
- रूस के पूर्व नेता दिमित्री मेदवेदेव अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सोशल मीडिया पर चुनौती दे रहे हैं.
- मेदवेदेव ने ट्रंप के रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर शांति प्रस्ताव को ड्रामा करार देते हुए तीखा जवाब दिया है.
- मेदवेदेव ने 2008 से 2012 तक रूस के राष्ट्रपति पद पर रहते हुए पुतिन के लिए लगातार कार्यकाल सुनिश्चित किया था.
रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव इस समय खबरों में हैं. उनके एक बयान के बाद से ही अमेरिका और रूस के बीच टेंशन बढ़ गई है. मेदवेदेव रूस की सिक्योरटी काउंसिल के उपाध्यक्ष भी हैं. पुतिन के 'शिष्य' अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आंखों में बहुत खटकने लगे हैं. मेदवेदेव पिछले कुछ समय से ट्रंप को चैलेंज करते आ रहे हैं और उनके नए चैलेंज के बाद तो ट्रंप ने परमाणु पनडुब्बी वाली धमकी दे डाली है. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. मेदवेदेव के बारे में शायद ही आपको यह बात मालूम हो कि उन्होंने अपने 'गुरु' के कहने पर उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया था जिसके बाद पुतिन के लिए आजीवन रूस का राष्ट्रपति बने रहने के दरवाजे खुल गए. पहले जानिए कि कौन हैं मेदवेदेव.
पुतिन के कहने पर बन गए राष्ट्रपति
मेदवेदेव कभी पुतिन के प्रधानमंत्री हुआ करते थे लेकिन 2008 से 2012 तक उन्होंने पुतिन के साथ पद बदल लिया. वह राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए क्योंकि रूस का कानून पुतिन को लगातार तीसरे कार्यकाल से रोकता था. मेदवेदेव ने हमेशा से ही पुतिन के यूक्रेन पर हुए हमले का खुलकर समर्थन किया है. वर्तमान समय में आप उन्हें पुतिन का वह सिपाही कह सकते हैं जो सोशल मीडिया पर क्रेमलिन के लिए ट्रंप से लेकर बाकी लोगों से भिड़ता रहता है.
लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) में जन्मे मेदवेदेव एक वकील हैं और काफी लंबे समय से पुतिन के सहयोगी रहे हैं. साल 1987 में लेनिनग्राद स्टेट यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएट होने वाले मेदवेदेव ने सन् 1990 में लॉ में ही पीएचडी की उपाधि हासिल की थी. सन् 1990 के दशक में जब पुतिन अपनी शुरुआती राजनीतिक टीम को तैयार किया तो मेदवेदेव को सबसे पहले जगह मिली थी.
2012 में फिर मानी पुतिन की बात
मई 2008 में मेदवेदेव रूस के राष्ट्रपति बने लेकिन इससे पहले उन्होंने पुतिन के जूनियर के तौर पर कई उच्च-स्तरीय पदों पर काम किया था जैसे कि चीफ ऑफ स्टाफ, डिप्टी पीएम और गैजप्रोम के मुखिया. जब वह राष्ट्रपति थे तो उनके कार्यकाल में कई तरह की पहल हुई जिसमें अमेरिका के साथ नई START हथियार कटौती संधि और 'मिलिशिया' का नाम बदलकर 'पोलिशिया' किया गया था. 2012 में उन्होंने और पुतिन ने पद बदल लिए, और मेदवेदेव 2020 तक प्रधानमंत्री रहे.
राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश
मेदवेदेव को हमेशा से एक उदार और प्रगतिशील नेता के तौर पर माना जाता था लेकिन 2022 में युद्ध की शुरुआत से ही जब उन्होंने भड़काऊ बयान देने शुरू किए तो हर कोई हैरान रह गया. पुतिन जहां इन दिनों कभी-कभार ही परमाणु धमकियां देते हैं तो मेदवेदेव अक्सर ही परमाणु धमकियां देते रहते हैं. वह सोशल मीडिया पर पश्चिमी नेताओं पर कभी-कभी अपमानजनक टिप्पणियां करने से भी पीछे नहीं हटते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि वह इस तरह की बयानबाजी से पुतिन और रूस के सैन्य कट्टरपंथियों के साथ राजनीतिक फायदा हासिल करने की कोशिशों में लगे हुए हैं.
Trump issued a theatrical ultimatum to the Kremlin.
— Dmitry Medvedev (@MedvedevRussiaE) July 15, 2025
The world shuddered, expecting the consequences.
Belligerent Europe was disappointed.
Russia didn't care.
ट्रंप को क्यों हैं इतनी नफरत
मेदवेदेव और ट्रंप के बीच तनातनी रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वह दोनों देशों के बीच शांति चाहते हैं और पुतिन से खुश नहीं हैं. इसके बाद ट्रंप ने एक नया प्रस्ताव रूस को दिया. इसके तहत उन्होंने रूस को धमकी दी कि या तो वह यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म कर दें नहीं तो 100 फीसदी सेक्रेंडरी टैरिफ झेलने के लिए तैयार रहे.
मेदवेदेव ने इसे ट्रंप का ड्रामा करार दिया. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'ट्रंप ने क्रेमलिन को एक नाटकीय अल्टीमेटम जारी किया है. दुनिया इसके नतीजों की आशंका से कांप उठी. आक्रामक यूरोप निराश हुआ और रूस को इसकी कोई परवाह नहीं.' ट्रंप ने उस समय कुछ जवाब नहीं दिया लेकिन उनकी नाराजगी बढ़ती ही जा रही थी. वह बार-बार पुतिन युद्ध को खत्म करने में असफल करार देने लगे.
'रूस, इजरायल या ईरान नहीं'
फिर ट्रंप ने अपने अल्टीमेटम को दोहराया और कहा कि वह डेडलाइन को 50 दिनों से घटाकर 10-12 दिन तक कर रहे हैं. युक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने ट्रंप की तारीफ की. लेकिन मेदवेदेव चुप बैठने वालों में नहीं थे. उन्होंने एक्स पर एक और पोस्ट लिखी जो कुछ इस तरह से थी, 'ट्रंप रूस के साथ अल्टीमेटम का खेल खेल रहे हैं: 50 दिन या 10... उन्हें दो बातें याद रखनी चाहिए, रूस इजरायल या ईरान नहीं है. हर नया अल्टीमेटम एक खतरा और युद्ध की ओर एक कदम है. रूस और यूक्रेन के बीच नहीं, बल्कि उनके अपने देश के साथ. स्लीपी जो वाली राह पर मत जाओ!'
Trump's playing the ultimatum game with Russia: 50 days or 10… He should remember 2 things:
— Dmitry Medvedev (@MedvedevRussiaE) July 28, 2025
1. Russia isn't Israel or even Iran.
2. Each new ultimatum is a threat and a step towards war. Not between Russia and Ukraine, but with his own country. Don't go down the Sleepy Joe road!
मेदवेदेव को बताया असफल नेता
मेदवेदेव का यह बयान ट्रंप को एक बार फिर नाराज कर गया. इसके बाद उन्होंने एक और सोशल मीडिया पोस्ट लिखी जिसमें मेदवेदेव को एक फेल राष्ट्रपति करार दिया. उन्होंने कहा कि रूस आग से खेल रहा है और 'बहुत ही खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है'. उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'रूस और अमेरिका एक साथ लगभग कोई व्यापार नहीं करते. आइए इसे ऐसे ही रहने दें और रूस के असफल पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव, जो खुद को अभी भी राष्ट्रपति समझते हैं, को अपनी बातों पर ध्यान देने को कहें. वह बहुत खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं.'
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