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चीन ने बह्मपुत्र नदी पर बनाना शुरू किया 'वाटर बम', जानें भारत और पर्यावरण क्‍या पड़ेगा इसका असर

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, 'इस बांध के बन जाने के बाद 300 किलोवॉट/घंटे बिजली हर साल पैदा होगी, जिससे करीब 30 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा.

चीन ने बह्मपुत्र नदी पर बनाना शुरू किया 'वाटर बम', जानें भारत और पर्यावरण क्‍या पड़ेगा इसका असर
  • चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी के तिब्बती हिस्से में न्यिंगची शहर के पास दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाना शुरू किया.
  • इस परियोजना में पांच हाइड्रोपावर स्टेशन शामिल हैं और निर्माण पर लगभग बारह लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे.
  • भारत के अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बांध को वॉटर बम करार दिया है क्योंकि इससे भारत की जल सुरक्षा खतरे में है.
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चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाने का काम चालू कर दिया है. 19 जुलाई 2025 को चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग ने इस बांध के लिए भूमिपूजन किया. ये बांध चीन के न्यिंगची शहर में बनाया जा रहा है और ये शहर भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. यानि भारत के लिए सीधे तौर पर ये चिंता की बात है. अरुणाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पेमा खांडू ने तो इस बांध को भारत के लिए 'वॉटर बम' कहा है.

ब्रम्हपुत्र नदी के भारत में प्रवेश से पहले बनेगा बांध

करीब 2900 किलोमीटर लंबी ब्रम्हपुत्र नदी हिमालय के उस पार तिब्बत के पठार पर 2057 किलोमीटर दूर तक पश्चिम की ओर बहती है और उसके बाद अरुणाचल प्रदेश से होकर भारत में प्रवेश करती है. भारत के बाद ये बांग्लादेश जाती है और फिर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. लेकिन भारत में प्रवेश से ठीक पहले ये नदी एक यू टर्न लेती है. यही वो इलाका है जहां चीन दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बना रहा है.

डैम बनाने में आएगा 12 लाख करोड़ का खर्चा

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, 'इस बांध के बन जाने के बाद 300 किलोवॉट/घंटे बिजली हर साल पैदा होगी, जिससे करीब 30 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा. इस डैम को बनाने में करीब 167 अरब डॉलर यानि लगभग 12 लाख करोड़ का खर्चा आएगा.

चीन बनाएगा 5 हाइड्रोपावर स्‍टेशन

शिन्हुआ की तरफ से जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार इस निर्माण में पांच हाइड्रापोवर स्‍टेशंस शामिल होंगे. इस पूरे प्रोजेक्‍ट पर चीन करीब 167 अरब डॉलर की रकम खर्च करने वाला है. बताया जा रहा है कि एक बार प्रोजेक्‍ट के पूरा होने के बाद इस बांध से यांग्त्जी नदी पर बने थ्री गॉर्जेस बांध से भी ज्‍यादा बिजली पैदा हो सकेगी. चीन के इस प्रोजेक्‍ट को भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं.

ये बांध भारत के लिए है 'वॉटर बम'

  • सेंट्रल वॉटर कमीशन के अनुसार ब्रह्मपुत्र नदी में 60% पानी भारत से आता है और 40% पानी तिब्बत से. भारत में ब्रह्मपुत्र जिन इलाकों से होकर बहती है वो बारिश के लिहाज से काफी समृद्ध हैं. इसके बावजूद अगर नदी ऊपरी इलाके में सूखी रहे तो निचले इलाके पर उसके इकोसिस्टम पर फर्क तो पड़ेगा ही.
  • ऑस्ट्रेलिया के एक थिंक टैंक Lowy Institute की 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया था कि तिब्बत के पठार की नदियों पर नियंत्रण से चीन भारत को परेशान कर सकता है, उसकी अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकता है.
  • चीन अगर अचानक से अपने बांध से पानी छोड़ दे तो भारत में ब्रह्मपुत्र के आसपास के इलाकों में भयानक बाढ़ आ सकती है. यही वजह है कि कुछ लोग इसे चीन का वॉटर बम बता रहे हैं.
  • वहीं ये बांध जहां बन रहा है वो भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील है. यहां धरती के नीचे भारतीय टैक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट टकराती हैं, जिससे टैक्टोनिक एक्टिविटी बनी रहती है, बड़े भूकंप का खतरा रहता है. इसलिए भूकंप की वजह से अगर बांध को कुछ होता है तो भारत के निचले इलाकों में हालात बिगड़ सकते हैं.

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