दुबई का भविष्य है इन दो राजकुमारों के हाथों में, जो हैं एक दूसरे से बेहद जुदा

दुबई (Dubai) के क्राउन प्रिंस (Sheikh Hamdan bin Mohammed Al Maktoum) शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मक्तूमम और उनके भाई शेख मक्तूम (Sheikh Maktoum) के सामने मिडिल ईस्ट (Middle East) के सबसे बेहतरीन व्यापार केंद्र के तौर पर दुबई का ओहदा बचाने की चुनौती है.

दुबई का भविष्य है इन दो राजकुमारों के हाथों में, जो हैं एक दूसरे से बेहद जुदा

दुबई (Dubai) के 73 साल के शासक ने अपने दो बेटों 39 साल के शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मक्तूम और 38 साल के  शेख मक्तूम को पिछले कुछ समय में अतिरिक्त ज़िम्मेदारियां दी हैं. दोनों अपने क्षेत्रों में अपनी जगह बना रहे हैं. उनके सामने मिडिल ईस्ट (Middle East) के सबसे बड़े बिजनेस हब (Business Hub) के तौर पर दुबई का ओहदा बचाने का जिम्मा है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, दुबई को ना केवल अपने क्षेत्रीय देशों से प्रतिस्पर्धा मिल रही है बल्कि यूक्रेन पर रूस के कब्जे के बाद अंतरराष्ट्रीय  जांच भी तेज़ हो गई है.  

नासर अल -शेख, दुबई के पूर्व वित्त प्रमुख, जिन्होंने 2009 के कर्ज संकट से दुबई को निकलने में मदद की, वह कहते हैं, " इसे एक कंपनी की तरह देखिए. हमदान चेयरमैन है तो मक्तूम सीईओ. हमदान दुबई का चेहरा और क्राउन प्रिंस है लेकिन सारे मुद्दों पर फैसले दोनों भाईयों के बीच सलाह के बाद होते हैं."

शेख हमदान करिश्माई युवराज हैं. वो दुबई के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर की तरह काम करते हैं. उनमें निवेश और लाखों पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता है तो शेख मक्तूम दुबई के वित्तीय बाजार में अपनी धाक जमा रहे हैं. वह कॉरपोरेट चीफ्स को बुलाते हैं और उनसे उनकी कंपनी के आंकड़ों के बारे में जानकारी लेते हैं.  

दुबई के सामने चुनौतियां 

दुबई पर अवैध फंडिंग पर लगाम लगाने का भी दबाव है. ऊर्जा संकट के कारण दुबई की तेल से कमाई बढ़ी है लेकिन दुबई आने वाले समय में जीवष्म ईंधन से दूर हटना चाहता है.  

एक ही मां से जन्मे दोनों भाइयों में केवल एक साल का अंतर है. दोनों को यूएई में ताकत के संतुलन को भी बनाए रखने की आवश्यकता है. दुबई की लीडरशिप ने आबू-धाबी को बिजनेस और अर्थव्यवस्था पर दोबारा ध्यान देने और यमन से लीबिया और तुर्की तक सैन्य संर्घषों में ना फंसने की विदेश नीती के लिए मनाया है. 

सऊदी अरब इस बीच यूएई के लिए नई चुनौती बन रहा है. वह दुबई को विदेशी टैलेंट और निवेश आकर्षित करने के मामले में प्रतिस्पर्धा दे रहा है.   

दोनों भाई मीडिया से बेहद कम बात करते हैं. शेख हमदान का निक नेम फज़ा है. अरबी में इसका मतलब होता है जो दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता है. उन्हें 2008 में क्राउन प्रिंस बनाया गया.  उन्होंने अपने बड़े भाई शेख राशिद की जगह ली जिनका 33 साल की उम्र में 2015 में निधन हो गया था.  

शेख हमदान अपने सरकारी मीडिया अकाउंट की औपचारिक तस्वीरों  तक ही सीमित नहीं रहते वह स्काईडाइविंग करते, पहाड़ पर चढ़ते, घुड़सवारी करते भी इंस्टाग्राम पर दिखते हैं. इंस्टाग्राम पर उनके 14.6 मिलियन फॉलोअर्स हैं.  वह लोगों दुबई के मॉल और रेस्त्रां में मिलते हैं और अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहे हैं. 

हमदान अपने पिता के साथ अहम मीटिंग्स में जाते हैं और दुबई की 22 सदस्यीय एक्ज़ीक्यूटिव काउंसिल की अध्यक्षता करते हैं. उनके भाई भी इसमें शामिल हैं.  काउंसिल की वेबसाइट कहती है कि वह हमदान के व्यक्तित्व से प्रभावित है. हमदान अमीरात के सोवर्जिन वेल्थ फंड और इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन हैं. काउंसिल मक्तूम को महत्वकांक्षी युवा नेता बताती है." मक्तूम तब चर्चा में आए थे तब उन्हें सितंबर 2021 में अपने चाचा की मृत्यु के बाद यूएई का वित्त मंत्री नियुक्त किया गया.  उन्होंने सरकारी कंपनियों में विनिवेश के माध्यम से निवेशकों का ध्यान खींचा. सालों से दुबई के स्टॉक मार्केट को बढ़ाने के लिए सरकारी कंपनियों के विनिवेश की मांग की जा रही थी.   

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दुबई अपना अगला अध्याय कैसे लिखेगा यह दो भाइयों के बीच के आपसी तालमेल पर निर्भर करेगा. जहां शेख हमदान जहां शहर के चेहरे के तौर पर अपने पिता की जगह लेंगे वहीं शेख मक्तूम आंकड़ों से खेलने वाले व्यक्ति के तौर पर अपनी पहचान मजबूत कर रहे हैं. साल 2009 में आई किताब सिटी ऑफ गोल्ड : दुबई एंड द ड्रीम कैपिटलिज़्म लेखक जिम कार्ने कहते हैं जब शेख मक्तूम की नियुक्ति हुई थई तब उनसे अपेक्षाएं बहुत कम थीं.  लेकिन समय के साथ वह अहम व्यक्तित्व बन रहे हैं.