पड़ोसी देश चीन (China) तिब्बत में एक मेगा डैम बनाने की योजना बना रहा है, जो बिजली उत्पादन को तिगुनी कर सकता है. दुनिया का सबसे बड़ा पावर स्टेशन - थ्री जॉर्जेज की क्षमता बढ़ाने वाले चीन के इस मेगा प्रोजेक्ट ने पर्यावरणविदों और पड़ोसी भारत के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.
हिमालय से निकलकर भारत में प्रवेश करने से पहले ब्रह्मपुत्र नदी यू-टर्न लेती है और वहां 1500 मीटर गहरी खाई (कैनियन या जॉर्ज) बनाती है. चीन उसी जगह पर निर्माण करने की फिराक में है. इस मेगा प्रोजेक्ट के सामने चीन के पहले की तीन डैम बौने साबित होंगे. तिब्बत में यारलुंग त्संगपो के नाम से जानी जाने वाली नदी पर दो बड़ी परियोजनाएं हैं, जबकि छह अन्य परियोजनाएँ भी निर्माणाधीन हैं.
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तिब्बत के मेडोग काउंटी में प्रस्तावित यह परियोजना मध्य चीन में यांग्त्ज़ी नदी पर बने रिकॉर्ड-ब्रेकिंग थ्री जॉर्जेज डैम को बौना कर सकता है और हर साल 300 बिलियन किलोवाट बिजली का उत्पादन करने में सक्षम हो सकता है. इस मेगा प्रोजेक्ट का उल्लेख चीन की रणनीतिक 14वीं पंचवर्षीय योजना में किया गया है, जिसे मार्च में देश के शीर्ष सांसदों ने अपनी संस्तुति दी है.
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ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में अपने उद्गम स्थल से भारत और बांग्लादेश के माध्यम से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलने तक लगभग 2,900 किमी (1,800 मील) तक बहती है. चिब्बत में इसे "यारलुंग त्संगबो के नाम से जाना जाता है. इसके निचले हिस्से में प्रस्तावित हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को पिछले दिनों चीन की नई पंचवर्षीय योजना में सूचीबद्ध किया गया है, जो 2021-2025 की अवधि के लिए बनाई गई है.
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