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समझौते का एक बड़ा संकेत देते हुए मिस्र के इस्लामी राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी ने उन्हें व्यापक शक्तियां देने वाले विवादास्पद आदेश को निरस्त कर दिया है, लेकिन विपक्ष की इस मांग को खारिज कर दिया कि नए संविधान पर जनमत संग्रह कराए जाने में विलंब किया जाना चाहिए
नए संविधान पर जनमत संग्रह निर्धारित तारीख 15 दिसंबर को ही होगा। राष्ट्रपति मुर्सी ने अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठकों के बाद यह नाटकीय कदम उठाया है। राष्ट्रपति पद के पूर्व उम्मीदवार मोहम्मद सलीम अल अवा ने टेलीविजन पर कानूनी समिति का बयान पढ़ा। इसमें कहा गया, संवैधानिक आदेश इसी क्षण से निरस्त किया जाता है।
कानूनी समिति मुर्सी के पिछले महीने के आदेश की समीक्षा के लिए नियुक्त की गई थी। वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता उस समय पैदा हुई, जब राष्ट्रपति मुर्सी ने 22 नवंबर को एक आदेश जारी कर संपूर्ण शक्तियां अपने पास रख लीं और कहा कि उनके फैसले न्यायिक समीक्षा से परे होंगे। इस आदेश और जनमत संग्रह के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे।
सलीम ने हालांकि, कहा कि नए संविधान पर जनमत संग्रह निर्धारित तारीख को ही होगा, क्योंकि राष्ट्रपति के लिए इसे स्थगित करना कानूनी रूप से संभव नहीं है। मुर्सी ने गुरुवार को अपने भाषण में अपनी व्यापक शक्तियों को छोड़ने की अनिच्छा जताई थी। पूर्व में सेना ने आगाह किया था कि यदि देश में वार्ता के जरिए राजनीतिक संकट का समाधान नहीं निकलता है, तो विनाशकारी नतीजे होंगे।
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