सम्पन्न हुआ।
मलिक ने 2008 के मुम्बई हमले के लिए अराजक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया और कहा इस मामले का एक आरोपी अबु जुंदाल वास्तव में एक प्रमुख भारतीय खुफिया एजेंसी का एजेंट था।
स्वदेश रवाना होने से पहले मलिक ने यह भी कहा कि पाकिस्तान मुम्बई हमले में किसी भी रूप में शामिल नहीं था, जिसमें 166 व्यक्ति मारे गए थे।
मलिक ने यहां ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक चर्चा सत्र में कहा कि उनका देश लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और मुम्बई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत से ठोस सबूत चाहता है।
मलिक ने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाकिस्तान का दौरा करने से पहले 26/11 की साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई चाहते हैं।
मलिक ने कहा कि अबु जुंदाल एक अपराधी था, जिसने भारत की एक प्रमुख एजेंसी के एक स्रोत के रूप में काम किया। उन्होंने कहा कि वह एक दोहरा एजेंट बन सकता था।
जुंदाल का असली नाम सैयद जबीउद्दीन अंसारी है और माना जाता है कि वह मुम्बई हमले के वक्त कराची स्थित आतंकवादी नियंत्रण कक्ष में मौजूद था। जुंदाल को सऊदी अरब से प्रत्यर्पण के बाद जून में दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन भारतीय गृह सचिव आरके सिंह ने मलिक के दावे को हास्यास्पद बताया है।
मलिक ने डेविड कोलमैन हेडली, अबु जुंदाल, एसए अंसारी उर्फ इलियास कश्मीरी की मुम्बई हमले में भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि इसे अराजक तत्वों ने अंजाम दिया था।
मलिक ने कहा, "हमारे यहां अराजक तत्व हैं, आपके यहां अराजक तत्व हैं। लिहाजा हमें इसी बीच में आगे का कोई रास्ता निकालना है।"
मलिक ने कहा कि गवाहों से पूछताछ के लिए पाकिस्तानी न्यायिक आयोग का भारत का प्रस्तावित दौरा मुम्बई हमले के सम्बंध में पाकिस्तान में गिरफ्तार सात लोगों को दोषी ठहराने में मददगार होगा।
पाक मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने पाकिस्तानी अदालत में आरोपियों के खिलाफ अकाट्य सबूत पेश किए हैं।
मलिक ने कहा कि भारत दूसरे न्यायिक आयोग के दौरे की शर्तें तय कर सकता है, जो गवाहों से पूछताछ करेगा।
मलिक ने कहा, "प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद हम दोषी ठहराने की कार्रवाई में सक्षम हो जाएंगे।"
सईद के बारे में मलिक ने कहा कि उनके देश को सबूत की जरूरत है और भारत द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी को अदालत ने पर्याप्त नहीं पाया है, क्योंकि यह अजमल कसाब के एक बयान पर आधारित है।
मुम्बई हमले के दौरान एक मात्र जीवित पकड़े गए आतंकवादी कसाब को 21 नवम्बर को फांसी दे दी गई।
मलिक ने कहा, "हमें ठोस सबूत की जरूरत है... हम अभी भी उसका इंतजार कर रहे हैं।"
मलिक ने कहा कि पाकिस्तान सईद के खिलाफ तभी कार्रवाई कर सकता है, जब भारत का सबूत न्यायालय में टिक सके।
पाकिस्तान से जम्मू एवं कश्मीर में होने वाली घुसपैठ के बारे में मलिक ने कहा कि उनकी सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है।
मलिक ने कहा कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज को यह देखने के लिए पाकिस्तान आमंत्रित किया है कि वहां से हिंदुओं का कोई पलायन नहीं हो रहा है। मलिक ने स्वराज से शनिवार को मुलाकात की थी।
मलिक ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने 1992 के बाबरी विध्वंस को मुम्बई हमले से जोड़ा था। उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया।
मलिक ने कहा कि भारतीय नेताओं के साथ बहुत ही अच्छी बातचीत हुई और उन्होंने अपनी सरकार के संदेश को प्रभावी तरीके से अवगत कराया। उन्होंने कहा, "आइए हम सभी भाई-भाई बनें।"
पाकिस्तान में चरमवाद के बारे में मलिक ने कहा कि इसकी जड़ें सोवियत संघ और अफगानिस्तान के बीच युद्ध के दौरान के जिहाद से जुड़ी हुई हैं।
मलिक ने कहा कि सोवित संघ से लड़ने के लिए हजारों की संख्या में जिहादी पाकिस्तान आए और युद्ध के बाद उनके पास करने के लिए कुछ नहीं बचा।
मलिक ने कहा, "इससे तालिबान का विकास हुआ। चरमवाद फैलता रहा।" उन्होंने कहा कि युद्ध की समाप्ति के समय क्षेत्र में 300 मदरसे थे। पाकिस्तान में जब मौजूदा सरकार सत्ता में आई थी, उस समय तक मदरसों की संख्या बढ़कर 23,000 हो गई थी।
मलिक ने कहा कि सभी मदरसे आतंकवाद में लिप्त नहीं हैं, लेकिन मदरसों में पढ़ने वालों का मन बदलने की कोशिशें की जाती हैं। उन्होंने कहा कि धर्म और गरीबी दो प्रमुख बातें हैं, और जब ये दोनों मिलती हैं तो बहुत घातक हो सकती हैं। हम आज इसी का सामना कर रहे हैं।
मलिक ने दौरे के अंतिम दिन 14वीं सदी के सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर जियारत भी की और भारत-पाकिस्तान के बीच सद्भावपूर्ण सम्बंधों के लिए दुआ मांगी।
मलिक ने दरगाह पर जियारत करने के बाद संवाददाताओं से कहा, "मैंने अल्लाह से दोनों देशों के बीच सद्भावनापूर्ण व शांतिपूर्ण सम्बंधों के लिए और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में भारत सरकार से पाकिस्तान को सहायता के लिए प्रार्थना की है।"
सुबह से ही दरगाह परिसर में मलिक के आगमन की सुबगुबाहट थी। मलिक पहले अमीर खुसरो की दरगाह गए और इसी परिसर में स्थित मस्जिद में नमाज अदा की।
हजरत निजामुद्दीन औलिया के वंशज होने का दावा करने वाले नाजिम निजामी, दीवान ताहिर निजामी, दीवान मसूद निजामी और सैयद अजमल निजामी दरगाह दौरे के समय मलिक के साथ थे।
मलिक ने 2008 के मुम्बई हमले के लिए अराजक तत्वों को जिम्मेदार ठहराया और कहा इस मामले का एक आरोपी अबु जुंदाल वास्तव में एक प्रमुख भारतीय खुफिया एजेंसी का एजेंट था।
स्वदेश रवाना होने से पहले मलिक ने यह भी कहा कि पाकिस्तान मुम्बई हमले में किसी भी रूप में शामिल नहीं था, जिसमें 166 व्यक्ति मारे गए थे।
मलिक ने यहां ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक चर्चा सत्र में कहा कि उनका देश लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और मुम्बई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भारत से ठोस सबूत चाहता है।
मलिक ने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाकिस्तान का दौरा करने से पहले 26/11 की साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई चाहते हैं।
मलिक ने कहा कि अबु जुंदाल एक अपराधी था, जिसने भारत की एक प्रमुख एजेंसी के एक स्रोत के रूप में काम किया। उन्होंने कहा कि वह एक दोहरा एजेंट बन सकता था।
जुंदाल का असली नाम सैयद जबीउद्दीन अंसारी है और माना जाता है कि वह मुम्बई हमले के वक्त कराची स्थित आतंकवादी नियंत्रण कक्ष में मौजूद था। जुंदाल को सऊदी अरब से प्रत्यर्पण के बाद जून में दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन भारतीय गृह सचिव आरके सिंह ने मलिक के दावे को हास्यास्पद बताया है।
मलिक ने डेविड कोलमैन हेडली, अबु जुंदाल, एसए अंसारी उर्फ इलियास कश्मीरी की मुम्बई हमले में भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि इसे अराजक तत्वों ने अंजाम दिया था।
मलिक ने कहा, "हमारे यहां अराजक तत्व हैं, आपके यहां अराजक तत्व हैं। लिहाजा हमें इसी बीच में आगे का कोई रास्ता निकालना है।"
मलिक ने कहा कि गवाहों से पूछताछ के लिए पाकिस्तानी न्यायिक आयोग का भारत का प्रस्तावित दौरा मुम्बई हमले के सम्बंध में पाकिस्तान में गिरफ्तार सात लोगों को दोषी ठहराने में मददगार होगा।
पाक मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने पाकिस्तानी अदालत में आरोपियों के खिलाफ अकाट्य सबूत पेश किए हैं।
मलिक ने कहा कि भारत दूसरे न्यायिक आयोग के दौरे की शर्तें तय कर सकता है, जो गवाहों से पूछताछ करेगा।
मलिक ने कहा, "प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद हम दोषी ठहराने की कार्रवाई में सक्षम हो जाएंगे।"
सईद के बारे में मलिक ने कहा कि उनके देश को सबूत की जरूरत है और भारत द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी को अदालत ने पर्याप्त नहीं पाया है, क्योंकि यह अजमल कसाब के एक बयान पर आधारित है।
मुम्बई हमले के दौरान एक मात्र जीवित पकड़े गए आतंकवादी कसाब को 21 नवम्बर को फांसी दे दी गई।
मलिक ने कहा, "हमें ठोस सबूत की जरूरत है... हम अभी भी उसका इंतजार कर रहे हैं।"
मलिक ने कहा कि पाकिस्तान सईद के खिलाफ तभी कार्रवाई कर सकता है, जब भारत का सबूत न्यायालय में टिक सके।
पाकिस्तान से जम्मू एवं कश्मीर में होने वाली घुसपैठ के बारे में मलिक ने कहा कि उनकी सरकार का इसमें कोई हाथ नहीं है।
मलिक ने कहा कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज को यह देखने के लिए पाकिस्तान आमंत्रित किया है कि वहां से हिंदुओं का कोई पलायन नहीं हो रहा है। मलिक ने स्वराज से शनिवार को मुलाकात की थी।
मलिक ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने 1992 के बाबरी विध्वंस को मुम्बई हमले से जोड़ा था। उन्होंने कहा कि मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया।
मलिक ने कहा कि भारतीय नेताओं के साथ बहुत ही अच्छी बातचीत हुई और उन्होंने अपनी सरकार के संदेश को प्रभावी तरीके से अवगत कराया। उन्होंने कहा, "आइए हम सभी भाई-भाई बनें।"
पाकिस्तान में चरमवाद के बारे में मलिक ने कहा कि इसकी जड़ें सोवियत संघ और अफगानिस्तान के बीच युद्ध के दौरान के जिहाद से जुड़ी हुई हैं।
मलिक ने कहा कि सोवित संघ से लड़ने के लिए हजारों की संख्या में जिहादी पाकिस्तान आए और युद्ध के बाद उनके पास करने के लिए कुछ नहीं बचा।
मलिक ने कहा, "इससे तालिबान का विकास हुआ। चरमवाद फैलता रहा।" उन्होंने कहा कि युद्ध की समाप्ति के समय क्षेत्र में 300 मदरसे थे। पाकिस्तान में जब मौजूदा सरकार सत्ता में आई थी, उस समय तक मदरसों की संख्या बढ़कर 23,000 हो गई थी।
मलिक ने कहा कि सभी मदरसे आतंकवाद में लिप्त नहीं हैं, लेकिन मदरसों में पढ़ने वालों का मन बदलने की कोशिशें की जाती हैं। उन्होंने कहा कि धर्म और गरीबी दो प्रमुख बातें हैं, और जब ये दोनों मिलती हैं तो बहुत घातक हो सकती हैं। हम आज इसी का सामना कर रहे हैं।
मलिक ने दौरे के अंतिम दिन 14वीं सदी के सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर जियारत भी की और भारत-पाकिस्तान के बीच सद्भावपूर्ण सम्बंधों के लिए दुआ मांगी।
मलिक ने दरगाह पर जियारत करने के बाद संवाददाताओं से कहा, "मैंने अल्लाह से दोनों देशों के बीच सद्भावनापूर्ण व शांतिपूर्ण सम्बंधों के लिए और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में भारत सरकार से पाकिस्तान को सहायता के लिए प्रार्थना की है।"
सुबह से ही दरगाह परिसर में मलिक के आगमन की सुबगुबाहट थी। मलिक पहले अमीर खुसरो की दरगाह गए और इसी परिसर में स्थित मस्जिद में नमाज अदा की।
हजरत निजामुद्दीन औलिया के वंशज होने का दावा करने वाले नाजिम निजामी, दीवान ताहिर निजामी, दीवान मसूद निजामी और सैयद अजमल निजामी दरगाह दौरे के समय मलिक के साथ थे।
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