अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने सोमवार को कहा कि भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान चरण की जड़ें 1971 के बांग्लादेश संकट में हैं क्योंकि दोनों देश मुद्दे पर विपरीत रुख होने के बावजूद सुरक्षा और अर्थव्यवस्था जैसे प्रमुख मुद्दों पर एक समानांतर दृष्टिकोण विकसित कर सके.
96 वर्षीय किसिंजर ने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी मंच पर कहा कि बांग्लादेश संकट ने दोनों देशों को ‘‘टकराव के मुहाने'' पर ला दिया था. वर्ष 1971 में बांग्लादेश संकट को लेकर भारत और पाकिस्तान में युद्ध हुआ था. उन्होंने कहा कि यह शीतयुद्ध का समय था और भारत तथा अमेरिका की अलग-अलग धारणाएं थीं.
किसिंजर ने 1961 के बर्लिन संकट का उल्लेख किया जिस दौरान सोवियत संघ ने अमेरिकी सहयोगी बलों को बर्लिन से बाहर जाने का अल्टीमेटम दे दिया था. उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा अमेरिका का समर्थन नहीं किए जाने के बाद अमेरिका सरकार में कई लोग निराश हुए थे. उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक ऐतिहासिक उद्भव की की दहलीज पर था और प्रभावित करने वाली सभी समस्याओं का भारत के लिए एक समान महत्व नहीं था. भारत अपने स्वयं के विकास और तटस्थ रुख की नीति में उलझा हुआ था.''
किसिंजर ने कहा, ‘‘हम इस (बांग्लादेश) संकट पर विपरीत दृष्टिकोण से बाहर आए, लेकिन इस विश्वास के साथ कि उसके बाद केवल मूलभूत विकास होगा, (भारत) और अमेरिका आगे के वर्षों के दौरान समानांतर दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैं, हम अब ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जहां भारत और अमेरिका के इनमें से कई मुद्दों पर समानांतर उद्देश्य हैं.'' उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने दुनिया की सुरक्षा और आर्थिक विकास के प्रमुख मुद्दों पर सर्वसम्मति बनाई है.
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