टोरंटो:
कनाडा के क्यूबेक प्रांत की विधायिका ने एसेम्बली परिसर में सिख समुदाय के धार्मिक प्रतीक कृपाण लाने पर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव को एकमत से पारित कर दिया है। पिछले दिनों सिख समुदाय के चार लोगों को एक संसदीय सुनवाई में शिरकत करने पर रोक लगा दी गई थी, क्योंकि इन लोगों ने अपने कृपाण सौंपने से मना कर दिया था। क्यूबेक की नेशनल एसेम्बली ने बुधवार को कृपाण पर पाबंदी संबंधी प्रस्ताव को पारित किया। यह प्रस्ताव विपक्षी पार्टी क्यूबेकॉयस (पीक्यू) की ओर से लाया गया था। प्रस्ताव के पक्ष में 113, जबकि विपक्ष में एक भी मत नहीं पड़ा। इस प्रस्ताव में एसेम्बली के उन सुरक्षा अधिकारियों के फैसले को भी सही ठहराया गया, जिन्होंने कृपाण रखने वाले चार सिखों को अंदर नहीं आने दिया था। विश्व सिख संगठन (डब्ल्यूएसओ) की कनाडा शाखा ने क्यूबेक एसेम्बली के इस फैसले पर चिंता जताई है। इस संस्था ने एक बयान जारी कर कहा, क्यूबेक नेशनल एसेम्बली की ओर से प्रस्ताव पर मुहर लगाने से हमें निराशा हुई है। हम इस बात पर चिंतित हैं कि कृपाण लेकर चलने जैसे मानवाधिकार से जुड़े मुद्दे को राजनीतिक रंग दे दिया गया। डब्ल्यूएसओ के कानूनी सलाहकार बलप्रीत सिंह ने कहा, इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान सहिष्णुता और बहुसांस्कृतिकवाद के मूल्यों के खिलाफ है। 2006 में कनाडा के उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि कृपाण कोई हथियार नहीं, बल्कि एक धार्मिक प्रतीक है। पीक्यू की सदस्य लुईस बेयोडिन ने कहा कि यह प्रस्ताव इसलिए लाना पड़ा, क्योंकि आव्रजन मंत्री कैथलीन वेल कृपाण पर पाबंदी संबंधी मामले पर तटस्थ की भूमिका में आ गई थीं।
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