इस्लामाबाद:
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीन हिन्दू महिलाओं को अपने भविष्य में बारे में स्वयं निर्णय करने और अपना जीवन अपनी इच्छा के मुताबिक जीने की अनुमति दी जिसके बाद तीनों ने कहा कि वे अपने पतियों के साथ ही रहना चाहती हैं।
तीनों महिलाओं का कथित तौर पर जबरन धर्म परिवर्तन करा कर उनका निकाह मुस्लिम समुदाय में कराया गया था। प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी के नेतृत्व वाली तीन न्यायाधीशों के पीठ ने रिंकल कुमारी उर्फ फरयाल बीबी, लता कुमारी उर्फ हफ्सा बीबी और आशा कुमारी उर्फ हलीमा बीबी से कहा कि वे अदालत के रजिस्ट्रार को इस बाबत सूचित करें कि तीनों अपने पति के साथ रहना चाहती हैं या अपने परिवार के साथ।
पीठ ने पुलिस को आदेश दिया कि वह तीनों महिलाओं को पूरी सुरक्षा प्रदान करे और अगर उन्हें कोई नुकसान पहुंचता है तो अधिकारियों को सुरक्षा में लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
अदालत ने कहा कि महिलाओं की इतनी उम्र हो गई है कि वे अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं ले सकती हैं। बाद में महिलाओं का बयान दर्ज करने के लिए उन्हें रजिस्ट्रार कार्यालय ले जाया गया जहां उन्होंने कहा कि वे अपने पति के साथ रहना चाहती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वे इस सिलसिले में न्यायालय के आदेशों के पालन के संबंध में दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें। तीनों महिलाओं के माता-पिता ने न्याय पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्हें उचित न्याय नहीं मिला है।
टीवी फुटेज में बुर्का पहनी हुई महिलाओं को पुलिस सुरक्षा में सुप्रीम कोर्ट जाते हुए दिखाया गया है। सिंध प्रांत में कथित तौर पर अपहरण करके जबरन हिन्दू महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराने के मामले में तीनों महिलाएं खूब चर्चा में रही हैं।
इस मामले में 19 वर्षीय रिंकल कुमारी के बारे में मानवाधिकार समूहों और समाज के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसद मियां अब्दुल हक उर्फ मियां मिमहामेधा से जुड़े व्यक्ति ने उसका अपहरण किया था।
मिमहामेधा और उसके भाई पर सिंध प्रांत के घोत्की इलाके की कई हिन्दू लड़कियों को अगवा करने और उनका धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि तीनों महिलाओं की शादी जबरन मुस्लिम पुरुषों से करायी गई है। रिंकल द्वारा संवाददाता सम्मेलन और अदालत में दिए गए बयान में अंतर आने के कारण मामला और पेचिदा हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने रिंकल कुमारी और लता कुमारी को कराची के महिला आश्रम भेज दिया था ताकि वे बिना किसी दबाव के अपने भविष्य के बारे में निर्णय ले सकें। इस मामले में रिंकल और लता के परिवार के सदस्यों ने कहा था कि उनका अपहरण कर, धर्म परिवर्तन कराया गया और जबरन उनकी शादी मुस्लिम पुरुषों से की गई।
तीनों महिलाओं का कथित तौर पर जबरन धर्म परिवर्तन करा कर उनका निकाह मुस्लिम समुदाय में कराया गया था। प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी के नेतृत्व वाली तीन न्यायाधीशों के पीठ ने रिंकल कुमारी उर्फ फरयाल बीबी, लता कुमारी उर्फ हफ्सा बीबी और आशा कुमारी उर्फ हलीमा बीबी से कहा कि वे अदालत के रजिस्ट्रार को इस बाबत सूचित करें कि तीनों अपने पति के साथ रहना चाहती हैं या अपने परिवार के साथ।
पीठ ने पुलिस को आदेश दिया कि वह तीनों महिलाओं को पूरी सुरक्षा प्रदान करे और अगर उन्हें कोई नुकसान पहुंचता है तो अधिकारियों को सुरक्षा में लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
अदालत ने कहा कि महिलाओं की इतनी उम्र हो गई है कि वे अपने जीवन से जुड़े निर्णय स्वयं ले सकती हैं। बाद में महिलाओं का बयान दर्ज करने के लिए उन्हें रजिस्ट्रार कार्यालय ले जाया गया जहां उन्होंने कहा कि वे अपने पति के साथ रहना चाहती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को आदेश दिया कि वे इस सिलसिले में न्यायालय के आदेशों के पालन के संबंध में दो सप्ताह में रिपोर्ट पेश करें। तीनों महिलाओं के माता-पिता ने न्याय पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्हें उचित न्याय नहीं मिला है।
टीवी फुटेज में बुर्का पहनी हुई महिलाओं को पुलिस सुरक्षा में सुप्रीम कोर्ट जाते हुए दिखाया गया है। सिंध प्रांत में कथित तौर पर अपहरण करके जबरन हिन्दू महिलाओं का धर्म परिवर्तन कराने के मामले में तीनों महिलाएं खूब चर्चा में रही हैं।
इस मामले में 19 वर्षीय रिंकल कुमारी के बारे में मानवाधिकार समूहों और समाज के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसद मियां अब्दुल हक उर्फ मियां मिमहामेधा से जुड़े व्यक्ति ने उसका अपहरण किया था।
मिमहामेधा और उसके भाई पर सिंध प्रांत के घोत्की इलाके की कई हिन्दू लड़कियों को अगवा करने और उनका धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि तीनों महिलाओं की शादी जबरन मुस्लिम पुरुषों से करायी गई है। रिंकल द्वारा संवाददाता सम्मेलन और अदालत में दिए गए बयान में अंतर आने के कारण मामला और पेचिदा हो गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने रिंकल कुमारी और लता कुमारी को कराची के महिला आश्रम भेज दिया था ताकि वे बिना किसी दबाव के अपने भविष्य के बारे में निर्णय ले सकें। इस मामले में रिंकल और लता के परिवार के सदस्यों ने कहा था कि उनका अपहरण कर, धर्म परिवर्तन कराया गया और जबरन उनकी शादी मुस्लिम पुरुषों से की गई।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं