कोराना वायरस की महामारी (Coronavirus Pandemic) ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. इस वायरस के चलते दुनियाभर की गतिविधियों में ठहराव आ गया है. व्यापार, अर्थव्यवस्था और पर्यटन व्यवसाय इसके कारण बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. कोरोना के खतरे के कारण दुनिया मानो अपने आप में 'सिमट' गई है. ऐहतियात के तौर पर लोग बस, ट्रेन और हवाई यात्रा से भी परहेज कर रहे हैं. कोरोना वायरस के पूरी दुनिया को अपनी जद में लेने के बाद से लोग धड़ाधड़ अपने ट्रेवल प्रोग्राम को कैंसल कर रहे हैं, इसका असर उड्डयन इंडस्ट्री (Aviation Industry) पर भी पड़ा है.एविएशन सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर सरकार और इस उद्योग और सरकारों ने स्थिति से निपटने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए तो मई माह के अंत तक दुनियाभर कीक ज्यादातर एयरलाइंस कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर पहुंच सकती हैं.
सिडनी स्थित कंसलटेंसी सीएपीए (CAPA) सेंटर फॉर एविएशन ने एक बयान में कहा, ज्यादातर एयरलाइंस पहले ही तकनीकी दिवालियेपन (Technical bankruptcy) या देनदारी के लिहाज से खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके हैं. ब्लूमबर्ग के अनुसार, एयरलाइंस कैरियर्स का कैश रिजर्व तेजी से खत्म हो रहा है क्योंकि उनके विमान उड़ान नहीं भर पा रहे है और जो विमान उड़ान भी भर रहे हैं वे आधे से अधिक खाली हैं. बयान के अनुसार, यदि इस बड़ी विपदा से निजात पाना है तो सरकार और एविएशन इंडस्ट्री को आपसी सहयोग और समन्वय करना होगा. यदि ऐसा नहीं किया गया तो इस विपदा से बाहर आना एक 'भयावह रणक्षेत्र' में प्रवेश करने की तरह होगा, जिससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे.
कोरोना वायरस की महामारी ने हर तरफ चिंता का वातावरण बना दिया है. हालत यह है कि 15 मार्च को सीटल-टैकोमा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से JFK न्यूयॉर्क सिटी के लिए उड़ान भरने वाली अमेरिका डेल्टा की फ्लाइट लगभग पूरी खाली रही. सीएपीए के बयान के अनुसार, अमेरिका, चीन और मिडिल ईस्ट के बड़े कैरियर तो सरकार की मदद और समर्थन के कारण स्थिति से उबर सकते हैं. कोरोना वायरस के खौफ के बीच हर तरह की यात्रा पर रोक के कारण एयरलाइंस कंपनियां इसके कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं. अमेरिकी एयरलाइंस ग्रुप से ऑस्ट्रेलिया के क्वांट्स एयरवेज लिमिटेड तक ने अपनी क्षमता घटाई है जबकि स्वीडन की SAS AB जैसे कैरियर ने अपने ज्यादातर स्टाफ को अस्थायी तौर पर कार्यमुक्त कर दिया है. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अनुसार, एयरलाइंस कंपनियों को इस साल 113 अरब यूएस डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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