लंदन:
‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बब्बर खालसा आतंकी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी पर लगी रोक का स्वागत किया है।
संस्था के अंतरराष्ट्रीय नीति सलाहकार विक्रमजीत बत्रा ने भारत सरकार के इस कदम का फैसला किया। उन्होंने कहा कि बलवंत को फांसी दिया जाना भारत में आठ साल के भीतर मौत की सजा देने का पहला मामला होता और इससे भारत वैश्विक स्तर पर मौत की सजा नहीं देने की नीति से अलग हो जाता। बत्रा ने कहा कि भारत को फांसी पर आधिकारिक तौर पर रोक लगा देनी चाहिए और सभी तरह के अपराधों पर मिलने वाली मौत की सजा को खत्म कर देना चाहिए।
गौरतलब है कि 44 वर्षीय राजोआना को 31 मार्च के दिन पंजाब में फांसी दी जानी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने उसकी फांसी पर रोक लगा दी है और पंजाब सरकार ने उसकी सजा माफ करने के लिए राष्ट्रपति के पास याचिका भी भेजी हुई है। भारत में वर्ष 2004 के बाद से किसी को भी फांसी नहीं दी गई है।
संस्था के अंतरराष्ट्रीय नीति सलाहकार विक्रमजीत बत्रा ने भारत सरकार के इस कदम का फैसला किया। उन्होंने कहा कि बलवंत को फांसी दिया जाना भारत में आठ साल के भीतर मौत की सजा देने का पहला मामला होता और इससे भारत वैश्विक स्तर पर मौत की सजा नहीं देने की नीति से अलग हो जाता। बत्रा ने कहा कि भारत को फांसी पर आधिकारिक तौर पर रोक लगा देनी चाहिए और सभी तरह के अपराधों पर मिलने वाली मौत की सजा को खत्म कर देना चाहिए।
गौरतलब है कि 44 वर्षीय राजोआना को 31 मार्च के दिन पंजाब में फांसी दी जानी थी, लेकिन केंद्र सरकार ने उसकी फांसी पर रोक लगा दी है और पंजाब सरकार ने उसकी सजा माफ करने के लिए राष्ट्रपति के पास याचिका भी भेजी हुई है। भारत में वर्ष 2004 के बाद से किसी को भी फांसी नहीं दी गई है।
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