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ऑस्ट्रेलिया का ‘सरकार’ कौन? 3 मई को चुनाव में निर्दलीय बन सकते हैं किंगमेकर... आपको ये 5 बात जाननी चाहिए

Australia Election 2025 Explained: ऑस्ट्रेलिया में सांसदों और पीएम के चुनाव के लिए 3 मई को वोट डाले जाएंगे. जानिए इस चुनाव में कौन से मुद्दे हावी दिख रहे हैं और पीएम की रेस में कौन-कौन शामिल है.

ऑस्ट्रेलिया का ‘सरकार’ कौन? 3 मई को चुनाव में निर्दलीय बन सकते हैं किंगमेकर... आपको ये 5 बात जाननी चाहिए
Australia Election 2025: ऑस्ट्रेलिया में सांसदों और पीएम के चुनाव के लिए 3 मई को वोट डाले जाएंगे

ऑस्ट्रेलिया में शनिवार, 3 मई को आम चुनाव होने हैं, जिसमें देश के भविष्य के लिए बिल्कुल विपरीत दृष्टिकोण रखने वाले पार्टी नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला होगा. प्रधानमंत्री के पद के लिए किनके बीच टक्कर है, इस बार के चुनाव में बड़े फैक्टर क्या हैं… यहां हम आपको ऑस्ट्रेलिया के आम चुनाव के बारे में पांच अहम बातें बताते हैं.

Australia election 2025: कौन बनेगा पीएम?

चुनाव में वामपंथी झुकाव वाले मौजूदा प्रधान मंत्री एंथनी अल्बानीज का मुकाबला अपने कट्टर रूढ़िवादी प्रतिद्वंद्वी पीटर डटन से होगा. दोनों की पृष्ठभूमि नीली कॉलर वाली है. यानी मैनूअल लेबर से जुड़े जॉब वाली फैमली से आते थे. यह बात उन्हें उन पूर्व नेताओं से अलग करती है जो आम तौर पर ऑक्सब्रिज की डिग्री और बैंकिंग या कानून में ऊंचे करियर से लैस हैं.

62 वर्षीय अल्बानीज का पालन-पोषण सिडनी के भीतरी शहर में एक छोटे से सरकारी-सब्सिडी वाले फ्लैट में एक अकेली मां ने किया था. उन्होंने अपनी किशोरावस्था अपनी मां मैरीएन की देखभाल में बिताई, क्योंकि वह रुमेटीइड गठिया की बीमारी से जूझ रही थीं. वहीं 54 वर्षीय डटन एक राजमिस्त्री के बेटे हैं, जिनका पालन-पोषण पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन के उपनगरीय इलाके में हुआ. यूनिवर्सिटी छोड़ने के बाद वे राज्य पुलिस में शामिल हो गए और कुछ समय के लिए कसाई की दुकान पर काम किया. डटन सांसदी का चुनाव लड़ने से पहले एक ड्रग्स स्क्वाड के जासूस थे.

Australia election 2025: न्यूक्लियर इनर्जी का मुद्दा

दुनिया के कुछ सबसे बड़े यूरेनियम भंडार पर बैठे होने के बावजूद, ऑस्ट्रेलिया में 1998 से परमाणु ऊर्जा पर लगभग पूर्ण प्रतिबंध लगा हुआ है. डटन इस प्रतिबंध को खत्म करना चाहता हैं और नए सिरे से परमाणु ऊर्जा उद्योग का निर्माण करना चाहता है.

नवीकरणीय ऊर्जा पर संदेह संदेह हुए, डटन ने कहा है कि परमाणु ऊर्जा ही एकमात्र विश्वसनीय तरीका है जिससे ऑस्ट्रेलिया लंबी अवधि में कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकता है. इसके विपरीत, अल्बानीज ने सौर ऊर्जा, पवन टरबाइन और हरित विनिर्माण पर जोर दिया है, सरकार का पैसा उसी में लगा है. उन्होंने देश को नवीकरणीय ऊर्जा महाशक्ति बनाने का वचन दिया है.

Australia election 2025: ट्रंप कार्ड 

ऑस्ट्रेलिया पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले ने सर्वे में अल्बानीज की उम्मीदों को आगे बढ़ने में मदद की है. कुछ सर्वे में दिख रहा है कि ट्रंप के कारण डटन के समर्थन में कमी आई है. इसकी वजह है कि डटन ने इस साल की शुरुआत में वैश्विक मंच पर "गंभीरता" के साथ "बड़े विचारक" के रूप में ट्रंप की प्रशंसा की थी. डटन और अल्बानीज दोनों ने तब से सख्त रुख अपनाया है. डटन ने अप्रैल में कहा, "अगर मुझे अपने देश के हित को आगे बढ़ाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप या किसी अन्य विश्व नेता के साथ लड़ाई की ज़रूरत पड़ी, तो मैं इसे दिल से करूंगा." 

वहीं अल्बानीज ने ट्रंप के टैरिफ को "आर्थिक आत्म-नुकसान" बताया है और यह कहते हुए निंदा की है कि यह किसी "किसी मित्र का काम नहीं" है. प्रधानमंत्री ने एक टेलीविजन डीबेट में कहा, "उनके अलग-अलग विचार, अलग-अलग मूल्य हैं… मैं स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यापार का समर्थन करता हूं. लेकिन वह नहीं करते."

Australia election 2025: निर्दलीय होंगे मजबूत?

ऑस्ट्रेलियाई राजनीति में लंबे समय से अल्बानीज की वामपंथी झुकाव वाली लेबर पार्टी और विचारों के स्पेक्ट्रम के दाईं ओर डटन की लिबरल पार्टी का वर्चस्व रहा है. लेकिन मतदाताओं के बीच बढ़ते मोहभंग ने अधिक पारदर्शिता और जलवायु प्रगति पर जोर देने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों को प्रोत्साहित किया है. सर्वे में लेबर पार्टी को मामूली बढ़त हासिल है. लेकिन अगर चुनाव नजदीकी रहता है, तो 10 या अधिक क्रॉसबेंचर्स (किसी तरफ जा सकने वाले निर्दलीय) अपने हाथ में बहुमत की चाबी बनाए रख सकते हैं.

Australia election 2025: यहां वोट डालना अनिवार्य, नहीं किया तो…

ऑस्ट्रेलियाई में 1924 से अनिवार्य मतदान लागू है. यही वजह है कि वहां मतदान कभी भी 90 प्रतिशत से कम नहीं हुआ है. जो रजिस्टर्ड मतदाता वोट नहीं करते हैं, उन पर लगभग Aus$20 (लगभग 1 हजार रुपए) का "प्रशासनिक जुर्माना" लगाया जाता है. यहां 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 18.1 मिलियन मतदाता हैं. मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुले रहेंगे.

वोटर संसद के निचले सदन, प्रतिनिधि सभा (लोकसभा जैसी) की सभी 150 सीटों को चुनते हैं. यहां सांसद तीन साल के लिए चुने जाते हैं. अभी संसद में लेबर के पास 77 सीटें थीं और विपक्षी लिबरल-नेशनल गठबंधन के पास 54 सीटें थीं. इसके अलावा ऊपरी सदन, सीनेट (राज्यसभा जैसी) की 76 सीटों में से 40 पर चुनाव होना है. इनका कार्यकाल 6 साल का होता है.

भारत की तरह यहां वोटर किसी एक उम्मीदवार को वोट नहीं देते बल्कि वे उम्मीदवारों को वरीयता के क्रम में रैंक करते हैं. यदि किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता है, तो सबसे कम लोकप्रिफ उम्मीदवारों के लिए वोटों का पुनर्वितरण (दूसरों में वरियता के हिसाब से बांटना) तब तक किया जाता है जब तक कि किसी को 50 प्रतिशत से अधिक न मिल जाए. सीनेट के लिए भारत की तरह ही आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली है. इसका लक्ष्य हर पार्टी को उनके मिले वोटों के हिसाब से सीनेट में सीटें देना है.

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