कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) को ब्रिटेन में बड़ा झटका लगा है. ब्रिटेन के हाईकोर्ट ने प्रत्यर्पण के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की उसकी अर्जी खारिज कर दी है. इसके साथ ही माल्या के लिए मामले के सभी रास्ते बंद हो चुके हैं और यह तय है कि उसे अब भारत आना ही पड़ेगा. माल्या को गुरुवार को ब्रिटेन के हाईकोर्ट ने माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों का सामना करने के लिए भारत में प्रत्यर्पण के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की अर्जी खारिज कर दी.
भारत-ब्रिटेन की प्रत्यर्पण संधि के तहत, ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल की ओर से अब 28 दिनों के भीतर विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के अदालती आदेश पर अंतिम मुहर लगा सकती है. गौरतलब है कि भारत 64 वर्षीय माल्या को वापस लाना चाहता है जिसके ऊपर 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है. भारतीय अधिकारियों का तर्क है कि माल्या का इस कर्ज को चुकाने का कोई इरादा नहीं है, दूसरी ओर माल्या अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार करता रहा है और इस समय जमानत पर है. इस फैसले को भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ भारतीय सरकार के लिए बड़ी न्यायिक जीत माना जा रहा है.
ऐसा लगता है कि माल्या को अपनी मुश्किलें बढ़ने का अहसास हो गया था. उसने भारत सरकार से लोन की पूर राशि चुकाने के प्रस्ताव को स्वीकार करने और अपने खिलाफ मामला बंद करने का आग्रह किया था. यही नहीं कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर घोषित किए गए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज के लिए भी उसने भारत सरकार की सराहना की थी. उसने इसके साथ इस बात पर अफसोस बताया था कि पूरा लोन चुकाने के बार-बार के उसके प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया गया है. गौरतलब है कि अब डिफाल्टर हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमोटर विजय माल्या भारत में कथित धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में वांटेंड हैं.
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