संसदीय पैनल ने किया दावा
वाशिंगटन:
अमेरिका के संसदीय पैनल ने बुधवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में चेताया है कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य संकटों का सामना कर रहा है, और वह रूस व चीन के खिलाफ होने वाले युद्ध में हार सकता है.कांग्रेस ने राष्ट्रीय रक्षा रणनीति आयोग को यह जिम्मेदारी दी है कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की राष्ट्रीय रक्षा रणनीति (एनडीएस) का अध्ययन करे. ध्यान हो कि ट्रंप की यह नीति मॉस्को और बीजिंग के साथ शक्ति पाने की नई होड़ को रेखांकित करती है.
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डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक पार्टी के दर्जनों पूर्व अधिकारियों के इस पैनल ने पाया कि एक ओर जहां अमेरिकी सेना बजट में कटौती का सामना कर रही है और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कमी आ रही है, वहीं चीन और रूस जैसे देश अमेरिकी ताकत के साथ संतुलन कायम करने के लिए अपनी शक्ति बढ़ा रहे हैं. आयोग का कहना है कि अमेरिका की सैन्य श्रेष्ठता, जो दुनिया में उसकी ताकत का लोहा मनवाती है और राष्ट्रीय सुरक्षा, बेहद खतरनाक डिग्री तक खराब हुई है.
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पैनल ने पाया कि इस सदी में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर अमेरिका का ध्यान केन्द्रित होने से वह युद्ध के अन्य क्षेत्रों जैसे मिसाइल रक्षा, साइबर और अंतरिक्ष अभियान सहित अन्य क्षेत्रों में पिछड़ रहा है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही अमेरिका सरकार ने रूस से सुखोई एसयू-25 लड़ाकू विमान और जमीन से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइलें खरीदने के लिए चीनी सेना की एक अहम इकाई पर कड़े प्रतिबंध लगाया था.
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अमेरिका ने कहा है कि चीन के रक्षा मंत्रालय के उपकरण विकास विभाग की खरीद ने रूस पर उसके प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है.अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कार्रवाई का मकसद रूस की दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के जवाब में उस पर हर्जाना लगाना है.
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डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक पार्टी के दर्जनों पूर्व अधिकारियों के इस पैनल ने पाया कि एक ओर जहां अमेरिकी सेना बजट में कटौती का सामना कर रही है और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कमी आ रही है, वहीं चीन और रूस जैसे देश अमेरिकी ताकत के साथ संतुलन कायम करने के लिए अपनी शक्ति बढ़ा रहे हैं. आयोग का कहना है कि अमेरिका की सैन्य श्रेष्ठता, जो दुनिया में उसकी ताकत का लोहा मनवाती है और राष्ट्रीय सुरक्षा, बेहद खतरनाक डिग्री तक खराब हुई है.
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पैनल ने पाया कि इस सदी में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर अमेरिका का ध्यान केन्द्रित होने से वह युद्ध के अन्य क्षेत्रों जैसे मिसाइल रक्षा, साइबर और अंतरिक्ष अभियान सहित अन्य क्षेत्रों में पिछड़ रहा है. गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही अमेरिका सरकार ने रूस से सुखोई एसयू-25 लड़ाकू विमान और जमीन से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइलें खरीदने के लिए चीनी सेना की एक अहम इकाई पर कड़े प्रतिबंध लगाया था.
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अमेरिका ने कहा है कि चीन के रक्षा मंत्रालय के उपकरण विकास विभाग की खरीद ने रूस पर उसके प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है.अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कार्रवाई का मकसद रूस की दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों के जवाब में उस पर हर्जाना लगाना है.
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