रेक्स टिलरसन (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक्सॉनमोबिल के सीईओ को अपना विदेश मंत्री चुना है. हालांकि उनके चुनाव के साथ ही सीनेट में उनके नाम पर सहमति के लिए संघर्ष की पृष्ठभूमि भी इसके साथ ही तैयार हो गई है. इसकी बड़ी वजह यह है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनके पुराने संबंध माने जाते हैं. वैसे भी अमेरिका राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप की जीत में हैकरों के माध्यम से रूस की भूमिका भी जोड़कर देखी जा रही है.
संभवतया उनकी नियुक्ति इसलिए की गई है क्योंकि बड़े बिजनेसमैन होने के नाते उनके दुनिया के कई बड़े नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते हैं. दुनिया की सबसे बड़ी एनर्जी कंपनी के मुखिया होने के नाते उन्होंने सीधे तौर पर यूरेशिया और पश्चिम एशिया में कई अहम सौदों में सीधे तौर पर अहम भूमिका निभाई है. इसी कड़ी में उनके वैश्विक नेताओं के साथ मधुर संबंध बने. इन वजहों से ही उनको इस पोस्ट के लिए चुना गया है.
इसके साथ ही रूस के साथ संबंधों को सुधारने की मुहिम के तहत भी उनकी नियुक्ति को जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि इस पद की रेस में मिट रोमनी भी थे जोकि 2012 में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की रेस में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं.
इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप और टिलरसन (64) के बीच कई मामलों में समानता है. उनके पास भी विदेश नीति के मामलों में कोई औपचारिक अनुभव नहीं है. इसके बावजूद ट्रंप ने उनको 'वर्ल्ड क्लास प्लेयर' करार दिया.
पुतिन से नाता
रूस की ऑयल दिग्गज कंपनी रोसनेफ्ट के साथ तेल साधन संपन्न आकर्टिक में तेल की खोज की एक डील के चक्कर में टिलरसन के पुतिन से करीबी संबंध बने. उनके प्रयासों के कारण ही पुतिन ने उनको रूस के प्रतिष्ठित ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप अवार्ड से 2013 में नवाजा. यह भी कहा जा रहा है कि टिलरसन ने पूर्व में उन प्रतिबंधों का विरोध किया था जो अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर लगाए थे.
संभवतया उनकी नियुक्ति इसलिए की गई है क्योंकि बड़े बिजनेसमैन होने के नाते उनके दुनिया के कई बड़े नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते हैं. दुनिया की सबसे बड़ी एनर्जी कंपनी के मुखिया होने के नाते उन्होंने सीधे तौर पर यूरेशिया और पश्चिम एशिया में कई अहम सौदों में सीधे तौर पर अहम भूमिका निभाई है. इसी कड़ी में उनके वैश्विक नेताओं के साथ मधुर संबंध बने. इन वजहों से ही उनको इस पोस्ट के लिए चुना गया है.
इसके साथ ही रूस के साथ संबंधों को सुधारने की मुहिम के तहत भी उनकी नियुक्ति को जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि इस पद की रेस में मिट रोमनी भी थे जोकि 2012 में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की रेस में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं.
इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप और टिलरसन (64) के बीच कई मामलों में समानता है. उनके पास भी विदेश नीति के मामलों में कोई औपचारिक अनुभव नहीं है. इसके बावजूद ट्रंप ने उनको 'वर्ल्ड क्लास प्लेयर' करार दिया.
पुतिन से नाता
रूस की ऑयल दिग्गज कंपनी रोसनेफ्ट के साथ तेल साधन संपन्न आकर्टिक में तेल की खोज की एक डील के चक्कर में टिलरसन के पुतिन से करीबी संबंध बने. उनके प्रयासों के कारण ही पुतिन ने उनको रूस के प्रतिष्ठित ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप अवार्ड से 2013 में नवाजा. यह भी कहा जा रहा है कि टिलरसन ने पूर्व में उन प्रतिबंधों का विरोध किया था जो अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर लगाए थे.
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