डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत हासिल की. ट्रंप की जीत के साथ ही दुनिया में जारी दो महायुद्ध के जल्द समाप्त होने की बात भी कही जाने लगी हैं. एक युद्ध इजारयल और हमास के बीच गाज़ा में जारी है तो दूसरा रूस और यूक्रेन में बीच में जारी है. वैसे इजरायल के दो फ्रंट अभी और भी खुले हुए हैं. एक लेबनान में हिजबुल्लाह के खिलाफ और दूसरा ईरान के साथ. ट्रंप की अभी जीत हुई हैं और अगले 20 जनवरी को वे राषट्रपति पद की शपथ लेंगे. लेकिन, उनकी जीत के साथ ही अब यह अटकलें लगाई जानें लगी हैं कि देश के दो हिस्सों में जारी जंग अब रुक जाएगी. ऐसा क्यों कहा जा रहा है इसके पीछे कुछ कारण इस प्रकार हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर क्या कहा है
कई महीनों तक चले चुनावी अभियान के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह चाहते हैं कि गाजा में युद्ध समाप्त हो. यहां तक कि कथित तौर पर उन्होंने इजरायल के लिए फिलिस्तीनी क्षेत्र में हमास के खिलाफ अपने अभियान को राष्ट्रपति पद तक पहुंचने से पहले युद्ध समाप्त करने के लिए एक समयसीमा भी तय कर दी थी.
हमास को ट्रंप की धमकी
उन्होंने रिपब्लिकन सम्मेलन में यह भी चेतावनी भी दी थी कि यदि हमास 20 जनवरी से पहले अपने बंधकों को रिहा नहीं करता है, तो उसे "बहुत बड़ी कीमत" चुकानी पड़ेगी. डोनाल्ड ट्रंप की कही इसी बात से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि ट्रंप के सत्ता पर आते ही युद्ध के समाप्त होने के पूरे आसार बन जाएंगे.
क्या बनेंगे हालात
सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या युद्ध के समाप्ति के साथ इजरायली बंधकों की वापसी का काम भी पूरा होगा. इस बारे में मध्य पूर्व के मामलों के जानकार कहते हैं कि इस प्रश्न का उत्तर उन विशिष्टताओं पर निर्भर करता है कि ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू किस नीति पर काम करते हैं. वे इस मसले के वास्तविक हल के लिए क्या कदम उठाते हैं. अभी तक इस बारे में न तो ट्रंप की ओर से कुछ भी कहा गया है और न ही बेंजामिन नेतन्याहू ने कुछ कहा है. इजरायल की ओर से हमास के लड़ाकों को यह ऑफर दिया गया है कि वे अपने हथियार डाल दें और बंधकों को रिहा कर दें. इसके बदले में इजरायल उन्हें सुरक्षित जानें का रास्ता देगा.
कई जानकारों का कहना है कि ट्रंप की जीत के बाद भी हमास हथियार डालने को तैयार नहीं होगा. हमास का रुख अमेरिका को लेकर पहले से ही साफ है. अमेरिका हमेशा से इजरायल के साथ रहा है और अभी भी इजरायल के साथ ही है. इससे यह साफ है कि हमास के रुख में कोई बदलाव नहीं आएगा. यानी ट्रंप की धमकी पहले भी बेअसर रही थी और उनके राष्ट्रपति बनने के बाद भी कोई असर नहीं डाल पाएगी.
गाजा़ में क्या चल रहा है
जानकारों का कहना है कि गाजा में युद्ध या कहें आमने-सामने की जोरदार लड़ाई महीनों पहले समाप्त हो गई है. फिलहाल जो गाज़ा में हो रहा है वह एक रिएक्शन या प्रतिवाद स्वरूप है.
गाज़ा का क्या करेगा इजरायल
यही कारण है कि यह संभावना बनती जा रही है कि इजरायल अब यह रुख अख्तियार कर ले कि वह अब गाज़ा से वापस न जाए. संभव है कि अगले 10 सालों तक इजरायल गाज़ा में बना रहे. यह भी साफ है कि अमेरिका को इजरायल की ऐसी स्थिति या कार्रवाई से कोई आपत्ति भी न हो. इजरायल में यह भी कहा जा रहा है कि ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू के बीच हुई बात में ट्रंप ने साफ कर दिया है कि इजरायल जो चाहे अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कर सकता है.
गाउंड ऑपरेशन बढ़ेंगे
यह भी कहा जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन को किसी प्रकार से युद्ध को जल्द समाप्त करने की कोई चिंता नहीं होगी. माना यह जा रहा है कि ट्रंप के आने के बाद इजरायल का गाज़ा और लेबनान दोनों ही जगहों पर ग्राउंड ऑपरेशन और बढ़ेंगे.
ट्रंप की पार्टी का क्या है बयान
अमेरिका की ग्रैंड ओल्ड पार्टी यानी रिपब्लिकन पार्टी की प्रकक्ता एलिजाबेथ पिप्को का कहना है कि इजरायल इस युद्ध को 100 प्रतिशत जीतकर ही रुकेगा. इजरायल का पहले से ही ऐसा ही रुख रहा है. पिप्को से जब यह पूछा गया कि एक साल से भी ज्यादा समय से युद्ध चल रहा है तो ऐसे में अभी तक निर्णायक जीत क्यों नहीं हो पाए और आगे कैसे हो जाएगी.
जानकार कह रहे है कि गाज़ा में वैसे अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है. केवल हमास के कुछ ही लड़ाके बचे हैं और उन्हें समाप्त करके इजरायल सैनिकों की वापसी होगी. इसी के साथ बचे हुए बंधकों की रिहाई संभव है. गौरतलब है कि अमेरिका की वर्तमान जो बाइडेन सरकार की ओर से कहा गया था कि हमास इजरायली बंधकों छोड़ दे और साथ ही उसका जोर था कि गाज़ा में मानवीय सहायता को बढ़ाया भी जाए. याद दिला दें कि अमेरिका ने इजरायल पर मानवीय सहायता में बाधक बनने पर हथियारों की सप्लाई रोकने की धमकी तक दे डाली थी.
नेतन्याहू को ट्रंप का खुला समर्थन
लेकिन, अब जानकारों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन में बेंजामिन नेतन्याहू को अमेरिका का पूरा समर्थन होगा और ट्रंप किसी भी तरह की कोई रोक नहीं लगाएंगे. ऐसे में इजरायल को कार्रवाई की पूरी छूट होगी.
उधर, इजरायल में जिस तरह के हालात बन रहे हैं उससे साफ है कि नेतन्याहू अपने आक्रामक रुख को बरकरार रखेंगे. योव गैलेंट की बर्खास्तगी साफ दर्शा रही है. गैलेंट युद्ध पर नेतन्याहू से अलग अपनी राय जाहिर की थी. उन्होंने कैबिनेट को एक चिट्ठी भी लिखी थी जो मीडिया में लीक हो गई थी.
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