पाकिस्तान के पूर्व चीफ जस्टिस नासिर-उल-मुल्क. (फाइल फोटो)
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के पूर्व चीफ जस्टिस नासिर-उल-मुल्क को सोमवार को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. विपक्ष के नेता खुर्शीद शाह के साथ प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और नेशनल एसेंबली के अध्यक्ष अयाज सादिक ने यह घोषणा एक संयुक्त प्रेस वार्ता में की.
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अब्बासी ने कहा, "हमने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए एक उम्मीदवार का चयन किया है, जो आगामी आम चुनाव में लोकतांत्रिक भूमिका निभाएगा." उन्होंने कहा कि प्रत्येक नाम पर चर्चा की गई और उन नामों में एक नाम तय किया गया. यह वह नाम है, जिस पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता.
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शाह ने कहा, "किसी ने भी नाम पर आपत्ति नहीं जाहिर की. हमने उनके नाम का चुनाव योग्यता के आधार पर किया है." डॉन ऑनलाइन की खबर के मुताबिक, इस प्रतिष्ठित पद के लिए नाम तय करने में सरकार और विपक्ष को छह बैठकें करनी पड़ीं. इससे पहले दोनों पक्षों के बीच आमसहमति की कमी थी.
न्यायमूर्ति मुल्क ने पाकिस्तान के 22वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवा की है. उन्होंने 30 नवंबर, 2013 से छह जुलाई, 2014 तक कार्यवाहक मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं. वह उन सात न्यायाधीशों में से एक हैं, जिन्होंने तीन नवंबर, 2007 को पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा आपातकाल लागू कर न्यायाधीशों को जबरन घर भेजने पर निरोधक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे.
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अब्बासी ने कहा, "हमने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए एक उम्मीदवार का चयन किया है, जो आगामी आम चुनाव में लोकतांत्रिक भूमिका निभाएगा." उन्होंने कहा कि प्रत्येक नाम पर चर्चा की गई और उन नामों में एक नाम तय किया गया. यह वह नाम है, जिस पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता.
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शाह ने कहा, "किसी ने भी नाम पर आपत्ति नहीं जाहिर की. हमने उनके नाम का चुनाव योग्यता के आधार पर किया है." डॉन ऑनलाइन की खबर के मुताबिक, इस प्रतिष्ठित पद के लिए नाम तय करने में सरकार और विपक्ष को छह बैठकें करनी पड़ीं. इससे पहले दोनों पक्षों के बीच आमसहमति की कमी थी.
न्यायमूर्ति मुल्क ने पाकिस्तान के 22वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में सेवा की है. उन्होंने 30 नवंबर, 2013 से छह जुलाई, 2014 तक कार्यवाहक मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं. वह उन सात न्यायाधीशों में से एक हैं, जिन्होंने तीन नवंबर, 2007 को पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा आपातकाल लागू कर न्यायाधीशों को जबरन घर भेजने पर निरोधक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे.
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