
- पाकिस्तान के PM शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशंसा करते रहे हैं
- पाकिस्तान ने इस योजना में बिना बताए बदलाव करने का आरोप लगाया
- पाक विदेश मंत्री ने कहा कि मुस्लिम देशों के संशोधनों को शामिल किए बिना गाजा शांति योजना स्वीकार्य नहीं होगी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर इन दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चापलूसी करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. चाहे वो भारत-पाकिस्तान संघर्ष को रुकवाने के ट्रंप के झूठे दावे को दोहराना हो या फिर गाजा शांति प्लान के लिए ट्रंप को फिर नोबेल शांति पुरस्कार दिलवाने की आवाज उठाना. शहबाज और मुनीर ने ट्रंप के गुडबुक में रहने की कसम खा ली है भले इसके लिए उसे अपने विदेश नीति को तिलांजली देनी हो या फिर खुले मंच से अमेरिकी राष्ट्रपति की खुशामद करना. हालांकि अब यही पाकिस्तान सरकार ट्रंप पर गंभीर आरोप लगा रही है, 20 सूत्रीय गाजा शांति प्लान में बिना बताए बदलाव किए जाने का दावा कर रही है.
ट्रंप और उनका 20 सूत्रीय गाजा शांति प्लान
ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच वार्ता के बाद प्रस्तुत की गई इस योजना में गाजा में युद्ध तत्काल खत्म करने, हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों को रिहा करने और गाजा के असैन्यीकरण का प्रस्ताव है. योजना के तहत, गाजा एक 'कट्टरपंथ-मुक्त, आतंकवाद-मुक्त क्षेत्र होगा, जो अपने पड़ोसियों के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करेगा.” योजना के तहत गाजा का पुनर्विकास किया जाएगा. यदि दोनों पक्ष इस प्रस्ताव पर सहमत हो जाते हैं, तो युद्ध तुरंत समाप्त हो जाएगा. बंधकों की रिहाई की तैयारी के लिए इजरायली सेनाएं वापस लौट जाएंगी.
ट्रंप ने ऐसा क्या कर दिया?
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा गाजा में युद्ध समाप्त करने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना का खुलासा करने के एक दिन बाद, संकेत सामने आने लगे हैं कि पाकिस्तान इस प्रस्ताव से खुश नहीं है. मंगलवार को पाकिस्तान के उप- प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यदि आठ मुस्लिम देशों द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्तावित संशोधनों को शामिल नहीं किया गया तो गाजा के लिए अमेरिकी शांति योजना स्वीकार्य नहीं होगी.
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, "दस्तावेज अमेरिका द्वारा जारी किया गया है… यह हमारा दस्तावेज नहीं है, जो हमने उन्हें भेजा था. कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं जिन्हें हम कवर करना चाहते हैं... यदि वे कवर नहीं किए गए हैं, तो उन्हें कवर किया जाएगा."
अमेरिकी न्यूज आउटलेट एक्सियोस के अनुसार अमेरिका और अरब- मुस्लिम देशों के एक समूह के बीच जिस प्रस्ताव पर सहमति बनी थी, उसे नेतन्याहू की दखलअंदाजी के कारण बहुत बदल दिया गया है. अब पाकिस्तान भी वही दावा करते दिख रहा है.
क्या गाजा में सेना भेजेगी पाकिस्तान सरकार?
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार एक सवाल के जवाब में, पाक विदेश मंत्री ने कहा कि ट्रंप द्वारा पेश की गई योजना फिलिस्तीनियों की एक स्वतंत्र टेक्नोक्रेट सरकार की कल्पना करती है, जिसकी देखरेख एक अंतरराष्ट्रीय निकाय द्वारा की जाएगी - जिसमें ज्यादातर फिलिस्तीनी शामिल होंगे. उन्हें गाजा में तैनाती के लिए इंटरनेशनल स्टेबलाइजेशन फोर्स (आईएसएफ) का हिस्सा बनने के लिए पाक सेना भेजने की संभावना के बारे में भी संकेत दिया है.
उन्होंने कहा, "जमीन पर, फिलिस्तीनी कानून-प्रवर्तन एजेंसियां होंगी... उनका समर्थन करने वाली [अलग] ताकतें होंगी. इंडोनेशिया ने इसके लिए 20,000 सैनिकों का ऑफर दिया है. मुझे यकीन है कि पाकिस्तान का नेतृत्व भी इस पर निर्णय ले रहा होगा."
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