भ्रष्टाचार निरोधक अदालत जरदारी के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के कम से कम छह मामलों में निर्णय करेगी
इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के राजनेताओं पर संकट के बादल छटने का नाम नहीं ले रहे हैं. नवाज शरीफ के बाद अब पूर्व राष्ट्रपति जरदारी पर भ्रष्टाचार का मामला कोर्ट में आया है. आसिफ अली जरदारी की तकदीर अधर में लटक गई है क्योंकि जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अदालत अपनी सुनवाई शुरु करने वाली है. इससे पहले नवाज शरीफ पनामा कागजात स्कैंडल में प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य ठहराये जा चुके है. भ्रष्टाचार निरोधक अदालत 62 वर्षीय जरदारी के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के कम से कम छह मामलों में निर्णय करेगी.
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष के खिलाफ देश एवं विदेश में उनके द्वारा एकत्र कथित अवैध धन को लेकर रोजाना आधार पर सुनवाई शुरु करेगी. जरदारी एवं एनकी दिवंगत पत्नी बेनेजीर भुटो पर अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने का आरोप है.
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उल्लेखनीय है कि यह मामला 2001 में जवाबदेही अदालत में दर्ज किया गया था और उसे 2007 में सेवानिवृत्त जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश :एनआरओ: के तहत बंद कर दिया गया था. उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर,2009 में एनआरओ मामले पर अपने फैसले में अध्यादेश के तहत बंद किये गये मामलों को फिर से खोलने का आदेश दिया था. लेकिन तब तक जरदारी राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण कर चुके थे और उन्हें संविधान के अनुच्छेद 248 के तहत छूट मिल गई.
VIDEO: जरदारी के खिलाफ फिर खुलेंगे भ्रष्टाचार के मामले
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने अप्रैल, 2015 में इस मामले को फिर से खोला लेकिन यह बहुत धीमी गति से आगे बढ़ा. पर, शरीफ के खिलाफ हाल के फैसले के मद्देनजर जवाबदेही अदालत ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की सहमति से इस मामले की रोजाना सुनवाई का फैसला किया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष के खिलाफ देश एवं विदेश में उनके द्वारा एकत्र कथित अवैध धन को लेकर रोजाना आधार पर सुनवाई शुरु करेगी. जरदारी एवं एनकी दिवंगत पत्नी बेनेजीर भुटो पर अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित करने का आरोप है.
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उल्लेखनीय है कि यह मामला 2001 में जवाबदेही अदालत में दर्ज किया गया था और उसे 2007 में सेवानिवृत्त जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश :एनआरओ: के तहत बंद कर दिया गया था. उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर,2009 में एनआरओ मामले पर अपने फैसले में अध्यादेश के तहत बंद किये गये मामलों को फिर से खोलने का आदेश दिया था. लेकिन तब तक जरदारी राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण कर चुके थे और उन्हें संविधान के अनुच्छेद 248 के तहत छूट मिल गई.
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राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने अप्रैल, 2015 में इस मामले को फिर से खोला लेकिन यह बहुत धीमी गति से आगे बढ़ा. पर, शरीफ के खिलाफ हाल के फैसले के मद्देनजर जवाबदेही अदालत ने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की सहमति से इस मामले की रोजाना सुनवाई का फैसला किया.
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