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डोनाल्‍ड ट्रंप की सबसे पहले भारत और चीन का दौरा करने की चर्चा, संदेश क्या है?

नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, बीजिंग के साथ संबंधों को सुधारने के लिए पदभार संभालने के बाद चीन की यात्रा पर जाना चाहते हैं, इसके अलावा उन्होंने भारत की संभावित यात्रा को लेकर भी सलाहकारों से बातचीत की है.

डोनाल्‍ड ट्रंप की सबसे पहले भारत और चीन का दौरा करने की चर्चा, संदेश क्या है?
क्यों ट्रंप को दोस्तों की जरूरत है?
वाशिंगटन:

Donald Trump Oath Ceremony: डोनाल्‍ड ट्रंप ने राष्‍ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने से पहले ही अपने इरादे साफ कर दिये हैं. ट्रंप ने जाहिर कर दिया है कि उनके लिए विदेश नीति में किन देशों को तवज्‍जो दी जाएगी और क्‍यों? अमेरिकी की विदेश नीति क्‍या रहेगी... ये भारत और चीन के लिए अच्‍छी बात है. क्‍योंकि ट्रंप यूरोप को पीछे छोड़, एरिशा पर फोकस कर रहे हैं. ट्रंप की टीम ने बताया है कि राष्‍ट्रपति बनने के बाद वह सबसे पहले भारत और चीन का दौरा करना चाहते हैं. ट्रंप की भारत और चीन की शुरुआती यात्राओं की योजना ये दर्शाती है कि उनकी विदेश नीति के एजेंडे में व्‍यापार प्रमुख होगा... और भारत-चीन विश्‍व के सबसे बड़े बाजार हैं. 

भारत और चीन जाना चाहते हैं ट्रंप 

नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, बीजिंग के साथ संबंधों को सुधारने के लिए पदभार संभालने के बाद चीन की यात्रा पर जाना चाहते हैं, इसके अलावा उन्होंने भारत की संभावित यात्रा को लेकर भी सलाहकारों से बातचीत की है. मीडिया में शनिवार को आई एक खबर में यह जानकारी दी गई. हालांकि, ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी. लेकिन ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने अपनी खबर में बताया, 'ट्रंप ने सलाहकारों से कहा है कि वह पदभार संभालने के बाद चीन की यात्रा पर जाना चाहते हैं, ताकि प्रचार के दौरान चीन को दी गई अधिक शुल्क लगाने संबंधी चेतावनी के कारण शी चिनफिंग के साथ तनावपूर्ण हुए संबंधों को सुधारा जा सके.' 

क्यों ट्रंप को दोस्तों की जरूरत है?

खबर में ये भी कहा गया, 'सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने भारत की संभावित यात्रा के बारे में भी सलाहकारों से बात की है.' सूत्रों के अनुसार, पिछले महीने क्रिसमस के आसपास विदेश मंत्री एस जयशंकर की वाशिंगटन यात्रा के समय इस संबंध में कुछ बातचीत हुई थी. ट्रंप का चीन और भारत पर ध्यान केंद्रित करना हैरान करने वाला भी है, क्‍योंकि अभी तक अमेरिका का अटलांटिकवादी-केंद्रित विश्वदृष्टिकोण रहा है. ऐसे में यूरोप, नाटो और पड़ोसियों कनाडा और मैक्सिको को छोड़ भारत-चीन को तवज्‍जो देना एक वैश्विक संदेश भी है. ट्रंप ने साफ कर दिया है कि चीन और भारत उनकी विदेश नीति के एजेंडे में बेहद महत्‍वपूर्ण हैं, क्‍योंकि इनके जरिए ही अमेरिकी व्‍यापार को गति मिल सकती है. दरअसल, ट्रंप बड़े उद्योगपति भी हैं और वे अच्‍छे से जानते हैं कि व्‍यापार बढ़ाए बिना देश की अर्थव्‍यवस्‍था को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. यही वजह है कि ट्रंप को चीन और भारत जैसे दोस्‍तों की जरूरत है.

ट्रंप के खास मेहमानों की लिस्‍ट भी बहुत कुछ कहती है 

डोनाल्‍ड ट्रंप ने शपथग्रहण से पहले ही समस्‍याओं को हल करने के लिए काम करना शुरू कर दिया है. कीमतों में कमी लाने जैसे घरेलू मुद्दों पर भी ट्रंप गंभीरता से विचार कर रहे हैं. यह शपथग्रहण के लिए 100 खास मेहमानों की लिस्‍ट से भी जाहिर होता है. इन मेहमानों में मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी सहित कई देशों के बड़े उद्योगपति शामिल हैं. विदेश नीति के मोर्चे पर ट्रंप सरकार जिस गति से आगे बढ़ रही है, वो उन्‍हें पिछली सरकारों की नीतियों से जुदा करती है. बताया जा रहा है कि ट्रंप शपथग्रहण करने के कुछ घंटों के भीतर ही जो बाइडेन के कार्यकाल में लिये गए, लगभग 100 निर्णयों को बदलने की योजना बना रहे हैं. 

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