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This Article is From Jul 01, 2020

चीन ने नई स्वाइन फ्लू महामारी के खतरे को लेकर शोध पर उठाए सवाल

टेस्ट में यह भी सामने आया कि मौसमी फ्लू (seasonal flu) से बॉडी में प्रतिरोधक क्षमता में अनुकूलता G4 के सामने ज्यादा कारगर नहीं होती है.

चीन ने नई स्वाइन फ्लू महामारी के खतरे को लेकर शोध पर उठाए सवाल

चीन ने बुधवार को अपने यहां मिले स्वाइन फ्लू के नए टाइप को लेकर रिसर्च पर ही सवाल उठाए है. बता दें कि स्वाइन फ्लू के इस नए टाइप के महामारी में बदलने की संभावना जताई जा रही है. अब चीन ने इस खतरे के महामारी में बदलने की संभावना को कम बताया. बता दें  कि स्वाइन फ्लू के इस नए टाइप को शोधकर्ताओं ने इसे सुअरों में खोजा था. अब चीन का कहना है ये अध्ययन प्रतिनिधि नहीं है. बता दें कि दुनियाभर में फैली महामारी कोरोनावायरस का सबसे पहले चीन में ही पता चला था और ऐसा बताया जा रहा था कि यह वायरस चिमगादड़ों से किसी अन्य जानवर के माध्यम से मानव के शरीर में पहुंचा था. इस वायरस से दुनियाभर में अब तक 10 मिलियन से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं. अमेरिकी विज्ञान पत्रिका पीएनएएस में सोमवार को प्रकाशित किया गया था कि अध्ययन के अनुसार, चीन में पाए गए नए स्वाइन फ़्लू स्ट्रेन में मनुष्यों को संक्रमित करने के लिए और एक अन्य संभावित महामारी के सभी आवश्यक तत्व है. लेकिन चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को आशंकाओं को कम कर दिया.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने एक नियमित ब्रीफिंग में कहा, "प्रासंगिक रिपोर्ट में उल्लेखित जी4 वायरस एच1एन1 वायरस का एक उप प्रकार है. विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि रिपोर्ट का सैंपल साइज छोटा है और यह इसका सही प्रतिनिधित्व नहीं करता है.' झाओ ने कहा कि संबंधित विभाग और विशेषज्ञ" बीमारी की निगरानी करना, चेतावनी भेजना और समयबद्ध तरीके से इसे संभालना जारी रखेंगे.'

बता दें कि सोमवार को यूएस साइंस जर्नल PNAS में एक पब्लिश की गई स्टडी में छपी रिपोर्ट में फ्लू के इस नए टाइप का नाम G4 है और यह  H1N1 के उसी स्ट्रेन से निकला है, जिसने 2009 में महामारी फैलाई थी. चीन के सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है. उनका कहना है कि इस नए टाइप में इंसानों को संक्रमित करने की सभी लक्षण मौजूद हैं. 

बता दें कि 2011 से 2018 के बीच रिसर्चर्स ने 10 चीनी प्रांतों और वेटेरिनिरी अस्पतालों से 30,000 सुअरों का नज़ल स्वाब (nasal swab) लिया था, इसमें से उन्होंने 179 स्वाइन फ्लू के वायरस अलग किए थे. इनमें से अधिकतर वायरस नए टाइप के हैं, जो 2016 के बाद सुअरों में बड़े स्तर पर पाए गए हैं.

इसके बाद रिसर्चर्स ने नेवलों पर इस वायरस के कई प्रयोग किए. चूंकि इनमें बुखार, खांसी और छींक जैसे लक्षण इंसानों से काफी मिलते हैं इसलिए नेवलों का फ्लू के परीक्षणों में काफी इस्तेमाल होता है. इस रिसर्च में सामने आया कि नेवलों में G4 ने दूसरे फ्लू के वायरसेज़ से कहीं ज्यादा संक्रमण फैलाया. टेस्ट में यह भी सामने आया कि मौसमी फ्लू (seasonal flu) से बॉडी में प्रतिरोधक क्षमता में अनुकूलता G4 के सामने ज्यादा कारगर नहीं होती है.

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