विज्ञापन
This Article is From Aug 18, 2016

चीनी सरकारी मीडिया का मत : मतभेदों के बावजूद विकसित हो रहे भारत और चीन के रिश्ते

चीनी सरकारी मीडिया का मत : मतभेदों के बावजूद विकसित हो रहे भारत और चीन के रिश्ते
प्रतीकात्मक फोटो
बीजिंग: अमेरिका और जापान की ओर से दबाव के बावजूद दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर ‘निष्पक्ष रुख’ अपनाने के लिए भारत की सराहना करते हुए चीन के सरकारी मीडिया ने आज कहा है कि दोनों देशों के बीच भले ही कुछ विरोधाभास और मतभेद हैं लेकिन समग्र तौर पर इनके बीच के द्विपक्षीय संबंध निर्बाध रूप से विकसित होते रहे हैं.

सरकारी ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में कहा गया, ‘‘सुरक्षा के मुद्दे पर, दक्षिण चीन सागर पंचाट की ओर से अंतिम निर्णय सुनाए जाने पर, भारत की सरकार ने वाशिंगटन और टोक्यो की ओर से दबाव के बावजूद निष्पक्ष रुख बनाकर रखा.’’ संबंधों को सुधारने के लिए इसे ‘‘आगे की दिशा में एक ठोस कदम’’ बताते हुए लेख में कहा गया, ‘‘हम इस बात को स्वीकार करते हैं कि चीन और भारत के बीच कुछ विरोधाभास और मतभेद हैं लेकिन समग्र तौर पर द्विपक्षीय संबंध निर्बाध रूप से विकसित होते रहे हैं.’’

चीनी मीडिया ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता को रोकने का आरोप चीन पर मढ़ने में ‘‘बढ़चढ़कर’’ सक्रियता दिखाने के लिए भारतीय मीडिया की आलोचना भी की. इसके साथ ही चीनी मीडिया ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी की पिछले सप्ताह की भारत यात्रा और दक्षिण चीन सागर मुद्दे को एकसाथ जोड़कर देखने के लिए भी भारतीय मीडिया की आलोचना की. चीनी मीडिया ने कहा, ‘‘भारतीय मीडिया ने वांग के भारत दौरे को दक्षिण चीन सागर मामले और एनएसजी सदस्यता हासिल करने में देश की विफलता के साथ जोड़कर देखने में कोई कसर नहीं छोड़ी.’’

पिछले माह, एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने ऐतिहासिक अधिकारों के आधार पर दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को खारिज करके उसे बैकफुट पर ला दिया था. इस क्षेत्र को लेकर चीन का यह समुद्री विवाद फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के साथ है. चीनी मीडिया ने कहा, ‘‘एनएसजी मामले में, भारतीय मीडिया हद से आगे बढ़ गया. यह समस्या बीजिंग और नई दिल्ली के बीच की नहीं है. एनएसजी सदस्यता के नियम अमेरिका या चीन नहीं बनाते और भारत इस क्लब में दाखिल होने की योग्यता को पूरा करने में विफल रहा. एनएसजी के दर्जन भर सदस्य अब भारत की कोशिश का विरोध कर रहे हैं. इसलिए इस बात का कोई मतलब नहीं बनता कि भारतीय मीडिया चीन पर उंगली उठाए.’’ उसने कहा, ‘‘संभव है कि दोनों देशों ने वांग के दौरे के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा की हो और यह भी संभव है कि उन्होंने इस मुद्दे पर अपने विचार, रूख और नीतियां स्पष्ट की हों. लेकिन ऐसी अटकलों का कोई औचित्य नहीं है कि वांग नयी दिल्ली को एनएसजी सदस्यता में मदद करके दक्षिण चीन सागर पर भारत का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहा है.’’

पिछले कुछ दिनों में भारतीय मीडिया की आलोचना करने वाला दैनिक समाचार पत्र का यह दूसरा लेख है. बीते 15 अगस्त को एक अन्य लेख में इसने भारतीय मीडिया पर आरोप लगाया था कि वह द्विपक्षीय संबंधों में असहमतियों को रेखांकित करके चीन के खिलाफ ‘‘नकारात्मक भावनाओं को भड़का’’ रहा है. लेख में कहा गया, ‘‘वांग के दौरे के दौरान दोनों पक्षों ने इस बात पर भी चर्चा की होगी कि किस तरह एक करीबी साझेदारी को बढ़ावा दिया जाए. इस मुद्दे को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के दौरान उठाया गया था.’’ इसमें कहा गया, ‘‘बीजिंग और नई दिल्ली ने आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग के लिए उम्मीदें जगाई हैं. लेकिन उन्हें हकीकत में बदलने के लिए व्यापक सहमति और ज्यादा विमर्श की जरूरत है.’’

आर्थिक एवं व्यापारिक मुद्दों में द्विपक्षीय सहयोग में आने वाली समस्याओं को रेखांकित करते हुए चीनी मीडिया ने कहा कि ‘‘बीते वर्षों में इस संदर्भ में साझा कार्य निर्बाध रूप से नहीं हुए हैं.’’ चीनी मीडिया ने कहा, ‘‘हमें बाधाओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय साझा लाभों पर सहयोग को ज्यादा महत्व देना चाहिए. क्षेत्रीय विवादों जैसी कुछ लंबित समस्याओं के कारण, चीन और भारत के लिए सच्चे दोस्त बनना मुश्किल हो सकता है. लेकिन दुश्मन बन जाने से किसी के हित नहीं सधेंगे.’’ आगे चीनी मीडिया ने कहा, ‘‘एशिया की दो सबसे बड़ी उभरती शक्तियों के तौर पर, यदि चीन और भारत अपने मित्रवत रिश्तों को बढ़ा सकते हैं और कार्बन उत्सर्जन घटाने, विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सुधार जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर ज्यादा सहयोग कर सकते हैं तो यह दोनों देश पहले से अधिक साझा लाभ आपस में बांट सकते हैं.’’

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
भारत-चीन संबंध, चीनी सरकारी मीडिया, द्विपक्षीय संबंध, India-China Relations, China Government Media, South China Sea