सेशेल्स में भारत अपना सैन्य अड्डा स्थापित कर रहा है.
विक्टोरिया (सेशेल्स):
सेशेल्स में भारत अपना एक सैन्य अड्डा स्थापित करने की तैयारी कर रहा है, लेकिन इसको लेकर विवाद शुरू हो गया है. स्थानीय लोग भारत की पहल का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि सैन्य अड्डा बनने से सेशल्स के पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा और इससे भारतीय कामगार बड़ी संख्या में वहां पहुंच जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साल 2015 की सेशेल्स की यात्रा के दौरान वहां भारतीय सैन्य अड्डा बनाने का समझौता हुआ था. विवाद के चलते वहां अड्डे के निर्माण की गति धीमी रही है. भारत हिंद महासागर में 115 द्वीपों के देश सेशेल्स में अपना सैनिक अड्डा बनाने को कीशिशों में जुटा है. भारत की इस कोशिश पर विवाद शुरू हो गया है. भारत के लिए यह सैन्य अड्डा सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होगा. भारत द्वारा वित्त पोषित यह सैन्य बेस दोनों देशों द्वारा साझा किया जाएगा.
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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत ने सेशेल्स के साथ 20 साल का कॉन्ट्रेक्ट किया है. इसके तहत सेशेल्स में भारतीय सेनाओं के लिए एक हवाई पट्टी और पानी के जहाजों को खड़ा करने के लिए जेटी का निर्माण किया जा रहा है. समाचार है कि हिंद महासागर में ही जिबूती में चीन ने भी अपना सैन्य अड्डा स्थापित कर लिया है. चीन के इस कदम पर भारत सतर्क हो गया है. चीन की हरकतों के मद्देनजर भारत भी सेशेल्स में अपना सैन्य बेस तैयार कर रहा है.
सेशेल्स सरकार के मुताबिक सैन्य बेस बनने से उसे फायदा होगा. देश के पूर्वोत्तर में 1.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर तटवर्ती इलाके में आर्थिक क्षेत्र गश्त से अवैध मछली पकड़ने, नशीले पदार्थों की तस्करी और चोरी पर रोक लग सकेगी.
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सेशेल्स का कहना है कि वह अपनी शर्तों पर भारत को सुविधाएं दे रहा है. वहां के विदेश राज्यमंत्री बैरी फॉरे के अनुसार ‘भारत हमारी निशुल्क मदद कर रहा है. इसके उत्तर में हम भी उसे कुछ सुविधाएं दे रहे हैं. लेकिन वे सभी सुविधाएं पूरी तरह सेशेल्स के नियंत्रण में और उसके कानून के दायरे में रहेंगी. भारत को कुछ भी पट्टे पर नहीं दिया गया है.' उनका कहना है कि भारत से सेशेल्स को उसके 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले आर्थिक क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी.
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VIDEO- डोकलाम में चीनी जमावड़ा बढ़ा
सेशेल्स सरकार के उक्त कथन के बावजूद सेशेल्स के लोग भारत के सैन्य अड्डे का विरोध कर रहे हैं. वहां के लोग हर सप्ताह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सेशेल्स के लोगों को आशंका है कि भारतीय सैन्य गतिविधियों से वहां के पर्यावरण को हानि होगी. इसके अलावा सेना का बेस बनने से भारत के कामगार सेशेल्स पहुंचने लगेंगे. चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत का सेशेल्स में सैन्य अड्डा बनाना महत्वपूर्ण कदम है लेकिन विरोध के चलते इसके काम में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है.
(इनपुट एजेंसियों से)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साल 2015 की सेशेल्स की यात्रा के दौरान वहां भारतीय सैन्य अड्डा बनाने का समझौता हुआ था. विवाद के चलते वहां अड्डे के निर्माण की गति धीमी रही है. भारत हिंद महासागर में 115 द्वीपों के देश सेशेल्स में अपना सैनिक अड्डा बनाने को कीशिशों में जुटा है. भारत की इस कोशिश पर विवाद शुरू हो गया है. भारत के लिए यह सैन्य अड्डा सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होगा. भारत द्वारा वित्त पोषित यह सैन्य बेस दोनों देशों द्वारा साझा किया जाएगा.
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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत ने सेशेल्स के साथ 20 साल का कॉन्ट्रेक्ट किया है. इसके तहत सेशेल्स में भारतीय सेनाओं के लिए एक हवाई पट्टी और पानी के जहाजों को खड़ा करने के लिए जेटी का निर्माण किया जा रहा है. समाचार है कि हिंद महासागर में ही जिबूती में चीन ने भी अपना सैन्य अड्डा स्थापित कर लिया है. चीन के इस कदम पर भारत सतर्क हो गया है. चीन की हरकतों के मद्देनजर भारत भी सेशेल्स में अपना सैन्य बेस तैयार कर रहा है.
सेशेल्स सरकार के मुताबिक सैन्य बेस बनने से उसे फायदा होगा. देश के पूर्वोत्तर में 1.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर तटवर्ती इलाके में आर्थिक क्षेत्र गश्त से अवैध मछली पकड़ने, नशीले पदार्थों की तस्करी और चोरी पर रोक लग सकेगी.
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सेशेल्स का कहना है कि वह अपनी शर्तों पर भारत को सुविधाएं दे रहा है. वहां के विदेश राज्यमंत्री बैरी फॉरे के अनुसार ‘भारत हमारी निशुल्क मदद कर रहा है. इसके उत्तर में हम भी उसे कुछ सुविधाएं दे रहे हैं. लेकिन वे सभी सुविधाएं पूरी तरह सेशेल्स के नियंत्रण में और उसके कानून के दायरे में रहेंगी. भारत को कुछ भी पट्टे पर नहीं दिया गया है.' उनका कहना है कि भारत से सेशेल्स को उसके 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले आर्थिक क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी.
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सेशेल्स सरकार के उक्त कथन के बावजूद सेशेल्स के लोग भारत के सैन्य अड्डे का विरोध कर रहे हैं. वहां के लोग हर सप्ताह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सेशेल्स के लोगों को आशंका है कि भारतीय सैन्य गतिविधियों से वहां के पर्यावरण को हानि होगी. इसके अलावा सेना का बेस बनने से भारत के कामगार सेशेल्स पहुंचने लगेंगे. चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत का सेशेल्स में सैन्य अड्डा बनाना महत्वपूर्ण कदम है लेकिन विरोध के चलते इसके काम में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पाई है.
(इनपुट एजेंसियों से)
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