
- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों फिलीस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने की तैयारी कर चुके हैं.
- मैक्रों ने कहा कि फिलीस्तीन को मान्यता देना क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए राजनीतिक समाधान है.
- फ्रांस गाजा में इंटरनेशनल स्टेबलाइजेशन मिशन स्थापित कर इजरायल डिफेंस फोर्स की जगह लेने की तैयारी कर रहा है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो कुछ ऐसा करने वाले हैं जो इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का गुस्सा और भड़क सकता है. मैंक्रो न सिर्फ फिलीस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता देने को तैयार हैं बल्कि उन्होंने गाजा में एक खास मिशन को शुरू करने की तैयारी कर ली है. इस मिशन का मकसद गाजा में हमास को कमजोर करना होगा. फ्रांस चाहता है कि उसके इस मिशन में कुछ और देश भी साथी बनें. रविवार को ही यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने फिलीस्तीन को एक देश का दर्जा देने का ऐलान किया है.
फैसले का किया बचाव
फ्रांस के प्रधानमंत्री इमैनुएल मैक्रों ने रविवार को हमास और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध के बीच ही फिलीस्तीन को एक देश का दर्जा देने के अपने फैसले का बचाव किया है. सीबीएस के 'फेस द नेशन' को दिए एक इंटरव्यू में मैंक्रो ने होस्ट मार्गरेट ब्रेनन से कहा कि फ्रांस क्षेत्र के लिए 'शांति और सुरक्षा' चाहता है. पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार मैक्रों ने कहा है कि अगर हम इस क्षेत्र में सभी के लिए शांति और सुरक्षा चाहते हैं, तो हमें सभी के लिए एक राजनीतिक दृष्टिकोण की स्थिति बनाए रखनी होगी.
मैंक्रो की मानें तो फिलीस्तीन को आज मान्यता देना ही उस स्थिति का राजनीतिक समाधान है. संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से 147 देशों ने फिलीस्तीन को मान्यता दी है. हालांकि मैंक्रो ने कहा है कि मान्यता देने से यह नहीं समझना चाहिए कि फ्रांस अपना दूतावास वहां पर खोलेगा. उनका कहना था कि जब तक हमास एक-एक बंधक को आजाद नहीं कर देता है तब तक फ्रांस का दूतावास फिलीस्तीन में नहीं खुलेगा.
IDF की जगह खास मिशन
वहीं दूसरी ओर एक और अहम घटनाक्रम के तहत फ्रांस ने इजरायल में एक खास मिशन को शुरू करने का मन बनाया है. टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस की तरफ से एक खास ड्राफ्ट तैयार किया गया है. इस ड्राफ्ट में गाजा में फ्रांस एक 'इंटरनेशनल स्टेब्लाइजेशन मिशन' को स्थापित करने के अपने मकसद की तरफ बढ़ रहा है. इस मिशन के तहत फ्रांस गाजा में, इजरायल डिफेंस फोर्सेज यानी आईडीएफ की जगह लेगा और युद्ध खत्म होने के बाद हमास को निरस्त्र करने की दिशा में काम करेगा.
मैंक्रो की मानें तो इस प्रस्ताव का मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन पाए उस घोषणापत्र को लागू करना है, जिसमें द्वि-राष्ट्र समाधान, हमास के निरस्त्रीकरण और गाजा में आंतरिक सुरक्षा को धीरे-धीरे फिलीस्तीन प्राधिकरण को ट्रांसफर करने की अपील की गई है. मैंक्रो चाहते हैं कि इस मिशन में खासतौर पर मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर को पसंदीदा उम्मीदवारों के रूप में नामित किया गया है.
फिलीस्तीनी सैनिकों की जांच
मैक्रों का मानना है कि फिलीस्तीन को मान्यता देने का उनका फैसला, हमास को निरस्त्र करने के लिए जरूरी सुरक्षा मिशन के लिए अरब देशों को साथ लाने के लिए महत्वपूर्ण होगा.मैक्रों ने फ्रांस की प्लानिंग के बारे में कुछ और ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया. उन्होंने इतना जरूर कहा कि इसके तहत इजरायल फिलीस्तीनी सैनिकों की जांच करेगा.
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