Explainer: अमेरिकी छापे में 'अल कुरैशी' की मौत से आतंकी संगठन 'इस्लामिक स्टेट' होगा खत्म?

सीरिया (Syria) में अमेरिकी (US) विशेष बलों द्वारा रात भर की गई छापेमारी में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) के नेता अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी (abu ibrahim al-hashimi al-qurashi) की मौत हो गई. जानें कौन था अल कुरैशी?

Explainer: अमेरिकी छापे में 'अल कुरैशी' की मौत से आतंकी संगठन 'इस्लामिक स्टेट' होगा खत्म?

सीरिया में अमेरिकी छापे में इस्लामिक स्टेट नेता ने खुद को परिवार समेत उड़ाया

अमेरिका (USA) ने सीरिया (Syria) में स्पेशल ऑपरेशन ने आंतकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के नेता पर छापेमारी की.  इस्लामिक स्टेट के नेता अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी ने देश के उत्तर-पश्चिमी इदलिब प्रांत में अपने परिसर में एक बम विस्फोट करके खुद को खत्म कर लिया. विस्फोट में बच्चों सहित उसके परिवार के सदस्यों की भी मौत हो गई. अमेरिकी अधिकारियों ने यह जानकारी दी.द कन्वरसेशन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी सैन्य अकादमी में आतंकवाद विशेषज्ञ अमीरा जादून अमीरा जादून, जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम ऑन एक्सट्रीमिज़्म के रिसर्च फेलो, हारो जे. इनग्राम और एंड्रयू माइंस ने यह समझाने के की कोशिश की, कि यह हमला अमेरिका की आतंकवाद विरोधी रणनीति पर कैसे फिट बैठता है, और इससे इस्लामिक स्टेट को कितना नुकसान हुआ है? 

 यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी बलों ने आतंकवादी संगठनों के प्रमुखों को निशाना बनाया है और यह भी पहली बार नहीं है कि वह इस तरह की कार्रवाई में सफल हुए हैं. 

1. अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी कौन था?

v5v43m4s

अबू इब्राहिम अल-हाशिमी अल-कुरैशी, अमीर मुहम्मद सईद अब्दाल-रहमान अल-मावला द्वारा अपनाया गया उपनाम है, जो 2019 में अमेरिकी छापे में अबू बक्र अल-बगदादी की मौत के बाद इस्लामिक स्टेट का नेता बना.

उसका जन्म 1976 में उत्तरी इराक के मोसुल में हुआ था.  लेकिन सितंबर 2020 तक अल-कुरैशी के बारे में बहुत कम जानकारी थी, जब यह पता चला कि उसे 2008 की शुरुआत में इराक में अमेरिकी सेना द्वारा हिरासत में लिया गया था और उससे पूछताछ की गई थी.

उस अवधि से अवर्गीकृत सामरिक जांच रिपोर्ट बताती है कि अल-कुरैशी ने उच्च शिक्षा ग्रहण की थी और वह इस्लामिक स्टेट में एकाएक नेता के रूप में उभरा.

अल-कुरैशी के दावे के अनुसार वह 2007 में मोसुल विश्वविद्यालय से कुरान की पढ़ाई में मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद समूह में शामिल हुआ था.

अल-कुरैशी की रिहाई के बाद अगले दशक की उसकी गतिविधियों के बारे में अपेक्षाकृत कम जानकारी है. लेकिन उसने कथित तौर पर इस्लामिक स्टेट समूह के इराक के अल्पसंख्यक यज़ीदियों के नरसंहार के प्रयास की देखरेख की और कम से कम 2018 के बाद से अल-बगदादी के डिप्टी के रूप में कार्य किया.

‘‘खलीफा'' में उसका उदय जिहादी हलकों में विवादास्पद था, नेता बनने के बाद उसके पूछताछ रिकॉर्ड जारी होने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ा.

2. आतंकवादी समूहों के प्रमुखों को मारने का क्या प्रभाव पड़ा है?

नेतृत्व को खत्म करना - या आतंकवादी समूहों के शीर्ष नेताओं की लक्षित हत्या - आतंकवाद और प्रतिवाद का एक प्रमुख घटक है। यह अमेरिका सहित कई देशों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.

लेकिन आतंकवाद विशेषज्ञ इस बात से सहमत नहीं हैं कि शीर्ष नेताओं को मारना कितना प्रभावी है. कुछ लोगों ने तर्क दिया है कि एक आतंकवादी नेता को मारने से समूहों की संचालन क्षमता बाधित होती है और उनकी संगठनात्मक दिनचर्या बाधित होती है, जिससे उनके लिए हमलों को अंजाम देना कठिन हो जाता है.

यह तर्क दिया गया है कि यह संगठनात्मक पतन में भी योगदान दे सकता है. शोध से पता चलता है कि सही परिस्थितियों में, शीर्ष नेताओं को निशाना बनाने से उग्रवादी समूह के हमलों की धार कुंद पड़ जाती है और उसकी गतिविधियों पर काबू पाने की संभावना बढ़ सकती है,

हालांकि अन्य आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञ लक्षित हत्याओं से जुड़ी समस्याओं को उजागर करते हैं. उनका तर्क है कि वे समूह के विकेंद्रीकरण और लक्षित समूहों द्वारा अंधाधुंध हिंसा को बढ़ा सकते हैं,

इस रणनीति को आम तौर पर इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे समूहों के खिलाफ कम प्रभावी माना जाता है जिनके पास अच्छी तरह से प्रबंधित नेतृत्व संरचनाएं और उत्तराधिकार प्रोटोकॉल हैं,

इस्लामिक स्टेट समूह अपने नेतृत्व के भीतर उत्तराधिकार के लिए नौकरशाही दृष्टिकोण के कारण कई मौतों के बावजूद अपना वजूद कायम रखने में कामयाब रहा है, और इसके अलावा उसे अभी भी मजबूत स्थानीय समर्थन प्राप्त है.

अल-कुरैशी की मौत से इस्लामिक स्टेट समूह को कुछ समय के लिए धक्का लगा लेकिन ऐसा होने की संभावना नहीं है कि इससे संगठन खत्म हो जाएगा,अल-कुरैशी की मौत संगठन के सदस्यों को वैश्विक जिहादी परिदृश्य में प्रासंगिक बने रहने के लिए प्रतिशोध के हमलों को भी बढ़ा सकती है.

2. अल-कुरैशी की मौत से इस्लामिक स्टेट पर क्या फर्क पड़ा?

अल-कुरैशी के खिलाफ अभियान ऐसे समय पर आया है, जब इस्लामिक स्टेट अनिश्चितता की स्थिति से गुजर रहा है. इसका इराक पर केंद्रित समूह से मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया में फैले सहयोगियों के साथ एक वैश्विक विद्रोही संगठन बनने का सफर अभी ज्यादा पुराना नहीं है.

पूर्वोत्तर सीरिया में हसाका जेल और पूरे इराक में अन्य जगहों पर हाल ही में इस्लामिक स्टेट के हमलों ने संकेत दिया है कि यह समूह पारंपरिक ठिकानों पर अपनी क्षमताओं को फिर से खड़ा करने में शायद अपेक्षा से अधिक उन्नत है. लेकिन अल-कुरैशी की उसके पूर्ववर्ती की मृत्यु के ठीक दो साल बाद हुई मौत इस बात को लेकर अनिश्चितता पैदा करती है कि उसका उत्तराधिकारी कौन होगा.

यह तथ्य कि इस्लामिक स्टेट समूह अपने शीर्ष नेता की रक्षा नहीं कर सका, यह दर्शाता है कि समूह अमेरिका और सहयोगी बलों के निरंतर दबाव का सामना कर रहा है.

अल-कुरैशी का इतनी जल्दी मारा जाना - उनके पूर्ववर्ती ने लगभग एक दशक तक नेतृत्व किया - आंतरिक विवादों का भी संकेत देता है। नेता के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, अल-कुरैशी को आतंकवादी समूह के भीतर असंतुष्टों ने तो कोई महत्व ही नहीं दिया था, जबकि अन्य ने नेता के रूप में उसकी उपयुक्तता पर सवाल उठाया था, खासकर सितंबर 2020 में उसकी पूछताछ रिपोर्ट जारी होने के बाद.

अब, इस्लामिक स्टेट अपने वरिष्ठ नेतृत्व पैनल शूरा परिषद के विचार-विमर्श के आधार पर अल-कुरैशी के उत्तराधिकारी की नियुक्ति कर सकता है, जैसा कि उसने पहले किया है,

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

यदि ऐसा होता है जैसा कि पहले भी होता रहा है, तो अल-कुरैशी के उत्तराधिकारी को अगले कुछ दिनों या हफ्तों में नियुक्त किया जा सकता है. उसकी पहचान छुपाने के लिए उसे एक उपनाम दिया जाएगा. इस्लामिक स्टेट के वैश्विक सहयोगियों के समूह के सदस्यों और नेताओं को उसके प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा करने के लिए कहा जाएगा, लेकिन वह महीनों या वर्षों तक या शायद कभी भी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आएगा.