अर्थव्यवस्था में नरमी से अप्रभावित चीन ने इस साल का रक्षा बजट 10.1 प्रतिशत बढ़ाकर 144.2 अरब डॉलर कर दिया जिसका लक्ष्य है विश्व की सबसे बड़ी सेना का आधुनिकीकरण करना। यह लगातार पांचवां साल है जब प्रस्तावित रक्षा व्यय में दहाई अंक की वृद्धि की गई है।
इस साल चीन का 142.2 अरब डॉलर का रक्षा व्यय भारत के 40 अरब डालर के रक्षा बजट के मुकाबले लगभग 104 अरब डॉलर अधिक है। चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में अपने काम का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए प्रधानमंत्री ली क्विंग ने रक्षा खर्च में बढ़ोतरी की घोषणा की।
चीन ने पिछले साल के 132 अरब डॉलर के मुकाबले 12 अरब डालर की बढ़ोतरी की है जिससे वह अमेरिका के बाद रक्षा पर खर्च करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
गौरतलब है कि अमेरिका का रक्षा बजट 2013 में करीब 600.4 अरब डॉलर था। चीन की आधिकारिक मीडिया में हालांकि कहा गया कि यह बढ़ोतरी पिछले पांच साल में सबसे कम है क्योंकि इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के सामने आर्थिक नरमी का दबाव है।
चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पिछले साल आधिकारिक लक्ष्य 7.5 प्रतिशत के मुकाबले 7.4 प्रतिशत रही जो पिछले 24 साल का न्यूनतम स्तर है। ली ने इस लेखा-जोखा (वर्क रिपोर्ट) में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के लिए सात प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य तय किया।
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की बैठक से ठीक पहले जारी बजट रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार की रक्षा बजट बढ़ाकर 886.9 अरब युआन (करीब 144.2 अरब डॉलर) करने की योजना है। इसके बावजूद 10.1 प्रतिशत की वृद्धि 2010 से अब तक का न्यूनतम स्तर है।
पिछले पांच साल से रक्षा बजट में दहाई अंक की वृद्धि की जा रही है और पिछले साल इसमें 12.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। आज की बजट रिपोर्ट में इस साल की नरम वृद्धि की वजह का जिक्र नहीं किया गया है लेकिन कहा गया कि राष्ट्रीय रक्षा विकास को आर्थिक वृद्धि के साथ जोड़ा जाएगा।
इस रिपोर्ट से यह चिंता पैदा हो गई है कि विश्व का आर्थिक केंद्र अपनी क्षमता खो रहा है और यह स्पष्ट हो रहा है कि चीन अब एक ‘नया सामान्य’ देश है जहां वृद्धि तथा ढांचागत आधार पर अधिकतम उपयोग के बीच संतुलन स्थापित करना है।
रिपोर्ट में कहा गया कि चीन आधुनिक लॉजिस्टिक्स को व्यापक तौर पर मजबूत करेगा, राष्ट्रीय रक्षा अनुसंधान बढ़ाएगा तथा नए एवं उच्च प्रौद्योगिकी वाले हथियारों व उपकरणों का विकास और रक्षा संबंधित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उद्योगों को विकसित करेगा।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘मजबूत राष्ट्रीय रक्षा एवं शक्तिशाली सशस्त्र बल तैयार करना चीन की संभुत्ता, सुरक्षा तथा विकास से जुड़े हितों की रक्षा की बुनियाद हैं।’ चीन का सैन्य खर्च लंबे समय से भारत और इस क्षेत्र के अन्य देशों के लिए चिंता का विषय रहा है।
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