Coronavirus Outbreak: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की फ़ंडिंग रोकने का आदेश जारी कर दिया है. इसका ऐलान उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके किया. कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने WHO की फंडिंग रोकने की धमकी दी थी. अमेरिका के राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि WHO ने कोरोना के ख़तरों को लेकर समय रहते आगाह नहीं किया. इसने अमेरिका को एहतियातन क़दम उठाने से रोका और चीन की तरफ़दारी करता रहा. WHO को मदद देने वाले देशों में अमेरिका का पहला स्थान है और उसके फंडिंग रोकने को बड़ा फैसला माना जा रहा है और इसके दूरगामी परिणाम होंगे. अमेरिका के अलावा चीन, जापान और जर्मनी भी डब्ल्यूएचओ को मदद मिलती है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने WHO पर कोरोना वायरस के खतरे को ठीक से हैंडल न कर पाने का आरोप लगाया है. गौरतलब है कि कोरोना वायरस की महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते दुनियाभर में एक लाख 25 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है जबकि 20 लाख से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित है. ट्रंप ने कोरोना वायरस के प्रसार को 'ढंकने" के लिए WHO पर निशाना साधा. उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर गलत जानकारी देने का भी आरोप लगाया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि चीनी डेटा पर इस एजेंसी की निर्भरता के चलते दुनियाभर के केसों में कई गुना इजाफा हुआ.
WHO को फंड देने वाले पाँच सबसे बड़े देश (यूएस डॉलर में)
अमेरिका : 58 मिलियन
चीन : 29 मिलियन
जापान : 21 मिलियन
जर्मनी : 15 मिलियन
यूके (ब्रिटेन) : 11 मिलियन
इस राशि को भारतीय रुपये में बदलें यह राशि लगभग यह होगी..
अमेरिका : लगभग 440 करोड़ रुपये
चीन : लगभग 220 करोड़ रुपये
जापान : लगभग 160 करोड़ रुपये
जर्मनी : लगभग 114 करोड़ रुपये
यूके : लगभग 84 करोड़ रुपये
गौरतलब है कि नोवल कोरोनोवायरस ने दुनियाभर में अरबों लोगों के जनजीवन को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है क्योंकि इस वायरस के प्रसारको रोकने के लिए उन्हें लॉकडाउन जैसे उपाय करने को मजबूर होना पड़ा है. निस्संदेह लॉकडाउन जैसे उपाय से इस वायरस का शिकार बनने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है लेकिन इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को करारा झटका लगा है.
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