विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रियाद में सऊदी अरब के समकक्ष के साथ की बातचीत, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर हुई चर्चा

जयशंकर ने शनिवार को भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के साथ सऊदी अरब की अपनी यात्रा की शुरुआत की थी. उन्होंने राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करने में प्रवासी भारतीयों के योगदान की सराहना की.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रियाद में सऊदी अरब के समकक्ष के साथ की बातचीत, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर हुई चर्चा

रियाद:

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को सऊदी अरब के अपने समकक्ष प्रिंस फैजल बिन फरहान के साथ गर्मजोशी भरी सार्थक बातचीत की. बैठक में दोनों नेताओं ने वर्तमान वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की और जी-20 व अन्य बहुपक्षीय संगठनों में मिलकर काम करने पर सहमत हुए. जयशंकर सऊदी अरब के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर शनिवार को रियाद पहुंचे थे. विदेश मंत्री के रूप में यह सऊदी अरब की उनकी पहली यात्रा है.

रविवार को जयशंकर ने अपने सऊदी समकक्ष के साथ भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद के ढांचे के तहत स्थापित राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग समिति (पीएसएससी) की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता की.

जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘आज दोपहर सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैजल बिन फरहान के साथ गर्मजोशी भरी सार्थक वार्ता की. भारत-सऊदी अरब साझेदारी परिषद की राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक समिति की सह-अध्यक्षता की.'' विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने वर्तमान वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक चिंताओं पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘‘हम जी20 और अन्य बहुपक्षीय संगठनों में मिलकर काम करने पर सहमत हुए.''

भारत और सऊदी अरब में सदियों पुराने आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक जुड़ाव के साथ सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं. सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है.

इससे पहले, जयशंकर ने सुबह रियाद में ‘प्रिंस सऊद अल फैजल इंस्टीट्यूट ऑफ डिप्लोमैटिक स्टडीज' में राजनयिकों को संबोधित किया. अपने संबोधन के दौरान मंत्री ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि उनके बीच सहयोग साझा विकास, समृद्धि, स्थिरता, सुरक्षा और विकास का भरोसा दिलाता है.

जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘प्रिंस सऊद अल फैजल इंस्टीट्यूट ऑफ डिप्लोमैटिक स्टडीज' में राजनयिकों को संबोधित किया. ऐसे समय में जब दुनिया विभिन्न मुद्दों का सामना कर रही है, भारत-सऊदी रणनीतिक संबंधों के महत्व को रेखांकित किया.''

भारत के कच्चे तेल का 18 प्रतिशत से अधिक आयात सऊदी अरब से होता है. वित्त वर्ष 2022 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 29.28 अरब डॉलर था. इस अवधि में सऊदी अरब से भारत का आयात 22.65 अरब डॉलर का था और भारत से सऊदी अरब को निर्यात 6.63 अरब डॉलर का था.

जयशंकर ने शनिवार को भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के साथ सऊदी अरब की अपनी यात्रा की शुरुआत की थी. उन्होंने राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करने में प्रवासी भारतीयों के योगदान की सराहना की.

जयशंकर ने ट्वीट किया था, ‘‘भारतीय समुदाय से बातचीत के साथ सऊदी अरब की अपनी यात्रा शुरू की. राष्ट्रीय चुनौतियों का सामना करने में हमारे प्रवासियों के योगदान की सराहना की. उनसे हमारे देश के संकट से उबरने, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के समय, और भारत में मौजूदा राष्ट्रीय परिवर्तन के बारे में बात की.''

रियाद स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, सऊदी अरब में लगभग 22 लाख भारतीय हैं, जो यहां सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है.

जयशंकर ने कहा कि भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने और उच्च आय वाले देश के रूप में उभरने के लिए ठोस प्रयास किए हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि यूक्रेन संकट से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत कम से कम सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के साथ इस वर्ष दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगा.

भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा था, ‘‘भारत उन तरीकों के बारे में सोचता है, जिनसे वह अपनी ऋण, बैंकिंग, शिक्षा और श्रम नीति को बदल सकता है.'' जयशंकर ने भारत और सऊदी अरब के बीच संबंधों में मजबूती की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि कोविड संकट के दौरान ‘‘हमने देखा कि हमारी अंतरराष्ट्रीय मित्रता भी काम आई.''

जयशंकर ने कहा, ‘‘सऊदी अरब बहुत मददगार था और उसने ऑक्सीजन की आपूर्ति की. दो साल कोविड-19 ने देश की परीक्षा ली, लेकिन हम इसमें कामयाब रहे.'' दोनों देशों के बीच संबंधों में प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘कई मायनों में आप सभी ने भारत की छवि को आकार दिया, खासकर सऊदी भारत के बारे में क्या सोचता है और हम क्या हैं.''

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जयशंकर ने अपनी यात्रा के पहले दिन शनिवार को खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के महासचिव से भी मुलाकात की थी और मौजूदा क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया था.