चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय समिति ने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के दो कार्यकाल की समयसीमा को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया है.
नई दिल्ली:
चीन ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग के लिए दो कार्यकाल की समयसीमा को समाप्त करने के अपने कदम का बचाव करते हुए आज कहा कि सत्तारूढ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभुत्व को बरकरार रखने के साथ ही नेतृत्व की एकता के लिए यह आवश्यक है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय समिति ने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के दो कार्यकाल की समयसीमा को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया है.
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इस प्रस्ताव पर देश भर में ही नहीं विदेशों में भी प्रतिक्रिया हुई थी और इस आश्य के आकलन किए जाने लगे थे. शी राष्ट्रपति के साथ ही सीपीसी तथा सेना के प्रमुख हैं. हाल ही में उन्होंने राष्ट्रपति पद का दूसरा कार्यकाल शुरू किया है और इस नए प्रस्ताव से वह तीसरा कार्यकाल भी हासिल कर सकते हैं.
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सीपीसी के ऐसा कदम क्यों उठाया इस पर नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रवक्ता झांग येसूई ने विस्तार से समझाते हुए कहा कि राष्ट्रपति का कार्यकाल निश्चित होता है लेकिन पार्टी के मुखिया तथा सेना प्रमुख के कार्यकाल की कोई सीमा नहीं होती.
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उनहोंने कहा, ‘‘सीपीसी के संविधान के अनुसार ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि केन्द्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष अथवा महासचिव का कार्यकाल दो बार से ज्यादा नहीं हो सकता. तो संविधान के लिए राष्ट्रपति के कार्यकाल पर भी यही नियम लागू होना चाहिए. पार्टी की केन्द्रीय समिति की शक्तियों को बरकरार रखने में यह सहायक है.’’
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इस प्रस्ताव पर देश भर में ही नहीं विदेशों में भी प्रतिक्रिया हुई थी और इस आश्य के आकलन किए जाने लगे थे. शी राष्ट्रपति के साथ ही सीपीसी तथा सेना के प्रमुख हैं. हाल ही में उन्होंने राष्ट्रपति पद का दूसरा कार्यकाल शुरू किया है और इस नए प्रस्ताव से वह तीसरा कार्यकाल भी हासिल कर सकते हैं.
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सीपीसी के ऐसा कदम क्यों उठाया इस पर नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रवक्ता झांग येसूई ने विस्तार से समझाते हुए कहा कि राष्ट्रपति का कार्यकाल निश्चित होता है लेकिन पार्टी के मुखिया तथा सेना प्रमुख के कार्यकाल की कोई सीमा नहीं होती.
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उनहोंने कहा, ‘‘सीपीसी के संविधान के अनुसार ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि केन्द्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष अथवा महासचिव का कार्यकाल दो बार से ज्यादा नहीं हो सकता. तो संविधान के लिए राष्ट्रपति के कार्यकाल पर भी यही नियम लागू होना चाहिए. पार्टी की केन्द्रीय समिति की शक्तियों को बरकरार रखने में यह सहायक है.’’
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