अमेरिका ने भारतीय लोकतंत्र का सम्मान करते हुए कहा कि उन्होंने (सरकार) देश में नागरिकता और धार्मिक आजादी जैसे मुद्दों पर मजबूत बहस छेड़ी है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो (Mike Pompeo) ने बुधवार को इस बारे में कहा, 'हम इस बात की परवाह करते हैं कि हर जगह अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों का हनन न हो. हम भारतीय लोकतंत्र का सम्मान करते हैं कि वहां नागरिकता के मुद्दे पर एक मजबूत बहस हो रही है. अमेरिका न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में इन मुद्दों पर प्रतिक्रिया देता रहा है.'
माइक पोम्पियो ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों से जुड़े सवाल पर यह बात कही. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने 18 दिसंबर को 'टू प्लस टू' बातचीत के लिए भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर की मेजबानी की. एक सवाल में जब आरोप लगाया गया कि यह कानून धार्मिक आधार पर नागरिकों से भेदभाव कर रहा है, इसके जवाब में एस जयशंकर बोले, 'आपने जो सवाल किया है वो भारत से जुड़ा है. अगर आप इसे ध्यान से पढ़ेंगे तो पाएंगे कि ये एक ऐसा उपाय है जो कुछ देशों के सताए हुए धार्मिक अल्पसंख्यकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया है.'
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उन्होंने आगे कहा, 'अगर आप ये देखते हैं कि वे देश क्या हैं और इसलिए उनके अल्पसंख्यक क्या हैं, तो शायद आप समझते हैं कि कुछ धर्मों की पहचान उन लोगों के चरित्र निर्माण की दिशा में क्यों की गई थी.' राजनाथ सिंह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून किसी भी तरह से मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है. इस कानून के तहत लोगों को नागरिकता दी जाएगी और इसका किसी भी भारतीय नागरिक पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बताते चलें कि भारतीय अधिकारियों ने इस बारे में कोई पुष्टि नहीं की है कि 'टू प्लस टू' बातचीत में धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार पर बातचीत होगी कि नहीं. इससे पहले अमेरिकी सचिव ने भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत में भारत में मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता का मु्द्दा उठाया था.
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