लंदन : दिल्ली की रेप पीड़िता पर बनी डॉक्यूमेंट्री को बीबीसी की ओर से प्रसारित कर दिया गया है। यह प्रसारण यूके समेत कई देशों में किया गया हालांकि भारत में इस फिल्म को दिखाने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
सूचना प्रसारण मंत्रालय की ओर से इस बात की कोशिशें की जा रही थीं कि दूसरे देशों में भी इसके प्रसारण को रोका जाए। बुधवार को संसद में भी इस फिल्म को लेकर काफी हंगामा हुआ और फिल्म को लेकर नेताओं के बीच बंटी हुई राय दिखाई दी। जहां कुछ सांसद इसके विरोध में थे, वहीं कुछ ने कहा कि फिल्म समाज का आइना होती है, लिहाज़ा इसको फिल्म को दिखाया जाए।
वहीं फ़िल्म निर्माता लेज्ली अडविन ने पीएम से अपील की है कि वह एक बार फ़िल्म को देखें और उसके बाद ही कोई फ़ैसला लें।
एनडीटीवी से बात करते हुए अडविन ने कहा कि इस फ़िल्म को बनाने का मकसद भारत की छवि को ठेस पहुंचाना बिल्कुल नहीं था। उन्होंने कहा कि इस फिल्म पर रोक से अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की सेंसरशिप पर सवाल उठेंगे। भारत में फिल्म को कोर्ट के निर्देशों के बाद बैन कर दिया गया है।
एनडीटीवी से खास बातचीत में निर्भया के पिता ने कहा, मैं देश से बढ़कर नहीं हूं। अगर उन्होंने फैसला किया है तो सही ही होगा, हालांकि फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है। फिल्म समाज को आइना दिखाती है। अगर जेल में दोषी ऐसी बात करता है तो बाहर आकर क्या करेगा, लेकिन अगर देश ने ऐसा फ़ैसला लिया है तो हमें देश के साथ रहना होगा। मुझे लगता है कि सभी को यह फिल्म देखनी चाहिए। प्रतिबंध से फिल्म के बारे में उत्सुकता जगेगी। लोग किसी भी कीमत पर फिल्म देखना चाहेंगे।
संसद में हुए बवाल पर पिता ने कहा कि संसद में बात करने से कोई फायदा नहीं है। गुनाहगारों को अब तक सजा क्यों नहीं मिली। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। ये बताने वाले वो कौन होते हैं कि महिलाएं क्या पहनें और क्या करें? बेटी पढ़ाओ अभियान कैसे सफल होगा, जब बेटिया जीवित ही नहीं रहेंगी?
गौरतलब है कि पहले बीबीसी ने 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इस डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण करने का फैसला किया था, लेकिन भारत में इस मसले पर उठे विवाद के बीच उसने इसका प्रसारण पहले ही करने का फैसला किया। बीबीसी ने कहा है, इससे दर्शकों को जल्द से जल्द यह प्रभावशाली वृत्तचित्र देखने का अवसर मिलेगा।
बीबीसी के वक्तव्य में कहा गया है, पीड़िता के माता-पिता के पूरे सहयोग से बनाई गई यह डॉक्यूमेंट्री एक जघन्य अपराध के अंदर के सच को उजागर करती है, जिससे पूरी दुनिया दहल गई थी और भारत में महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव की मांग को लेकर व्यापक प्रदर्शन हुए थे। बयान में कहा गया है कि फिल्म में इस विषय को ‘जिम्मेदारी के साथ’ दिखाया गया है और बीबीसी के संपादकीय दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया है।
दरअसल, बुधवार को भारतीय संसद में सामूहिक दुष्कर्म के दोषी के इंटरव्यू को लेकर खूब हंगामा हुआ और मोदी सरकार को इस मामले में पूरी तरह जांच कराने तथा इसके प्रसारण पर रोक लगाने का वादा करना पड़ा। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा, इस डॉक्यूमेंट्री को किसी भी हाल में प्रसारित नहीं होने दिया जाएगा। सरकार ने जरूरी कार्रवाई की है और फिल्म के प्रसारण पर रोक के लिए आदेश हासिल किया है। इस डॉक्यूमेंट्री में ब्रिटिश फिल्मकार और बीबीसी द्वारा 16 दिसंबर, 2012 को 23 वर्षीय पेरामडिकल छात्रा के साथ दुष्कर्म करने के दोषी मुकेश सिंह का इंटरव्यू भी लिया गया है, जिसमें वह महिलाओं और दिल्ली पुलिस के खिलाफ अपमानजनक बातें कर रहा है।
दिल्ली की एक अदालत ने इंटरव्यू के प्रकाशन, प्रसारण करने तथा इसे इंटरनेट पर डालने पर रोक लगा दी थी।
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