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This Article is From Jul 22, 2020

अमेरिका ने ह्यूस्टन के चीनी वाणिज्य दूतावास को 72 घंटों में बंद करने का दिया आदेश, क्या है वजह?

खबर आई थी कि चीनी वाणिज्य-दूतावास में अंधेरे में दस्तावेज़ जलाए जा रहे थे. फिर पानी डालकर उन्हें बुझाया जा रहा था. स्थानीय पुलिस की जानकारी में जब ये बात आई तो वह वाणिज्य-दूतावास पहुंची लेकिन उसे बिल्डिंग के अंदर नहीं घुसने दिया गया.

अमेरिका ने ह्यूस्टन के चीनी वाणिज्य दूतावास को 72 घंटों में बंद करने का दिया आदेश, क्या है वजह?
अमेरिका के आदेश के बाद भड़का चीन. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
US ने ह्यूस्टन के चीनी कॉसुलेट को बंद करने को कहा
आदेश के बाद चीन भड़का
कहा- दोनों देशों के रिश्ते और खराब होंगे

अमेरिका और चीन के संबंधों में लगातार तनाव बढ़ता ही जा रहा है. खबर है कि अमेरिका ने चीन से ह्यूस्टन स्थित उसके वाणिज्य दूतावास को 72 घंटों में बंद करने को कहा है. चीन ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. दरअसल, खबर आई थी कि चीनी वाणिज्य-दूतावास में अंधेरे में दस्तावेज़ जलाए जा रहे थे. फिर पानी डालकर उन्हें बुझाया जा रहा था. स्थानीय पुलिस की जानकारी में जब ये बात आई तो वह वाणिज्य-दूतावास पहुंची लेकिन उसे बिल्डिंग के अंदर नहीं घुसने दिया गया. इस बात पर ज़बरदस्त नाराज़गी देखने को मिल रही है. ह्यूस्टन पुलिस की ओर से ट्विटर बताया गया है कि उन्होंने बिल्डिंग से धुआं निकलते हुए देखा था, लेकिन उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं मिली थी.

बुधवार को चीन की ओर से बयान जारी कर बताया गया कि अमेरिका ने ह्यूस्टन के चीनी वाणिज्य-दूतावास को बंद करने का आदेश दिया है. चीन की ओर से इसे राजनीतिक रूप से भड़काऊ कदम बताते हुए कहा गया है कि इससे दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्ते खराब होंगे. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेन्बिन ने कहा कि उन्हें मंगलवार को जानकारी दी गई कि उन्हें वाणिज्य-दूतावास बंद करना होगा. वेन्बिन ने कहा, 'चीन अमेरिका से अपना गलत फैसला तुरंत वापस लेने का आग्रह करता है, वर्ना चीन इसके खिलाफ जरूरी और उचित कदम उठाएगा.'

प्रवक्ता ने कहा, 'यह अमेरिका की ओर से एकतरफा राजनीतिक भड़काऊ कदम उठाया जा रहा है, जो गंभीर तौर पर अंतरराष्ट्रीय कानून और दोनों देशों के बीच में द्विपक्षीय कांसुलर समझौते का उल्लंघन करता है.' उन्होंने कहा कि चीन अमेरिका के इस कदम की कड़ी आलोचना करता है क्योंकि यह एक अनुचित कदम है, जिससे दोनों देशों के संबंध खराब होंगे.

(AFP से इनपुट के साथ)

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