एयर एशिया ग्रुप सीईओ टोनी फर्नांडिस की फाइल फोटो
पिछले साल दिसंबर महीने में एयर एशिया के विमान QZ8501 के क्रैश होने के बाद एयर एशिया के भारतीय मूल के सीईओ टोनी फर्नांडिस काफी रोए थे, लेकिन अकेले में क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि उनके भावुकता का विपरीत असर उनकी टीम पर पड़े।
इस हादसे में एयर एशिया विमान में सवार सभी 162 यात्रियों की मौत हो गई थी।
51 साल के टोनी फर्नांडिस के अनुसार वे ये बता नहीं सकते हैं कि इस हादसे के बाद उन्हें कैसा लगा था। एयरएशिया की ये फ्लाइट 28 दिसंबर 2014 को इंडोनेशिया के शहर सुराबाया से सिंगापुर आ रही थी।
सिंगोपुर रेडियो को दिए गए एक इंटरव्यू में टोनी फर्नांडिस ने कहा, 'पिछले साल के क्रैश के बाद का समय उनके लिए भावनात्मक रुप से काफी कठिन था।
भावनात्मक समय
'मैं अकेले में काफी रोया था, मैंने ये बात किसी से कही नहीं थी। मेरे ख़्याल से जब आप अपने लोगों के बीच होते हैं तब आपको जितना हो सके उतना मज़बूत बने रहना चाहिए।'
मेरे मन में जो पहला सवाल था वो ये कि, 'क्या मुझे बाहर जाना चाहिए या नहीं और मेरा पहला निर्णय था , 'नहीं क्योंकि ये इंडोनेशिया का विमान था।'
टोनी आगे कहते हैं, 'लेकिन मुझे लगा कि ये एयरलाइन मुझसे इतने नज़दीक से जुड़ा है, वहां नहीं जाना ग़लती होगी और मेरे स्टाफ को मेरी ज़रुरत है। मेरे लोगों को मेरी ज़रुरत है और सबसे अहम ये था कि जो लोग मारे गए उनके परिवारवालों को ये पता चलना चाहिए कि हम उनके साथ हैं।'
टोनी फर्नांडिस के अनुसार, 'हालांकि उन्हें एक लीडर की तरह बर्ताव करने की ज़रुरत थी लेकिन इस हादसे का उनपर काफी गहरा असर हुआ था।'
टोनी कहते हैं, 'जब आप एक युवा महिला को वापिस दफ़नाने के लिए उसके घर लेकर जाते हैं, जब आप अपने पायलट के परिवारों से मिलते हैं और वे परिवार जो पूरी तरह से खत्म हो गए, तब चाहे आप जितना भी अफसोस कर लें, आप उन परिवारों की तकलीफ़ नहीं समझ सकते है....ये बहुत जज़्बाती था।'
हादसे के तीन महीने बाद मार्च महीने में इंडोनेशिया के खोजी बचाव दल ने जावा समुद्र पर जहाज़ का उपरी भाग और यात्रियों के अवशेष मिलने के बाद अपना अभियान खत्म कर दिया था।
इस हादसे में एयर एशिया विमान में सवार सभी 162 यात्रियों की मौत हो गई थी।
51 साल के टोनी फर्नांडिस के अनुसार वे ये बता नहीं सकते हैं कि इस हादसे के बाद उन्हें कैसा लगा था। एयरएशिया की ये फ्लाइट 28 दिसंबर 2014 को इंडोनेशिया के शहर सुराबाया से सिंगापुर आ रही थी।
सिंगोपुर रेडियो को दिए गए एक इंटरव्यू में टोनी फर्नांडिस ने कहा, 'पिछले साल के क्रैश के बाद का समय उनके लिए भावनात्मक रुप से काफी कठिन था।
भावनात्मक समय
'मैं अकेले में काफी रोया था, मैंने ये बात किसी से कही नहीं थी। मेरे ख़्याल से जब आप अपने लोगों के बीच होते हैं तब आपको जितना हो सके उतना मज़बूत बने रहना चाहिए।'
मेरे मन में जो पहला सवाल था वो ये कि, 'क्या मुझे बाहर जाना चाहिए या नहीं और मेरा पहला निर्णय था , 'नहीं क्योंकि ये इंडोनेशिया का विमान था।'
टोनी आगे कहते हैं, 'लेकिन मुझे लगा कि ये एयरलाइन मुझसे इतने नज़दीक से जुड़ा है, वहां नहीं जाना ग़लती होगी और मेरे स्टाफ को मेरी ज़रुरत है। मेरे लोगों को मेरी ज़रुरत है और सबसे अहम ये था कि जो लोग मारे गए उनके परिवारवालों को ये पता चलना चाहिए कि हम उनके साथ हैं।'
टोनी फर्नांडिस के अनुसार, 'हालांकि उन्हें एक लीडर की तरह बर्ताव करने की ज़रुरत थी लेकिन इस हादसे का उनपर काफी गहरा असर हुआ था।'
टोनी कहते हैं, 'जब आप एक युवा महिला को वापिस दफ़नाने के लिए उसके घर लेकर जाते हैं, जब आप अपने पायलट के परिवारों से मिलते हैं और वे परिवार जो पूरी तरह से खत्म हो गए, तब चाहे आप जितना भी अफसोस कर लें, आप उन परिवारों की तकलीफ़ नहीं समझ सकते है....ये बहुत जज़्बाती था।'
हादसे के तीन महीने बाद मार्च महीने में इंडोनेशिया के खोजी बचाव दल ने जावा समुद्र पर जहाज़ का उपरी भाग और यात्रियों के अवशेष मिलने के बाद अपना अभियान खत्म कर दिया था।
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