एक शीर्ष मानवाधिकार समूह ने पेशावर के स्कूल में हमले की पृष्ठभूमि में मौत की सजा पर से पाबंदी खत्म करने के बाद पाकिस्तान से देश में बढ़ते मृत्युदंड पर रोक लगाने को कहा है।
पिछले साल 17 दिसंबर को मृत्युदंड पर पाबंदी उठाए जाने के बाद से पाकिस्तान में मौत की सजा सुनाए गए करीब 500 कैदियों को फांसी दी जा सकती है। पिछले एक महीने में पाकिस्तान ने कई कैदियों को फांसी दी है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के एशिया प्रशांत के उप-निदेशक डेविड ग्रिफिट्स ने कहा कि पाकिस्तान में फांसी में इजाफा रूकना चाहिए। पेशावर हमला बहुत बर्बर था, पर हिंसा को रोकने के लिए जो किया जा रहा है, वह बहुत कड़ा है तथा और हत्याएं इसका जवाब नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को मृत्युदंड को खत्म करने के नजरिए से फांसी पर तुरंत पाबंदी लगाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल किसी भी स्थिमि में मृत्युदंड दिए जाने का विरोध करता है। पाकिस्तान में इसका इस्तेमाल बहुत परेशान करने वाला है क्योंकि कई मृत्युदंड की सजाएं सही तरीके से मुकदमा चलाए बिना दे दी गईं।
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