
ब्रिटेन में एक सिख दंपति ने आरोप लगाया है कि उन्हें श्वेत बच्चे को गोद लेने की इजाजत नहीं दी गई
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सांस्कृतिक विरासत का हवाला देकर श्वेत बच्चे को गोद लेने की नहीं दी इजाजत
इस दंपति को भारत से किसी बच्चे को गोद लेने को कहा गया
अब यह दंपत्ति इस मामले को अदालत ले जाने की तैयारी में है
दंपति ने एडॉप्ट बर्कशायर एडॉप्शन एजेंसी से कहा था कि उन्हें किसी भी जातीय पृष्ठभूमि के बच्चे को गोद लेकर खुशी होगी, लेकिन संभावित माता-पिता बनने के उनके अनुरोध को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि सिर्फ श्वेत बच्चे उपलब्ध हैं. मंदर दंपति ने दावा किया कि उनसे इसकी बजाय भारत से किसी बच्चे को गोद लेने को कहा गया.
एडॉप्शन एजेंसियों को नस्ल के आधार पर प्राथमिकता देने की अनुमति है, ताकि समान जातीय पृष्ठभूमि वाले संभावित माता-पिता को बच्चे को सौंपा जा सके. लेकिन, सरकार ने यह भी कहा है कि किसी बच्चे की जातीयता गोद लेने की राह में बाधा नहीं होनी चाहिए.
मंदर दंपति के मुद्दे को प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने उनका सांसद होने के नाते उठाया है. दंपत्ति इस मामले को अदालत ले जाएगा. वे स्लो काउंटी अदालत में आवेदन कर रहे हैं, जिसमें इस बात को घोषित करने की मांग की जाएगी कि नीति को उन्हें गोद लेने की अनुमति देनी चाहिए. उनके मामले की पैरवी लॉ फर्म मैकएलिस्टर ओलिवैरियस कर रही है और उनके मामले का समर्थन इक्वैलिटी एंड हयूमन राइट्स कमीशन कर रहा है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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