प्रतीकात्मक चित्र
लंदन:
ब्रिटेन शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने वाले विदेशी छात्रों के लिए अंग्रेजी की नई मुश्किल परीक्षा लेने पर विचार कर रहा है। इससे भारत सहित अन्य विदेशी छात्रों की संख्या में और भी कमी आने की आशंका है।
इस कदम को लेकर सरकार के बीच भी मतभेद पैदा हो सकता है, क्योंकि कुछ मंत्री पहले से ही कम हो रही भारतीय छात्रों की संख्या में और कमी लाने वाली कठिन नीतियों का समर्थन नहीं करेंगे।
'द संडे टाइम्स' के अनुसार, ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने वर्तमान तंत्र को बदलने और उसके स्थान पर ज्यादा कठिन अंग्रेजी भाषा परीक्षा प्रणाली लागू करने की योजना तैयार करने के लिए विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ पिछले सप्ताह कार्यशाला का आयोजन किया।
भाषा की नई परीक्षा के वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में मौजूद परीक्षा से ज्यादा कठिन होने की आशंका है, जिससे ब्रिटिश विश्वविद्यालयों को नुकसान होगा।
प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कठिन भाषा परीक्षा की मांग रखी है और उनकी गृहमंत्री टेरेसा मे सही तरीके से अंग्रेजी नहीं बोल पाने वाले छात्रों के खिलाफ कदम उठाना चाहती हैं।
हालांकि विश्वविद्यालयों के कुलपति छात्रों की संख्या में कमी से प्रतिवर्ष फीस के रूप में मिलने वाली लाखों पाउंड की राशि में कमी आने से चिंतित हैं और उन्होंने इसकी आर्थिक समीक्षा की मांग की है।
इस कदम को लेकर सरकार के बीच भी मतभेद पैदा हो सकता है, क्योंकि कुछ मंत्री पहले से ही कम हो रही भारतीय छात्रों की संख्या में और कमी लाने वाली कठिन नीतियों का समर्थन नहीं करेंगे।
'द संडे टाइम्स' के अनुसार, ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने वर्तमान तंत्र को बदलने और उसके स्थान पर ज्यादा कठिन अंग्रेजी भाषा परीक्षा प्रणाली लागू करने की योजना तैयार करने के लिए विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ पिछले सप्ताह कार्यशाला का आयोजन किया।
भाषा की नई परीक्षा के वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में मौजूद परीक्षा से ज्यादा कठिन होने की आशंका है, जिससे ब्रिटिश विश्वविद्यालयों को नुकसान होगा।
प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कठिन भाषा परीक्षा की मांग रखी है और उनकी गृहमंत्री टेरेसा मे सही तरीके से अंग्रेजी नहीं बोल पाने वाले छात्रों के खिलाफ कदम उठाना चाहती हैं।
हालांकि विश्वविद्यालयों के कुलपति छात्रों की संख्या में कमी से प्रतिवर्ष फीस के रूप में मिलने वाली लाखों पाउंड की राशि में कमी आने से चिंतित हैं और उन्होंने इसकी आर्थिक समीक्षा की मांग की है।
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