
- नेपाल में इंद्र यात्रा उत्सव आठ दिनों तक चलता है और काठमांडू के बसंतपुर दरबार चौक पर रथयात्रा होती है.
- कुमारी देवी को नेपाल की जीवित देवी माना जाता है जो नेवार समुदाय की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
- कुमारी का चयन 32 शारीरिक मानकों के आधार पर किया जाता है और उन्हें कई कठोर नियमों का पालन करना होता है.
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में इन दिनों इंद्र यात्रा चल रही है और यह उत्सव आठ दिनों तक चलेगा. इस मौके पर रविवार को राजधानी काठमांडू के बसंतपुर दरबार चौक पर मानव रूपी देवताओं - कुमारी, गणेश और भैरव - की रथयात्रा देखने के लिए भारी तादाद में श्रद्धालु इकट्ठा हुए थे. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, नेपाल के राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल और बाकी लोग भी उपस्थित थे. हर साल यह उत्सव सितंबर के महीने में पड़ता है और यह उत्सव काठमांडू घाटी की नेवार कम्युनिटी का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है. इस उत्सव में यूं तो कई बातें होती हैं जो काफी खास होती है लेकिन सबसे अहम होती है वह कुमारी यानी एक जीवित देवी जिन्हें एक रथ पर बिठाकर काठमांडू में जुलूस के तौर पर निकाला जाता है. कौन होती हैं ये कुमारी और नेपाल में इनकी क्या अहमियत है, जानें.
कुमारी, नेपाल की पुरानी प्रथा
नेपाल में इंद्र यात्रा वह उत्सव जो उस समय की याद में मनाया जाता है जब भगवान इंद्र स्वर्ग से मानव रूप में जड़ी-बूटी की तलाश में नीचे आए थे. यह त्यौहार शरद ऋतु के एक महीने तक चलने वाले उत्सवों के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है. मॉनसून के मौसम के खत्म होने और धान की खेती से भी इस उत्सव का खास नाता है. आठ दिन तक जीवित देवी या कुमारी के सामने भगवान विष्णु के दस अवतारों को प्रदर्शित किया जाता है.
नेपाल में कुमारी प्रथा कई सदी पुरानी है और कुमारी देवी को कुछ लोग काठमांडू की संस्कृति का अहम हिस्सा मानते हैं. एक छोटी, सुंदर और शालीन, ऐसा माना जाता है कि अगर ऐसी कुमारी के दर्शन भी किसी को हो जाएं तो वह भी सौभाग्य लेकर आ सकती है. वर्तमान समय में तृष्णा शाक्य रॉयल कुमारी हैं और 27 सितंबर 2017 में उन्हें चुना गया था. उनकी उम्र 3 साल थी जब उन्हें कुमारी के तौर पर घोषित किया गया. नेपाल में पूजी जाने वाली कई लड़कियों में कुमारी सबसे खास होती हैं और उन्हें कई लोग पूजते हैं. हालांकि वह घर के अंदर एकांत और गुप्त जीवन जीती है और बहुत कम नजर आती हैं. एक जीवित देवी के तौर पर शाक्य खास मौकों पर अपने घर से साल में 13 बार ही निकल सकती हैं.
कौन होती हैं कुमारी
नेपाल में, हिंदू बौद्ध समुदाय कुमारी को शक्ति की देवी मानता है. https://www.footprintadventure.com/ की रिपोर्ट के अनुसार ये समुदाय मानते हैं कि कुमारी तलेजू भवानी और दुर्गा का जीवित अवतार हैं. देवी को यहां पर बाकी सभी से श्रेष्ठ माना जाता है. कई लोग मानते हैं कि देवी की शक्ति ही हर चीज को अस्तित्व में लाती है और उसे जीवंत बनाती है. देवी की शक्ति के बिना कुछ भी नहीं है और इसलिए कुमारी की पूजा सबसे ऊपर है. उनका मानना है कि शक्ति उनके शुद्ध और जीवित रूप में है.
नॉर्मल दिनों में यानी जब कोई उत्सव नहीं होता है तो लोग साधारण तरीके से पूजा करते हैं. दर्शक कक्ष कुमारी घर की दूसरी मंजिल पर है. यहां पर सोने का एक सिंहासन है और राजा दरबार चौक के सामने वाली सोने की खिड़की से उनकी पूजा होती है. हर तरह की शक्तिशाली पूजा कुमारी घर में ही होती हैं. कुमारी की पूजा को सबसे गुप्त रखा जाता है. नेवार बौद्ध हैं और कुमारी एक बौद्ध परिवार से हैं लेकिन वह एक हिंदू देवी हैं.
मानने होते हैं कई नियम
कुमारी चुने जाने के बाद उनके लिए कई नियम होते हैं जिनका उन्हें हर हाल में पालन करना होता है. उसे एक गंभीर दिखने वाली लड़की की तरह बर्ताव करना है जिसके शरीर में बहुत कम हलचल हो. साथ ही उसे उस स्थान के अलावा जमीन छूने की अनुमति नहीं है जहां उसकी पूजा की जाती है क्योंकि उसे देवी का जीवित अवतार माना जाता है और जमीन को भी देवता माना जाता है. इसलिए, कुमारी को किसी और देवता को छूने की अनुमति नहीं है. कुमारी देवी को देखभाल करने वाले या पालकी में ले जाया जाता है. न ही उन्हें किसी तरह की कोई बलि को देखने की मंजूरी है.
32 कड़े मानकों के बाद होता चयन
कुमारी का चयन 32 कड़े शारीरिक मानकों पर खरा उतरने के बाद ही होता है. चनिरा बज्राचार्य जो एक कुमारी रह चुकी हैं, उन्होंने साल 2015 में अमेरिकी वेबसाइट एनपीआर को दिए इंटरव्यू में बताया था कि इन विशेषताओं के निरीक्षण के लिए शाही दरबार में ले जाया गया जिनमें 'हिरण जैसी जांघें, शेर जैसी छाती और गाय जैसी पलकें शामिल थीं. उन्हें उस समय कुमारी की उपाधि मिली थी जब सिर्फ 5 साल की थी और पाटन में उन्हें इससे नवाजा गया था. एक विस्तृत तलाशी जिसमें एक एलिमिनेशन राउंड भी शामिल था, उससे वह गुजरी.
इसमें सात लड़कियों को अनाज दिया गया और उनकी प्रतिक्रिया का अध्ययन किया गया, 'कुछ को बुखार हो गया तो कुछ रोने लगी थीं. बज्राचार्य का रंग बस हल्का सा लाल हो गया था. बज्राचार्य को याद है कि कैसे राजपुरोहित की पत्नी ने उनके दांतों और नाखूनों की जांच की और देखा कि उनके शरीर पर कोई दाग तो नहीं है. इसके बाद उन्हें तो उन्होंने घोषणा की कि वह अगली देवी बनेंगी.
जब कुमारी करती हैं भविष्यवाणी
जब कुमारी किसी के बारे में भविष्यवाणी करती हैं, तो वे कई संकेत दिखाती हैं जो कुछ इस तरह से हैं-
- रोना/जोर से हंसना- गंभीर बीमारी या मृत्यु
- भोजन के प्रसाद में से कुछ उठाना- आर्थिक नुकसान
- ताली बजाना- राजा से डरने का कारण
- रोना या आंखें मलना- तुरंत मृत्यु या अंतिम दिन
- कांपना- जेल की सजा
पहला पीरियड और देवी की मृत्यु
कुमारी देवी को देश की शक्ति और सुरक्षा का इंसानी प्रतीक माना जाता है. हिंदू और बौद्ध समुदायों में उन्हें पवित्रता का एकमात्र प्रतीक माना जाता है. क्योंकि कुमार को किसी भी तरह की ब्लीडिंग की मंजूरी नहीं है तो पीरियड्स या मासिक धर्म शुरू होते ही उन्हें जीवित देवी नहीं माना जाता. ऐसा कहा जाता है कि रक्तस्त्राव के बाद देवी कुमारी का शरीर त्याग देती हैं और ब्लीडिंग उनके अंदर की देवी की पवित्रता को नष्ट कर देती है. ऐसे में वह जीवित देवी की सारी दिव्य शक्ति खो देती हैं.
उन्हें शादी करने की भी इजाजत नहीं थी क्योंकि यह मिथ था कि अगर कोई लड़का पूर्व कुमारी से शादी करता है तो उसकी बहुत कम उम्र में मौत हो जाती है. हालांकि अब इस मिथ को खत्म कर दिया गया है और पूर्व कुमारी को भी शादी का अधिकार मिल गया है. 2008 में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि जिंदा देवी को भी पढ़ने की इजाजत है. इसके बाद अब कुमारी अपनी परीक्षाएं भी देती हैं.
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